NPG Exclusive: छत्तीसगढ़ की महिला डिप्टी रजिस्ट्रार ने राज्य के खजाने को लगा दिया 10 करोड़ की चपत, लाफार्ज सीमेंट की 164 हेक्टेयर की माईनिंग लीज की रजिस्ट्री करने की बजाए 1000 के स्टॉम्प में निरमा के नाम कर डाला, कलेक्टर बोले...
रायपुर, जांजगीर, 9 दिसंबर 2021। जांजगीर की महिला डिप्टी रजिस्ट्रार ने मात्र एक हजार के स्टाम्प में लाफार्ज सीमेट के माईनिंग लीज को निरमा कंपनी के नाम रजिस्ट्री करने का कारनामा कर दिखाया। इस मामले में जांजगीर के कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने एनपीजी न्यूज से कहा, आईजी रजिस्ट्री को वे कार्रवाई करने लेटर भेज रहे हैं। उन्होंने माना कि ये बेहद गंभीर मामला है।
यह मामला जून 2018 का है। माईनिंग लीज एक हजार रुपए में निरमा कंपनी को बेचने का खुलासा NPG की तहकीकात में हुई। एनपीजी ने इस बारे में जांजगीर कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला से बात की। उन्होंने रजिस्ट्री अधिकारियों को तलब किया। दिलचस्प यह है कि कंपनी ने लीज एग्रीमेंट के रूप में रजिस्ट्री के लिए पेपर पेश किया था, लेकिन रजिस्ट्री अधिकारी ने कंपनी को फायदा पहुंचाने सुधारनामा करार दिया। उसने 164 हेक्टेयर का माइनिंग लीज एक हजार में ट्रांसफर कर दिया।
कहते हैं, चोर चोरी करता है तो कुछ न कुछ सुराग छोड़ जाता है। रजिस्ट्री अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न उद्धहरणों का हवाला देते हुए पेपर में लिखा है कि इसे नाम सुधार माना जाए। जबकि, ये नाम सुधार नहीं, मालिकाना बदल रहा था। रजिस्ट्री में सुधार का नियम इसलिए बनाया गया है कि कोई लिपिकीय त्रूटि हो या टंकन की, उसे एक हजार के स्टाम्प पर सुधार कराया जा सके। फिर महिला डिप्टी रजिस्ट्रार ऊषा साहू ने उसी पेपर में लिखा है कि 2001 में जब अकलतरा स्थित रेमंड प्लांट लाफार्ज को बेचा गया तो माईनिंग लीज ट्रांसफर करने के लिए मुद्रांक शुल्क 21 लाख 14 हजार और पंजीयन शुल्क 2 लाख 25 हजार चुकाया गया। याने खुद ही मान रही कि रेमंड से लाफार्ज को लीज ट्रांसफर में करीब 23 लाख रुपए शुल्क जमा किया गया।
बताते हैं, रेमंड से 2001 में प्लांट और उसका माईनिंग लीज खरीदने वाली लाफार्ज कंपनी ने 2018 में उसे निरमा ग्रुप की नुवोको कंपनी को बेच दिया। चूकि लाफार्ज बड़ी कंपनी हो गई थी और इसका रजिस्ट्री खर्च करोड़ों में आता, लिहाजा प्लांट वालों ने रजिस्ट्री अधिकारियों से संपर्क किया। रजिस्ट्री अधिकारियों ने बड़ी लेनदेन की शर्त पर सेल डीड दिखाने की बजाए उसे बिक्री सुधारनामा के तहत मात्र एक हजार रुपए के स्टाम्प पर पूरा खेला कर दिया। 2018 की तारीख में अगर नियमानुसार माईनिंग लीज की रजिस्ट्री की गई होती, तो 10 करोड़ से अधिक राजस्व सरकार के खजाने में आता।
रजिस्ट्री ऑफिस के इस भंडाफोड़ से हड़कंप मच गया है। उधर, कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने कहा कि मामले का परीक्षण करवा रहे हैं। अगर गलत हुआ तो निश्चित तौर पर इसमें कार्रवाई होगी...रजिस्ट्री निरस्त भी की जा सकती है। उन्होेंने कहा कि आईजी रजिस्टेशन को वे लेटर लिख रहे हैं।