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शिक्षाकर्मियों का जिपं पर 15 करोड़ रुपए बकाया, एकाउंट आफिसर ने लिखा पत्र, बड़ा सवाल... कहीं डूब तो नहीं गई राशि !

शिक्षाकर्मियों का जिपं पर 15 करोड़ रुपए बकाया, एकाउंट आफिसर ने लिखा पत्र, बड़ा सवाल... कहीं डूब तो नहीं गई राशि !
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By NPG News

रायपुर। भले ही शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन हो चुका है और वह अब स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी हो चुके हैं। लेकिन पंचायत विभाग की लालफीताशाही से उनका पीछा अभी तक नहीं छूटा है। यही वजह है कि तमाम कोशिशों के बाद भी पंचायत में की गई सेवा की राशि का भुगतान शिक्षकों को अभी तक नहीं हुआ है। और यह राशि भी कोई एक 5-10 लाख रुपए नहीं बल्कि 15 करोड़ रुपए है वह भी केवल जिला पंचायत बिलासपुर का। अगर पूरे राज्य की गणना कर ले तो हो सकता है कि मामला 100 करोड़ के भी पार हो जाए। सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया भी था जिसके बाद जिला पंचायत की ओर से राशि की गणना करके संचालक पंचायत संचालनालय को पत्र लिखा गया था जिसमें 15 करोड़ रुपए की राशि एरियर्स भुगतान के लिए मांगी गई थी लेकिन 8 माह गुजर जाने के बाद भी राज्य कार्यालय से यह राशि नहीं दी गई है ।


आखिर किस बात का है एरियर्स !

शिक्षाकर्मियों को जो एरियर्स राशि दी जानी है वह निम्न से उच्च पद का, समयमान और पुनरीक्षित वेतनमान का है जिसमें निम्न से उच्च पद के मामले को लेकर सैकड़ों केस भी न्यायालय में लगे हुए हैं जिसमें भुगतान के आदेश दिए गए हैं और कई बार अवमानना याचिका भी दायर हुई है बावजूद इसके आज पर्यंत तक भुगतान नहीं किया जा सका है ।

राज्य कार्यालय की लापरवाही की सजा भुगत रहे हैं शिक्षक - विवेक दुबे

इस पूरे मामले को लेकर लगातार प्रयास कर रहे सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे का कहना है कि

" इस पूरे मामले में राज्य कार्यालय की लापरवाही है क्योंकि जिला पंचायत ने उन्हें कई बार पत्र लिखा है इसके बावजूद राज्य कार्यालय द्वारा मामले को संज्ञान में नहीं लिया गया । इस पूरे मामले में राज्य कार्यालय को राशि की विधिवत गणना करके शिक्षकों को भुगतान करना चाहिए ताकि शिक्षकों के साथ न्याय हो सके , सेवा लेने के बाद भुगतान के समय इस प्रकार की लापरवाही करना यह दर्शाता है की विभाग की नियत में खोट है। किसी भी मामले में कार्यवाही करने के लिए अधिकारी सदैव तैयार रहते हैं लेकिन जैसे ही कर्मचारियों के हितों की बात आती है वे चुप्पी साध लेते हैं , यह भी एक ऐसा ही मामला है ।

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