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हौसलों की उड़ान: शिक्षक पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति ठुकराया, आर्थिक दिक्कतों से निपटने बहन ने तैयारी छोड़ प्राइवेट जॉब कर दिया सहारा, भाई ने पास की UPSC

हौसलों की उड़ान: शिक्षक पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति ठुकराया, आर्थिक दिक्कतों से निपटने बहन ने तैयारी छोड़ प्राइवेट जॉब कर दिया सहारा, भाई ने पास की UPSC
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By Sandeep Kumar Kadukar

बैतूल। यूपीएससी द्वारा 23 मई को जारी नतीजों में हौसलों की उड़ान बैतूल जिले से देखने को मिली है। जहां के 25 वर्ष युवा ने पिता की मौत के बाद हौसला न खोते हुए मिलने वाली अनुकंपा नियुक्ति को ठुकरा दिया, और आर्थिक दिक्कतों में भी तैयारी कर यूपीएससी में अपना परचम लहरा दिया। हालांकि उनकी सफलता के लिए यूपीएससी की तैयारी कर रही उनकी बहन को अपनी तैयारी छोड़ प्राइवेट नौकरी करनी पड़ी। पिता का सपना पूरा होने से दोनों भाई-बहन के साथ उनकी मां भी काफी खुश है।

बैतूल के रहने वाले 25 वर्षीय जय बारेंगे के पिता सुभाष बारेंगे शिक्षक थे। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा बैतूल शहर की आरडी पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। 2015 में बारहवीं उतीर्ण करने के बाद भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज से फिजिक्स में 2018 में बीएससी उत्तीर्ण की। उसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। उनके पिता चाहते थे कि उनके बच्चे यूपीएससी सलेक्ट हो। उन्होंने 10 माह तक के कोचिंग की फिर सेल्फ तैयारी शुरू की। उन्होंने भूगोल को वैकल्पिक विषय के रूप में रखा और यूपीएससी दिलाया। यह उनका चौथा प्रयास था। तैयारियों में लगे सुभाष बारंगे और उनकी बहन श्रेया बारेंगे के परिवार पर उस समय संकटो का बादल टूट पड़ा, जब कोरोना की दूसरी लहर में 2021 में उनके पिता चल बसे।

जय बारेंगे के शिक्षक पिता सुभाष बारंगे कोविड संक्रमित होकर काफी दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। इस दौरान उनके इलाज में लाखों रुपए लग गए और उनकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई। पिता को अस्पताल में भर्ती होने का पता चलने पर जय और श्रेया बारेंगे भोपाल से अपने पिता को देखने बैतूल आये पर इलाज के लिए लगने वाले समय की अनिश्चितता को देखते हुए उनकी मां संगीता बारंगे ने बच्चों को वापस भेज दिया। उनकी मां संगीता बारंगे का कहना है कि ज्यादा दिन रुकने से बच्चों की पढ़ाई खराब होती इसलिए वह खुद ही पति के इलाज में व सेवा में जुटी रही और बच्चों को पढ़ने के लिए भेज दिया। बेटे के सलेक्शन पर मां संगीता बारंगे भावुक होकर बताती है कि अस्पताल में रहते हुए उनके पति के शब्द थे कि "मेरे बच्चे अफसर बनेंगे जो उनके पति के मौत के बाद उनके बेटे ने पूरा किया।"

इलाज के दौरान जय बारेंगे के पिता सुभाष बारंगे की मौत हो गई। जिस पर जय बारेंगे व बहन श्रेया वापस बैतूल आये। पिता के अंतिम संस्कार के बाद उनकी मां संगीता बारंगे ने उन्हें तैयारियों हेतु वापस भोपाल भेजने का फैसला लिया। इस दौरान पिता के इलाज के लिए सारी जमा पूंजी खर्च हो चुकी थी और घर में आर्थिक दिक्कतों के बादल मंडरा रहे थे। जय को पिता के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति का ऑफर मिला पर उनकी मां ने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए जय बारेंगे को नौकरी ज्वाइन ना करवा वापस पढ़ने के लिए भोपाल भेज दिया। जय बारेंगे वापस भोपाल तो आ गए पर मां को मिलने वाली पेंशन से घर का गुजारा काफी मुश्किल हो गया। भोपाल जैसे शहर में रहने, खाने व पढ़ाई का खर्च जुटाना बड़ी मुश्किल हो रहा था। जिस पर उनकी बहन श्रेया ने अपनी यूपीएससी की तैयारी को विराम देते हुए प्राइवेट कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ली और भाई के पढ़ाई के खर्चे वहन करने लगी। मां-बहन के समर्पण को दिल से लगा जय बारेंगे ने जी तोड़ मेहनत की। जिसका परिणाम आज यूपीएससी के रूप में हम सबके सामने है।

जय बारेंगे की तैयारी के लिए रोजाना 10 घंटे पढ़ाई करते थे। उन्होंने स्टडी मटेरियल के सोर्स कम रखें और मटेरियल को काफी सीमित रखा। अपने दोस्तों के साथ ग्रुप बना प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्न हल किए व मुख्य परीक्षा के लिए आंसर राइटिंग की। उन्होंने खुद से नोट्स बनाया व उत्तर लिखने का तरीका डेवलप किया। हर महीने का टारगेट बना खुद का मूल्यांकन करते थे कि उनकी तैयारी किस स्तर पर पहुंची है। जय बारंगे का कहना है कि इस परीक्षा के लिए कंसिस्टेंसी याने की निरंतरता ही सफलता का मूल मंत्र है। इस परीक्षा की तैयारी करने वालों को रोजाना एक फिक्स पैटर्न में पढ़ना चाहिए ना कि 1 दिन 10 घंटा पढ़ लिया और दूसरे दिन 2 घंटे पढ़ लिया या फिर पढ़ा ही नहीं।

जय बारेंगे का यह चौथा प्रयास था। उन्होंने यह सोच लिया था कि यह उनका अंतिम प्रयास रहेगा पर अब यूपीएससी के फाइनल सलेक्शन लिस्ट में स्थान बनाने के बाद वह अपना रैंक सुधारने के लिए एक प्रयास फिर से करना चाहते हैं। उनके सलेक्शन से उनका पूरा परिवार खुश है। जय बारंगे को इस बात का मलाल है कि उनकी सफलता देखने के लिए उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं है। खास बात यह है कि भाई की पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए यूपीएससी की तैयारी छोड़ प्राइवेट जॉब करने वाली उनकी बहन श्रेया ने भी मध्य प्रदेश पीएससी की मुख्य परीक्षा निकाल ली है, और अब वह अगले महीने होने वाले साक्षात्कार में शामिल होने वाले है।

Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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