Ex PM देना चाहते थे इस्तीफा: कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले गुलाम नबी आजाद लिख रहे अपनी आत्मकथा... क्या है मनमोहन सिंह की कहानी
गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा में ऐसे कई खुलासे, जिसे पढ़कर लोग चौंकेंगे। खासकर उनकी आलोचना करने वाले।
NPG ब्यूरो। कांग्रेस से इस्तीफा देकर सियासी भूचाल खड़ा करने वाले सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद अपनी आत्मकथा लिख रहे हैं। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है। इसमें ऐसे कई खुलासे हो सकते हैं, जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। खासकर राहुल गांधी के कांग्रेस में आने के बाद जो परिस्थितियां बनी हैं, उसे लेकर कई तथ्य सामने आ सकते हैं। आजाद का कहना है कि जब यह किताब आएगी तो वे लोग ज्यादा पढ़ेंगे, जो कांग्रेस में नए आए हैं और उनकी आलोचना कर रहे हैं।
एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में गुलाम नबी आजाद ने बताया कि कोरोना काल के दो साल में उन्होंने यह किताब लिखने की शुरुआत की थी। इसे पूरा होने में अभी कुछ वक्त लगेगा। इस साल तक यह किताब आ जाएगी। इंटरव्यू में आजाद बताते हैं कि राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी और पिता राजीव गांधी जब पार्टी के मुखिया थे, तब कभी भी उनसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट नहीं लेना पड़ता था। यहां तक कि उनकी दादी स्व. इंदिरा गांधी हर दिन 1000 लोगों से बिना अपॉइंटमेंट के मिलती थीं। अब यह स्थिति है कि सांसदों को भी मिलने के लिए समय नहीं मिलता। डेढ़ साल पहले उनकी आमने-सामने मुलाकात हुई थी।
अध्यादेश फाड़ने की घटना से दुखी थे मनमोहन सिंह
राहुल गांधी की हरकतों को चाइल्डिश क्यों कहा... इस पर आजाद ने इंटरव्यू में बताया है कि जब राहुल गांधी ने अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी, तब उनके समेत सभी वरिष्ठ नेताओं की यही प्रतिक्रिया थी। तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह काफी दुखी थी। वे इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन वे बुद्धिमान व्यक्ति थे। वे जानते थे कि उनके इस्तीफे से राहुल गांधी के कॅरियर को धक्का लगता। पार्टी की छवि को भी नुकसान होता, इसलिए इस्तीफा नहीं दिया। आजाद के मुताबिक उनकी आत्मकथा में नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी के साथ कैसी वर्किंग थी, उन सबका डिटेल है।
5 नहीं, 15 पन्ने का था इस्तीफा... सो नहीं पाए थे
गुलाम नबी आजाद के जिस 5 पन्ने के इस्तीफे ने भूचाल ला दिया, वह 5 नहीं, बल्कि 15 पन्ने का था। इसे उन्होंने पहले 11, फिर 10 और बाद में 5 पन्ने का कर दिया। जिस दिया उन्होंने इस्तीफा दिया, उस दिन वे पूरी रात सो नहीं पाए। सुबह पांच बजे उन्होंने इस्तीफे में जो कठोर शब्द लिखे थे, उन्हें हटाया था। आजाद के मुताबिक राहुल गांधी जब पार्टी में आए, तब सबके मन में यह छवि थी कि पार्टी में एक क्रांति आने वाली है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आजाद के मुताबिक वे अपनी पार्टी के लिए फिलहाल नाम तलाश रहे हैं। साथ ही, कैसा झंडा हो, यह भी देख रहे, जिससे किसी दूसरे दल के जैसा न दिखे।