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होली पर्व: इस समय पर होगा होलिका दहन, होली में जरूर करें यह उपाय... धन व मनोकामना होगी पूरी... साथ ही जानें पूजा विधि और पूजा सामग्री...

होली पर्व:  इस समय पर होगा होलिका दहन, होली में जरूर करें यह उपाय... धन व मनोकामना होगी पूरी...  साथ ही जानें पूजा विधि और पूजा सामग्री...
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By NPG News

रायपुर 17 मार्च 2022 I होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि यानी 17 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। वहीं 18 मार्च यानी चैत्र मास की प्रतिपदा को रंग वाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा। जिसके कारण होलिका दहन के समय में थोड़ा समय लगेगा। जानिए किस समय होगा होलिका दहन, साथ ही जानिए कैसे करें होलिका दहन से पूर्व पूजा। निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। लेकिन भद्रा पुच्छ के समय होलिका दहन किया जा सकता है। इसलिए रात एक बजे से होलिका दहन करना उचित रहेगा। इससे भद्रा को दोष कम लगेगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :-

फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 17 मार्च दोपहर 1 बजकर 03 मिनट से शुरू

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक

भद्रा- 17 मार्च की दोपहर 1 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।

भद्रा के पुच्छ काल- रात 9 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट।

होलिका दहन पूजा सामग्री :- एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गंध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल और गेंहू की बालियां।

होलिका दहन की पूजा विधि :- होलिका दहन से पहले होलिका माई की पूजा करने का विधान है। होलिका दहन के दिन सूर्योदय के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका दहन वाले स्थान पर जाएं। इसके बाद पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना,चना आदि एक-एक करके अर्पित कर दें, साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी कर लें। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।

होली पर्व :- होली के दिन सबसे पहले मंदिर में देवी-देवताओं को रंग का टीका लगाया फिर बड़ों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें इसके पश्चात घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कने वास्तु देवता को प्रणाम करें अब अंत में अपने बराबर वाले से या छोटे-बड़े से जिनसे रंग खेलना हो उनकी मर्जी से रंग लगाएं रंग उतना ही लगाए कि सामने वाले को ऐलर्जी न हो होली के दिन आप अपना माथा या सिर सूखा नहीं रखें भले ही रंग का तिलक करे पर रंग अवश्य ही लगावे रंग खुशियों के लिए बुराई पर अच्छाई के प्रतीक माना जाता है अतः : होली के दिन रंग लगाकर और लगाने से देवता प्रसन्न होते हैं ग्रहों के दुष्ट प्रभाव से दूर होते हैं वास्तु देवता भी आशीर्वाद मिलता है. होलिका दहन के बाद इसकी राख को घर के चारों तरफ दरवाजे पर छिड़कने से घर में किसी भी प्रकार का नकारात्मक उर्जा प्रवेश नहीं हो पाती.

होलिका दहन के बाद अगली सुबह यानी की होली के रंग खेलने के दिन उसकी राख को माथे पर टीका जरूर लगाना चाहिए इसके देवता प्रसन्न होते हैं जीवन में समस्त प्रकार की अड़चनें दूर होती हैं होली के दिन जिस दिन का रंग खेलते हैं उस दिन सुबह स्नान के बाद लाल गुलाल लेकर उसे सबसे पहले अपने घर के मंदिर देवी देवता की मूर्ति चित्र पर लगाएं फिर भी उसे गुलाल के खुले पैकेट में एक चांदी के एक सिक्का रखकर उसे एक लाल कपड़े में कलावा से बांधकर अपनी तिजोरी में रखें धन लाभ होगा ,धन रुकने भी लगेगा. अगर आर्थिक संकट रहता है तो धन लाभ के लिए होली की रात सिद्ध लक्ष्मी मंत्र ओम श्रीम हीम श्री मंगलेश्वर नमः का 108 बार जाप करते हुए होलिका में शक्कर की आहुति देते जाएं धन में बरकत होने लगेगी होली के रंग पर सभी व्यक्ति को जरूर ही खेलना चाहिए इससे घर परिवार में प्रेम सौंदर्य सुख का वास होता है होली पर सबसे पहले ईश्वर और फिर घर के बड़े बुजुर्गों रंग लगाकर उसे आशीर्वाद लेकर ही रंग खेलना शुरू करना चाहिए होली में आपस में भेदभाव मिटाकर खुद पहल करके दुश्मनों से रंग खेलने कर सभी से साफ मन से गले मिलना चाहिए मान्यता है कि इस दिन पहल कर शत्रु से बोलने से वर्ष पर्यन्त आपके शत्रु पराजित होते रहेंगे

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