Deputy Chief Minister उप मुख्यमंत्री के संबंध में क्या है संविधान की राय, राजनीतिक रूप से कितना पॉवर, एक्सपर्ट्स से समझें
Deputy Chief Minister
रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार उप मुख्यमंत्री के रूप में टीएस सिंहदेव की नियुक्ति की है. सिंहदेव चतुर्थ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. वे तीसरी बार के विधायक हैं. सिंहदेव के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद यह बहस छिड़ गई है कि उनका रुतबा बढ़ा है या घटा है? उप मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके पास कौन-कौन से अधिकार आ जाएंगे? कांग्रेस की राजनीति में इसका क्या असर रहेगा. NPG.News ने यही सवाल एक्सपर्ट्स के रूप में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. अजय चंद्राकर और लॉ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. भूपेंद्र करवंदे से किए. आगे पढ़ें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स...
उप मुख्यमंत्री या उप प्रधानमंत्री जैसा कोई पद नहीं
एक्सपर्ट्स के मुताबिक संविधान में उप मुख्यमंत्री या उप प्रधानमंत्री जैसा कोई पद ही नहीं है. डॉ. करवंदे के मुताबिक संविधानिक रूप से उप मुख्यमंत्री या उप प्रधानमंत्री पद का उल्लेख नहीं है. उप राष्ट्रपति पद संवैधानिक है. एक तरह से यह कह सकते हैं कि उप मुख्यमंत्री या उप प्रधानमंत्री राजनीतिक पद है. पार्टी अपने सीनियर नेता को सम्मान के रूप में यह पद देती है. इस तरह उप मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के एक सदस्य के रूप में ही होते हैं, जो अपने विभाग का कामकाज संभालते हैं. वेतन-भत्ते व सुविधाएं भी कैबिनेट मंत्री की तरह होती हैं.
छत्तीसगढ़ में उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति के मायने
पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. अजय चंद्राकर के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान ने उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति कर एक तरह से शक्ति संतुलन (पॉवर बैलेंस) किया है. इस तरह कह सकते हैं कि टीएस सिंहदेव का पोर्टफोलिया बढ़ा है. यह देखने वाली बात है कि मंत्रिमंडल में किसी तरह का बदलाव किया जाता है या नहीं, लेकिन चुनाव के दौरान टिकट वितरण से लेकर चुनाव की रणनीति में भी सिंहदेव की अहमियत बढ़ जाएगी. इस नियुक्ति के साथ कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि सबको साथ मिलकर चुनाव लड़ना है.
क्या सिंहदेव को आलाकमान ने वचन दिया था
डॉ. चंद्राकर के मुताबिक साढ़े चार साल तक राजनीतिक चर्चाओं में कई तरह की बातें आती थीं कि सिंहदेव को कांग्रेस आलाकमान ने कोई वचन दिया है. उनकी उपेक्षा जैसी भी बातें आती रहती थी. छत्तीसगढ़ में चुनाव आचार संहिता को लेकर अब लगभग 80 दिन बचे हैं. ऐसे में सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाकर एक तरह से डैमेज कंट्रोल किया गया है, जिससे उनके समर्थकों के मन में जो दूरियां थीं, वह मिट जाए.
जाति या क्षेत्र का समीकरण साधने की कोशिश
एक्सपर्ट्स का कहना है कि उप मुख्य मंत्री के जिम्मेे कोई विशेष काम नहीं होता है. एक तरह से यह प्रतीकात्मरक पद है. इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जाती है कि उप मुख्यमंत्री का पद पाने वाले नेता की सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत है. राज्य सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री के हाथ में होता है. अमूमन यह देखा गया है कि जातिगत या क्षेत्र का समीकरण साधने के लिए उप मुख्यमंत्री बनाया जाता है. हाल ही में कर्नाटक चुनाव के बाद सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीएम और डिप्टी सीएम के पद के बंटवारे के लिए यही समीकरण अपनाया गया था.
कौन थे पहले उप मुख्यमंत्री
उप मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति की शुरुआत 1953 में हो गई थी. उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी से तेलुगु भाषी क्षेत्र को अलग कर आंध्रप्रदेश राज्य का गठन किया गया था. इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे टी प्रकाशम और उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी को अपनी उप मुख्यमंत्री बनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया
उप मुख्यमंत्री या उप प्रधानमंत्री के अधिकारों पर बहस आज नहीं, बल्कि 80 के दशक में हो चुकी है, जब देश के दो बार उप प्रधानमंत्री रहे हरियाणा के दिग्गज नेता चौधरी देवी लाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख रहे चौधरी देवी लाल 1989 से 1990 और 1990 से 1991 के बीच उप प्रधानमंत्री रहे. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उप प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक नहीं है. उप प्रधानमंत्री भी बाकी मंत्रियों की तरह मंत्रिमंडल के सदस्य हैं. मंत्रियों की तरह की उनके भी अधिकार हैं.
पूर्व राष्ट्रपति ने भी लिखा
चौधरी देवी लाल के मामले में ही पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने अपनी किताब कमीशन फॉर ऑमिशन ऑफ इंडियन प्रेसीडेंट में यह उल्लेख किया है कि जब वे शपथ दिला रहे थे, तब चौधरी देवी लाल बार-बार मंत्री के बजाय उप प्रधानमंत्री बोल रहे थे. नियम के मुताबिक उप प्रधानमंत्री हो या उप मुख्यमंत्री, वे मंत्री के रूप में शपथ लेते हैं.
इन राज्यों में उप मुख्यमंत्री
आंध्रप्रदेश
अमजथ बाशा शेख बेपारी
बुदि मुत्याला नायडु
के. नारायण स्वामी
कोट्टू सत्यनारायण
राजन्ना डोरा पीडिका
अरुणाचल प्रदेश
चौना में
बिहार
तेजस्वी यादव
छत्तीसगढ़
टीएस सिंहदेव
हरियाणा
दुष्यंत चौटाला
हिमाचल प्रदेश
मुकेश अग्निहोत्री
कर्नाटक
डीके शिवकुमार
महाराष्ट्र
देवेंद्र फड़नवीस
मेघालय
प्रेस्टोन टिनसोंग
स्रियावभालंग धार
मिजोरम
तावंलुइया
नागालैंड
यानथुंगो पैटन
टीआर जेलियांग
उत्तरप्रदेश
केशव प्रसाद मौर्य
ब्रजेश पाठक