ED रमन और परिवार से करे पूछताछ: सीएम भूपेश बघेल ने चिटफंड कंपनियों की घोटाले की ईडी से जांच की मांग की
सीएम भूपेश बघेल ने पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, उनकी पत्नी व बेटे के साथ-साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक पर चिटफंड कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर होने का आरोप लगाया है।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में चिटफंड घोटाले पर सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान सामने आया है। सीएम बघेल ने कहा है कि ईडी (इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट) को चिटफंड कंपनी का मामला अपने हाथ में लेना चाहिए और पता करना चाहिए कि डायरेक्टरों ने पैसा कहां इन्वेस्ट किया है। इस मामले में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, उनकी पत्नी और बेटे से भी पूछताछ करनी चाहिए, क्योंकि वे चिटफंड कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर बनकर घूमते थे।
भेंट मुलाकात में गौरेला पेंड्रा मरवाही गए सीएम बघेल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान जब चिटफंड घोटाले के संबंध में सवाल आया,त ब कहा कि 15 साल तक डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री रहे। धरमलाल कौशिक उस समय विधानसभा अध्यक्ष थे। उस समय रोजगार मेला करते थे और लोगों को चिटफंड कंपनियों के एजेंट बनाते थे। एक तरह से रमन, उनकी पत्नी और बेटे ब्रांड एंबेसडर थे। उनके खिलाफ एफआईआर भी हुए हैं।
सीएम ने बताया कि चिटफंड कंपनियों में छत्तीसगढ़ के लोगों ने जो निवेश किया है, उसके संबंध में जो आवेदन आए हैं, उसके मुताबिक 6500 करोड़ की राशि सामने आई है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां डायरेक्टर गिरफ्तार हुए हैं और संपत्ति कुर्क की जा रही है। चिटफंड कंपनियों की संपत्ति दूसरे राज्यों में भी है। संपत्ति की जानकारी के अभाव में नीलाम नहीं कर पा रहे हैं। सरकार ने रायपुर, धमतरी, बिलासपुर, राजनांदगांव में राशि वापस कराई है। लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई जिन कंपनियों में लगाई थी, उन कंपनियों ने दूसरे राज्यों में इन्वेस्ट किया है। मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। ऐसे में ईडी को केस हाथ में लेना चाहिए और जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए।
केंद्रीय एजेंसियों का हो रहा दुरुपयोग
सीएम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश के आजाद होने के बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान बना। संविधान हम सबको अधिकार संपन्न बनाता है। उसी संविधान के तहत कार्यपालिका न्यायपालिका और विधायका बनी। सबके अपने अपने दायित्व हैं, कर्तव्य हैं और अधिकार हैं। पिछले 8 सालों से संविधान को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायका या फेडरल स्ट्रक्चर की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है। सेंट्रल एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। अपनी कुर्सी बचाने और सत्ता हासिल करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश जहां गैर भाजपा शासित सरकारें हैं, उसके खिलाफ एजेंसियों का उपयोग किया जा रहा है।