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पीएससी द्वारा डेंटल सर्जनों की सीधी भर्ती में संविदा डेंटिस्टो ने मांगा बोनस अंक, हाईकोर्ट ने भर्ती से पहले नियमानुसार निराकरण के दिये निर्देश

पीएससी द्वारा डेंटल सर्जनों की सीधी भर्ती में संविदा डेंटिस्टो ने मांगा बोनस अंक, हाईकोर्ट ने भर्ती से पहले नियमानुसार निराकरण के दिये निर्देश
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By NPG News

बिलासपुर। पीएससी द्वारा डेंटिस्ट के पदों पर सीधी भर्ती के लिए ली जाने वाली परीक्षा में कार्याअनुभव के आधार पर अतिरिक्त अंक दिये जाने को लेकर लगी याचिका में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। संविदा पदों पर कार्यरत डेंटल सर्जनों के द्वारा 15 जुलाई 2022 को पीएससी द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में बोनस अंक प्रदान करने हेतु याचिका लगाई गई थी। याचिका की सुनवाई कर अदालत ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग,मंत्रालय तथा संचालक,स्वास्थ्य सेवाएं को उक्त भर्ती प्रक्रिया के सम्पन्न होने से पहले निर्णय लेने के निर्देश जारी किए हैं।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा 09 फरवरी 2022 को डैन्टल सर्जन के 44 पदों पर सीधी भर्ती हेतु विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था, जिसमें वान्छित योग्यताओं के आधार पर संविदा में कार्यरत् विभिन्न जिलों के डेन्टल सर्जन द्वारा आवेदन प्रपत्र प्रस्तुत किए गए थे। तत्पश्चात् 06 जून 2022 को एक कोरीजेन्डम के माध्यम से परीक्षा के अंक वितरण की जानकारी प्रदान की गई। थी, जिसमें संविदाकर्मियों को उनके कार्य अनुभव के आधार पर कोई प्राथमिकता नहीं दी गई थी, जबकि उनके कार्यानुभवों की अवधि कोरोनाकाल को मिलाकर भी 09 से 10 वर्षों की हो चुकी है।

व्यथित होकर इन डेन्टल सर्जन (संविदा) ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग, मन्त्रालय तथा संचालक, स्वास्थ्य सेवाएँ, छ.ग. को आवेदन-पत्र प्रस्तुत करते हुए निवेदन किया कि उन्हें उनके कार्यानुभव के आधार पर बोनस अंक प्रदान करवाने संबंधी उचित दिशानिर्देश जारी किए जाएँ। किन्तु तत्संबंध में न तो किसी भी प्रकार का उचित कदम नहीं उठाया गया और न ही कोई जवाब ही दिया गया।

जिससे डेन्टल सर्जन (संविदा) डॉ प्रज्ञा लोधी एवं 26 अन्य ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और हर्षमन्दर रस्तोगी के माध्यम से एक रिट याचिका प्रस्तुत की। याचिका में कार्यानुभव को मुख्य आधार मानते हुए उन तमाम डेन्टल सर्जन (संविदा) को बोनस अंक प्रदान करवाने की याचना की। साथ ही याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता द्वारा यह दलील दी गई कि छत्तीसगढ़ मन्त्रालय के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा ही जून 2018 में इसी तरह चिकित्सा अधिकारियों की सीधी भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में कार्यानुभव के आधार पर बोनस अंक प्रदान किए गए थे, जो कि संविदा में कार्यरत् थे। इसके अलावा मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा भी होमियोपैथिक चिकित्सा अधिकारी और डेन्टल सर्जनों की सीधी भर्ती वाले कई मामलों में इसी तरह के प्रकाशित विज्ञापनों में आयोजित परीक्षाओं में संविदा पर कार्यरत् डैन्टल सर्जनों और चिकित्सा अधिकारियों को उनके कार्यानुभव के आधार पर बाकायदा बोनस अंक प्रदान किए गए थे।

याचिका की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामन्त की सिंगल बैंच में हुई. अदालत ने इस याचिका का निराकरण इस निर्देश के साथ किया कि यह याचिका एक नीति-निर्णय से संबंधित मामले की है, जिसमें राज्य शासन के संबद्ध विभाग द्वारा निराकरण किया जाना है। इसलिए याचिकाकर्ताओं द्वारा इस उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में एक अभ्यावेदन प्रस्तुत करना होगा, जिसमें मध्यप्रदेश शासन के नीति-निर्णयों का उल्लेख करते हुए प्रार्थना करे कि छ.ग. शासन भी इसी दिशा में विचार करते हुए नीति- निर्णय का निर्माण करें। अदालत ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग, मन्त्रालय स्वास्थ्य सेवाएँ, को यह निर्देशित किया गया कि भर्ती प्रक्रिया के संपन्न होने से पहले अभ्यावेदन का निराकरण कर नियमानुसार कार्यवाही करें।

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