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Election code of conduct: CG आचार संहिता की हड़बड़ी: दफ्तरों में सरपट दौड़ रही खरीदी-सप्लाई की फाइलें, देर रात तक चल रहा काम

Election code of conduct: विधानसभा चुनाव से लिए हफ्तेभर में आचार संहिता लागू हो जाएगी। इससे पहले ज्यादा से ज्यादा वर्कऑर्डर जारी करने की होड़ मची है

Election code of conduct: CG आचार संहिता की हड़बड़ी: दफ्तरों में सरपट दौड़ रही खरीदी-सप्लाई की फाइलें, देर रात तक चल रहा काम
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By Sanjeet Kumar

Election code of conduct: रायपुर। छत्तीसगढ़ में आचार संहिता लागू होने के लिए अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में चुनाव के दावेदारों और संभावित प्रत्याशियों से लेकर पार्टी दफ्तरों में जितनी हड़बड़ी नहीं है, उससे ज्यादा भागमभाग दफ्तरों में दिख रही है। आलम यह है कि मंत्री के बंगलों से लेकर अफसरों के बंगले और दफ्तरों तक देर रात तक काम हो रहा है। कुछ खटराल किस्म के अफसर हर हाल में दो चार दिनों में खरीदी-सप्लाई और निर्माण से जुड़े वर्कऑर्डर जारी करने में जुटे हुए हैं। इसमें चुनावी चंदे की भी चर्चा शुरू हो गई है।

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन कर दिया है। अब राजनीतिक दल इसे घर-घर तक पहुंचाने की रणनीति में जुटे हुए हैं तो एक वर्ग ऐसा भी है, जो आचार संहिता से पहले कुछ काम पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। इसमें ऐेसे खटराल अधिकारियों की अचानक सक्रियता की चर्चा मंत्रालय से लेकर मैदानी दफ्तरों तक है। ये अधिकारी खरीदी-सप्लाई के टेंडर से लेकर वर्कऑर्डर फाइनल करने में जुटे हैं, ताकि आचार संहिता लागू होने से पहले ये सारे काम रुकें नहीं। यही वजह है कि कई बड़े टेंडर को कई टुकड़ों में जारी करने का भी खेल किया जा रहा है, जिससे नियमों की लंबी प्रक्रिया में न उलझे और निचले स्तर पर ही काम हो जाए। वर्क्स डिपार्टमेंट में यह खेल सबसे ज्यादा होता है। हाल ही में बिलासपुर एयरपोर्ट में हो रहे निर्माण में ऐसा खेल सामने आ चुका है।

सबसे ज्यादा गड़बड़ियां इसी समय

खरीदी-सप्लाई और निर्माण के टेंडर जारी करने में दो समय सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सामने आती है। पहली बजट के पहले और दूसरी चुनाव के पहले। हर साल बजट लैप्स होने से बचाने के लिए खटराल अफसर कुछ भी खरीदी-सप्लाई कर अपना हिस्सा निकाल लेते हैं। वहीं, चुनाव के समय तो सरकार की ओर से ज्यादा से ज्यादा काम का लोकार्पण-शिलान्यास कराने का दबाव रहता है, जिसका फायदा ऐसे अफसर कमाते हैं और नियमों को ताक पर रखकर भी वर्कऑर्डर जारी करने से नहीं चूकते हैं।

भूमिपूजन-लोकार्पण की होड़

सिर्फ सरकारी दफ्तर ही नहीं, बल्कि नेताओं में भी भूमिपूजन-लोकार्पण की होड़ मची है। चुनाव से पहले मतदाताओं को दिखाने-बताने के लिए ज्यादा से ज्यादा काम निपटाने की कोशिश की जा रही है। इसमें ऐसे काम भी शामिल हैं, जिनकी अलग-अलग सभाओं-कार्यक्रमों में घोषणा की गई थी। मंत्री-विधायक इन सब कामों को लेकर आचार संहिता से पहले पत्थर में अपना नाम लिखाना चाहते हैं, ताकि वे अपने मतदाताओं को दिखा सकें और भविष्य में जो भी परिणाम आए लेकिन उनका नाम दर्ज हो जाए।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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