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Grabh Sanskaar: कब होता है किन्नर का जन्म, जानिए गर्भ संस्कार और उससे जुड़े रहस्य

Grabh Sanskaar: कब होता है किन्नर का जन्म, जानिए गर्भ संस्कार और उससे जुड़े रहस्य
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By NPG News

रायपुर l हिन्दू धर्म में मनुष्य के जीवन से जुड़े जन्म से लेकर मृत्यु तक हर प्रकार का रहस्य पाया जाता है। साइंस ने भले ही सालों बाद जन्म और मृत्यु के रहस्यों को अपने अनुसार लोगों को बताया, लेकिन यही रहस्य हजारों साल पहले हिंदू धर्म में दिए जा चुके हैं।

उपनिषद में स्त्री-पुरुष के संबंध बनाने से लेकर किस प्रकार से मां के गर्भ में शिशु का जन्म होता है, कैसे वह समय के साथ विकसित होता है और गर्भ के अंदर 9 महीने तक वह क्या सोचता है, इसके बारे में बताया गया है। इतना ही नहीं, यह भी इन ग्रंथों में बताया गया है कि तीसरे लिंग यानि एक किन्नर की उत्पत्ति होती है अच्छे बुरे संतान का जन्म कैसे होता है।

ऐसे ही कुछ तथ्य है जो बताया जा रहा है कि पति-पत्नी को किस दिन संबंध बनाना चाहिए और किस दिन नहीं। दरअसल यदि पति-पत्नी संतान प्राप्ति के लिए संभोग किस दिन हो और किस दिन एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए, इसके बारे में गर्भ संस्कार में जानकारी दी गई।

मंगल के दिन क्रोधी संतान

अगर पति-पत्नी संतान के लिए सोच रहे हैं, तो वे कौन से दिन हैं जिस दिन उन्हें संबंध बनाने चाहिए। वैसे दोनों को मंगल का दिन और मंगल ग्रह से दूर रहना चाहिए। इस दिन का स्वामी होता है मंगल, अत्यंत क्रोधी एवं विनाशकारी ग्रह है मंगल। इसलिए शास्त्रों के अनुसार इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इसके अनुसार यह दिन गर्भधारण के लिए बहुत अशुभ है। यदि इस दिन स्त्री गर्भधारण कर लें, तो होने वाली संतान बहुत क्रोधी और घमंडी होती है। किसी की बात ना सुनना, केवल अपने मन मुताबिक कार्य करना, सभी को परेशान करना और स्वभाव में ही हिंसा का होना, ऐसे होते हैं मंगल ग्रह के प्रभाव में जन्मे बच्चे।

रवि-शनि के प्रभाव में संतान

यह दिन शनि ग्रह को भी समर्पित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क्रूर एवं पापी ग्रह की श्रेणी में आता है शनि ग्रह। इसलिए इस दिन पति-पत्नी का संबंध बनाना अशुभ माना जाता है। शनि ग्रह के प्रभाव से होने वाली संतान निराशावादी एवं नकारात्मक सोच वाली होती है। शनि ग्रह कई बार ऐसे बच्चों को ताउम्र रोग भी प्रदान करता है। दरअसल रविवार के दिन को पूर्ण रूप से भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना गया है। और ऐसे शुभ दिन पर पति-पत्नी का संबंध बनाना पाप है। फिर चाहे वह संतान की प्राप्ति के लिए ही क्यों ना हो, इस दिन पति-पत्नी को दूर रहना चाहिए।

यही कारण है कि इस लिस्ट में रविवार का दिन भी शामिल है। इस दिन आप सूर्य देव से केवल अच्छी संतान पाने की प्रार्थना कर सकते हैं। किंतु इस दिन स्त्री गर्भधारण कर लें तो सूर्य देव के प्रकोप का सामना करती है ऐसी संतान। क्रोध, ईर्ष्या, स्वभाव में ही हर पल की गर्मी, ऐसे लक्षण वाली होती है संतान। कभी-कभी किन्नर भी हो जाती है।

इस दिन होते हैं संस्कारी संतान

गर्भ संस्कार के अनुसार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार गर्भधारण के लिए शुभ दिन हैं। इन चार दिनों के गर्भधारण से उत्पन्न हुई संतान गुणी, माता-पिता की आज्ञाकारी, सेहतमंद और मानसिक रूप से तेज होती है।

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