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DGP को हटाया: गौरव यादव बने रहेंगे पंजाब के डीजीपी... भावरा को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष बनाया

दो साल के लिए की गई थी नियुक्ति लेकिन आप सरकार ने हटाने का फैसला कर लिया। दूसरी बार डीजीपी को लेकर विवाद की स्थिति।

DGP को हटाया: गौरव यादव बने रहेंगे पंजाब के डीजीपी... भावरा को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष बनाया
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By NPG News

NPG ब्यूरो। पंजाब सरकार ने आखिरकार गौरव यादव को ही डीजीपी बनाए रखने का फैसला लिया है। 1992 बैच के आईपीएस यादव फिलहाल कार्यवाहक डीजीपी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। 1987 बैच के वीरेश कुमार भावरा के दो महीने की छुट्टी पर जाने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन भावरा के छुट्टी से लौट आने के बाद पंजाब सरकार के सामने असमंजस की स्थिति बन गई, क्योंकि सरकार फिर से भावरा को चार्ज देने के पक्ष में नहीं थी। आखिरकार एक नया आदेश जारी किया गया है, जिसमें भावरा को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन का चेयरमैन बनाया गया है। वहीं, 1992 बैच के डॉ. एसएस चौहान, जो पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के सीएमडी थे, उन्हें मैनेजिंग डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, भावरा के पास अभी भी सुप्रीम कोर्ट में अपील का विकल्प है। ऐसा होता है तो पंजाब सरकार की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।


आगे पढ़ें... पंजाब में डीजीपी को लेकर फिर से विवाद की स्थिति क्यों बनी

सुप्रीम कोर्ट के नए नियमों के मुताबिक अब राज्य सरकारें अपनी मर्जी से कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति नहीं कर सकती। वीके भावरा कांग्रेस की सरकार में डीजीपी बनाए गए थे। बाकायदा चन्नी सरकार ने 10 आईपीएस अफसरों के नाम का पैनल भेजा था, जिसमें यूपीएससी ने 3 नाम भेजे थे। इनमें से भावरा को चन्नी सरकार ने डीजीपी की जिम्मेदारी दी। चरणजीत सिंह चन्नी जब सीएम बने थे, तब इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था। इस पर नवजोत सिंह सिद्धू ने बवाल किया था। उनके बगावती रुख को देखते हुए चन्नी सरकार ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यवाहक डीजीपी बनाया और नियमित डीजीपी के लिए यूपीएससी को पैनल भेजा था। इसके बाद भावरा को दो साल के लिए नियुक्ति मिली थी।

इधर, कुछ ही दिनों बाद पंजाब में सरकार बदल गई और आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। इस बीच सिद्धू मूसेवाला की हत्या, पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस विंग के मुख्यालय में हमला और पटियाला में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव के कारण भगवंत मान सरकार पर दबाव बढ़ने लगा था। इसे देखते हुए भावरा दो महीने के लिए छुट्टी पर चले गए। वे आगे और छुटिटयां बढ़ाने के लिए राजी नहीं थे। मान सरकार उन्हें फिर से डीजीपी नहीं बनाना चाहती थी, इसलिए विवाद की स्थिति खड़ी हो गई।

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