हेट स्पीच: क्या सियासी जमीं को उपजाऊ बनाने हेट स्पीच का बढ़ रहा प्रयोग, 7 साल में छह गुना बढ़ गए केस, जानिए हेट स्पीच रोकने क्या है कानून और दंड...
NPG DESK
हेट स्पीच: हेट स्पीच या कहें तो ज़हरीले या भड़काऊ बयानों की आजकल बाढ़ आई हुई है। टीवी हो, सोशल मीडिया हो या कोई मंच... बयान आग लगा रहे हैं और देश सुलग रहा है। हालात यह हैं कि हेट स्पीच पर चिंता जाहिर करते हुए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को केंद्र को फटकार लगानी पड़ी कि वह क्यों मूक दर्शक बनी हुई है जब देश में यह सब चल रहा है। आज देश की आबोहवा में ज़हर फैलाने वाली इस "हेट स्पीच" के बारे में विस्तार से जानते हैं कि यह सिर्फ़ विवादित बयान तक सीमित है या इसमें और कुछ भी शामिल है। साथ ही इसे रोकने के लिए प्रावधान क्या हैं।
हेट स्पीच आखिर है क्या?
साधारणतया हम हेट स्पीच से अंदाज़ा भड़काऊ बयान या घृणित भाषण से लगाते हैं जिसे सुनकर टार्गेट किए गए वर्ग के मन उद्वेलित होता है। और इस बात की पूरी संभावना होती है कि सद्भाव और शांति का स्थान हिंसा ले ले।
लेकिन व्यापक अर्थ में हेट स्पीच का अर्थ सिर्फ यही नहीं है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार नस्ल, धर्म, लिंग के भेदभाव से किसी समूह विशेष के खिलाफ पूर्वाग्रह व्यक्त करने वाला कोई भी अपमानजनक या धमकी भरा लिखित या मौखिक बयान हेट स्पीच कहलाता है।
भारतीय कानून में हेट स्पीच को लेकर अलग से कोई व्याख्या नहीं की गई है। भारत के विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट में हेट स्पीच को मुख्य रूप से नस्ल, जातीयता, लिंग, यौन, धार्मिक विश्वास आदि के खिलाफ घृणा को उकसाने के रूप में देखा गया है।
हेट स्पीच के कुछ मामले, जो चर्चा में रहे
1.बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा एक टीवी शो के दौरान मोहम्मद पैगंबर पर की गई टिप्पणी। विवाद गहराने पर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
2. जीतेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व में वसीम रिज़वी) और स्वामी यति नरसिंहानंद द्वारा उत्तरी हरिद्वार के वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर 2021 को धर्मसंसद के दौरान दिया गया धर्म विशेष के खिलाफ विवादित भाषण।
3. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी पर शांति भंग करने और लोगों को भड़काने वाले संदेश पोस्ट करने का आरोप।
4. उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर भड़की हिंसा में हेट स्पीच को प्रमुख कारण माना गया।
5. एआईएमआईएम सांसद अकबरूद्दीन ओवैसी का भड़काऊ बयान।
हेट स्पीच से संबंधित कानूनी प्रावधान
भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत:
IPC की धारा 153A और 153B: ये दो समूहों के बीच दुश्मनी तथा नफरत पैदा करने वाले कृत्यों को दंडनीय बनाते हैं।
IPC की धारा 295A: यह धारा जान-बूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे से लोगों के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कृत्यों को दंडित करने से संबंधित है।
IPC की धारा 505(1) और 505(2)- ये धाराएँ ऐसी सामग्री के प्रकाशन तथा प्रसार को अपराध बनाती हैं जिससे विभिन्न समूहों के बीच द्वेष या घृणा उत्पन्न हो सकती है।
जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत-
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of People's Act), 1951 की धारा 8 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग के दोषी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोकती है।
RPA की धारा 123(3A) और 125 चुनावों के संदर्भ में जाति, धर्म, समुदाय, जाति या भाषा के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने पर रोक लगाती हैं और इसे भ्रष्ट चुनावी कृत्य के अंतर्गत शामिल करती हैं।
हेट स्पीच मामलों में हाल ही में इन लोगों पर दर्ज हुई एफआईआर
भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा, एआईएमआईएम के प्रमुख असदुददीन ओवैसी, डासना देवी मंदिर के महंत स्वामी यति नरसिंहानंद, भाजपा के पूर्व प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल, एआईएमआईएम सांसद अकबरूद्दीन ओवैसी, पीस पार्टी के प्रवक्ता शादाब चौहान, पत्रकार सबा नकवी,पीसी जाॅर्ज आदि अनेक लोगों पर हेट स्पीच मामलों में एफआईआर दर्ज की गई। इन पर दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने, किसी धर्म का अपमान करने व दो समुदायों के बीच दुश्मनी बढाने संबंधी भाषा का इस्तेमाल करने की धाराओं के तहत दर्ज किया गया।
हेट स्पीच के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल धारा 153A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2014 में देश में हेट स्पीच के 336 मामले दर्ज हुए थे।वहीं, 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं, यानी, 7 साल में हेट स्पीच के मामले 6 गुना तक बढ़ गए हैं।
कितना बुरा असर पड़ता है हेट स्पीच से
1. हेट स्पीच भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समक्ष चुनौती उत्पन्न करती है।
2. यह सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देती है और देश के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है।
3. यह युवाओं में अतिवाद को बढ़ावा देती है। देखा गया है कि हेट स्पीच के प्रभाव में आकर कश्मीरी युवा देश विरोधी गुटों में शामिल हो जाते हैं।
4. हेट स्पीच से अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ती है और यह अल्पसंख्यकों तथा बहुसंख्यकों के बीच खाई को बढ़ाता है।
देश में हुए गोधरा दंगे, बाबरी विध्वंस आदि कहीं न कहीं हेट स्पीच से जुड़ी या उसके द्वारा भड़काई गई घटनाएँ हैं।
30 जनवरी, 1939 को, एडॉल्फ हिटलर ने जर्मनी के अपने चांसलरशिप की छठी वर्षगांठ पर, पृथ्वी से 'यूरोपीय यहूदी' के विनाश की घोषणा करते हुए रैहस्टाग को एक भाषण दिया। दो साल बाद, पूरे यूरोप में नाजियों द्वारा बड़े पैमाने पर नरसंहार किया गया था... तो आप समझ सकते हैं कि हेट स्पीच के बढ़ते मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की यदि चिंता जताई है तो वह बिल्कुल उचित है। इन मामलों से सख्ती से न निपटा गया तो देश का कोना-कोना नफ़रत की आग में जलेगा। त्वरित ज़रूरत है कि केंद्र सख़्त रवैया अपनाए।