झूठे रेल अफसर और मदमस्त नेताः छत्तीसगढ़ से हर महीने 1500 करोड़ कमाने के बाद भी मन नहीं भरा, और कमाने के लिए ट्रैक मेंटेनेंस की आड़ में महीने भर के लिए 22 ट्रेनों की बलि चढ़ा दी, नेताओं के पास रेलवे जीएम से बात करने टाइम नहीं
इससे पहले रेलवे ने 10 और यात्री ट्रेनें बंद की हैं, जिस पर राज्य शासन की ओर से आपत्ति करने के बाद भी कोई असर नहीं हुआ।
रायपुर, 24 अप्रैल 2022। हेडिंग थोड़ी तीखी है...मगर जब रेलवे अफसर करोड़ों कमाने के लिए यात्री ट्रेनों की बलि लेने लगे और नेता मुंह सिल लें, तो मीडिया के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं। दरअसल, NPG.NEWS जन सरोकारों की पत्रकारिता करता है और बिलासपुर रेल जोन के प्रबंधक इस कदर मनमानी पर उतर जाएं, तो हमारा कर्तव्य बनता है कि लोगों के सामने हम असलियत लाएं।
सबसे पहले रेलवे ने ऐसे समय पर यह कृत्य किया है, जब शादी-ब्याह और गर्मी की छुट्टियों के कारण ट्रेनों में सबसे अधिक भीड़-भड़क्का होती है। इस सीजन में रेलवे यात्रियों की सुविधा के लिए समर स्पेशल चलाता था। ताकि, यात्रियों को आवागमन में दिक्कत न हो। लेकिन, रेलवे ने पहले 10 पैसेंजर ट्रेनों को महीनेभर के लिए बंद किया और अब 22 को। रेलवे अफसर इन ट्रेनों को बंद करने के लिए ट्रेक मेंटेनेंस का हवाला दे रहे हैं। ये सरासर झूठ है। भारतीय रेलवे में ट्रेक मेंटेनेंस के नाम पर महीनेभर तक ट्रेनें बंद करने का कोई रिकार्ड हो तो रेलवे अधिकारी बता दें। हम आपको बताते हैं, ट्रेक मेंटेनेंस रोज की प्रक्रिया है। आए दिन दो घंटे, तीन घंटे लाइन ब्लॉक कर रखरखाव का काम चलता रहता है। रेलवे अधिकारी क्या बता सकते हैं कि पिछले 50 साल में ट्रेक मेंटेनेंस क नाम पर कब महीने भर के लिए टेनें रोकीं गईं? रेलवे अधिकारी झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। सही बात यह है कि इन ट्रेनों को रोक ज्यादा-से-ज्यादा मालगाड़ियां दौड़ाकर रेलवे अधिकारी रेलवे बोर्ड की कमाई का ग्राफ बढ़ाना कर अपनी पीठ थपथपाना चाहते हैं। रेलवे अधिकारी ये भी झूठ बोल रहे कि रेलवे बोर्ड के आदेश पर ट्रेनें रोकी गईं हैं। दस्तावेजी प्रमाण है कि बिलासपुर रेलवे महाप्रबंधक कार्यालय से इन ट्रेनों को बंद करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया था। इस महीने की शुरुआत में रेलवे ने जब 10 पैसेंजर ट्रेनों को बंद किया था, तब ही NPG.NEWS ने छापा था कि रेलवे ने और 28 ट्रेनों को बंद करने का प्रस्ताव तैयार किया है। 28 में से 6 कम कर 22 ट्रेनों को बंद करने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया और वहां से अप्रूव हो गया। यानी ट्रेनों की बलि चढ़ाने के दोषी दपूम रेलवे के अधिकारी हैं।
दरअसल, यात्री ट्रेनों से दपूम रेलवे महीने में करीब 125 करोड़ कमाती है और मालगाड़ियों से हर महीने 1500 करोड़। साल की कुल कमाई 23 हजार करोड़ पिछले वित्तीय वर्ष में हुई थी। इसमें 18000 करोड़ माल लदान से और 5000 करोड़ यात्री ट्रेनों से है। बताते हैं, 2021-22 में 2020-2021 की तुलना में टारगेट चार-पांच मिलियन टन कम हो गया। जबकि पिछले साल से करीब 15 मिलिटन टन ज्यादा था। फिर भी रेलवे प्रबंधन कमाई बढ़ाने ट्रेनें बंद करने का रास्ता निकाल लिया।
रेलवे के खटराल अधिकारी पहले भी यात्री ट्रेनों को स्टेशनों या आउटर में रोककर मालगाड़ियों को निकालते रहते हैं। खासकर, रात में जब यात्री सोते रहते हैं, तब घंटे-घंटे भर ट्रेनों को बियाबान में रोक दिया जाता है। सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि मालगाड़ियों को निकालकर रेलवे बोर्ड से शाबासी ली जाए। अब पहले से 10 पैसेंजर ट्रेनें बंद हैं और अब 22 और बंद हो गईं। यानी कुल 32 ट्रेनें। अभी एक घंटे में करीब 14 मालगाड़ियां निकाली जाती हैं। जानकारों का कहना है कि इन ट्रेनों को बंद करने से अब एक घंटे में 18 से 20 मालगाड़ी निकल जाएंगी।
रेलवे अधिकारी ये हरकत इसलिए कर रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के नेताओं को यात्री सुविधाओं से कोई मतलब नहीं। NPG.NEWS ने 22 ट्रेन निरस्त करने की खबर को ब्रेक किया था, उसके बाद सिर्फ एक कोरबा की सांसद ज्योत्सना महंत का मीडिया में रिएक्शन आया। बाकी किसी का नहीं। जबकि, सूबे में 11 सांसद हैं। पांच राज्यसभा सदस्य भी। इनमें भाजपा के 9 लोकसभा और दो राज्यसभा सांसद हैं। दो-तीन सांसद अगर रेलवे महाप्रबंधक को फोन भर कर दिए होते तो उसका असर होता। दूसरे राज्यों में रेलवे ने अगर ये किया होता तो बवाल मच जाता। लेकिन, रेलवे अधिकारी भी जानते हैं, यहां कुछ भी मनमानी कर लो, कोई बोलने वाला नहीं है।