Extension to IAS IAS को एक्सटेंशनः छत्तीसगढ़ में आईएएस के एक्सटेंशन या संविदा नियुक्ति? एक्सटेंशन की अटकलों के बीच 45 करोड़ की दवा खरीदी की तैयारी
Extension to IAS ईएसआईसी के लिए दवा खरीदी को लेकर आरोपों के बीच श्रम आयुक्त अमृत खलको के रिटायरमेंट से पहले लेबर विभाग में एक्सटेंशन मिलने की चर्चा सरगर्म है। लेबर विभाग में मैसेज है...साब को एक्सटेंशन मिल रहा है।
Extension to IAS रायपुर। श्रम विभाग के सिकरेट्री और कमिश्नर अमृत खलको इस महीने 31 जुलाई को रिटायर होने जा रहे हैं। खलको राजभवन के सिकरेट्री हैं और मजदूरों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने वाले ईएसआई के डायरेक्टर भी। खलको के रिटायरमेंट से पहले लेबर विभाग में एक्सटेंशन मिलने की चर्चा सरगर्म है। लेबर विभाग में मैसेज है...साब को एक्सटेंशन मिल रहा है।
हालांकि, एक्सटेंशन की चर्चाओं में कोई दम नहीं है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद अभी तक किसी भी आईएएस को एक्सटेंशन नहीं मिला है। कई पूर्व मुख्य सचिवों को एक्सटेंशन देने के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया मगर अनुमति नहीं मिली। इसलिए, खलको को एक्सटेंशन वाली बातें बेसिर पैर की है। एक्सटेंशन के लिए एक प्रक्रिया होती है। कैबिनेट में पारित करने के बाद मुख्यमंत्री के तरफ से प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाता है। इसमें काफी टाईम लगता है। जहां तक जानकारी है, खलको का ऐसा कोई प्रस्ताव केंद्र को भेजा नहीं गया है। वैसे भी राज्य सरकार चीफ सिकरेट्री या फिर सीएम सचिवालय के किसी सिकरेट्री को एक्सटेंशन देने के लिए प्रस्ताव भेजती है। सामान्य सिकरेट्री के लिए भला कोई सरकार इतना मशक्कत क्यों करेगी?
खलको को संविदा नियुक्ति की चर्चाएं जरूर सुनने में आ रही है। मगर उसमें भी पेंच यह है कि इस समय तीन आईएएस संविदा में सेवाएं दे रहे हैं। डॉ. आलोक शुक्ला, डीडी सिंह और निरंजन दास। हालांकि, इनमें से निरंजन दास बिना विभाग के होकर लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। ईडी के छापों के बाद उन्होंने आबकारी और पंजीयन विभाग में रहने से अनिच्छा जताई थी। इसके बाद सरकार ने उनका विभाग वापिस ले लिया था। मगर अभी यह जानकारी में नहीं है कि उन्होंने संविदा नियुक्ति से इस्तीफा दे दिया है या नहीं।
बहरहाल, खलको के एक्सटेंशन की चर्चाओं के बीच ईएसआई में 45 करोड़ की दवा खरीदी की फाइल तेजी से चल रही है। सुना है, नीचे के अधिकारी एक्सटेंशन की खबर के चलते आखिरी समय में 45 करोड़ की दवा खरीदी का मूकदर्शक बने हुए हैं।
नीचे पढ़िये इस खबर को...क्या है दवा खरीदी का मामला...