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गाय में है 33 देवताओं का वास, इससे जुड़ी ये बातें आपको कर देगी हैरान, जानिए गौमाता का धार्मिक-वैज्ञानिक ज्ञान

गाय में है 33 देवताओं का वास, इससे जुड़ी ये बातें आपको कर देगी हैरान, जानिए गौमाता का धार्मिक-वैज्ञानिक ज्ञान
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By NPG News

रायपुर। गाय को हिन्दू धर्म में देवतुल्य माना गया जो जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, हिन्दू धर्म में गाय को मां और देवी का स्थान है। पुराणों के अनुसार गाय में सभी देवताओं का वास है। हिन्दु्ओं के लिए गाय सबसे पवित्र है। माना जाता है कि गाय माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस ले लेती है। वहां का वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।

धर्म शास्त्रों में लिखा है कि गाय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जीव है। गाय का महत्व सिर्फ धार्मिक, आध्यात्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक बिंदु से जाना जाता है। गौ को हिंदू धर्मावलंबी माता मानते हैं। कहा जाता है कि गाय में 33 कोटि के देवताओं का वास रहता है। जो हर तरह से हमारी रक्षा करती है। ये देवता हैं- 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्‍विन कुमार। ये मिलकर कुल 33 होते हैं।

कहा जाता है कि जीवों की सबसे पवित्र योनि है गाय । इसके बाद मनुष्य योनि का जन्म होता है। गाय हमारे लिए हर तरह से लाभदायक है। चाहे उसका दूध हो, गोबर , गौमूत्र या फिर पूरी गाय। गाय की हर चीज उपयोगी है ये सिर्फ धार्मिक वजह से नहीं, बल्कि गाय के पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य भी है।

गाय में सकारात्मकता का वास

गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी अन्य किसी जीव या मनुष्य तक में नहीं होती है। इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है। हम जितनीभी गाएं देखते हैं, ये 84 लाख योनियों के विकास क्रम में आकर अब अपने अंतिम पड़ाव में विश्राम कर रही हैं। गाय की योनि में होने का अर्थ है - विश्राम, शांत और प्रार्थना।

गाय से जुड़ी बातें...

• माना जाता है कि जिस जगह गाय खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी-देवता पुष्प वर्षा करते हैं। पुराणों में लिखा है कि गाय के गले में घंटी जरूर बांधें, घंटी की आवाज कई वास्तु दोषों का काट करती है। वेद पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति गाय माता की सेवा करता है, उसपर आने वाली विपदाएं समाप्त हो जाती हैं।

• कहा जाता है कि गाय के खुर्र में नागदेवता का वास होता है, इसलिए जिस जगह गाय विचरण करती है, उस जगह सांप-बिच्छू आदि नहीं आते। गाय कि एक आंख में सूर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है।

• गाय के दुध मे स्वर्ण तत्व पाया जाता है, जो रोगों की क्षमता को कम करता है। वेदों के अनुसार गाय की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है, जो बुरी नजर उतारने में सर्वोत्तम मानी गई है। किसी भी जातक की बुरी नजर उतारने के लिए गाय की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है।

• एक गाय को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी-देवताओं को भोग लग जाता है। गाय के दूध, घी मक्खन, दही, गोबर, गो मूत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है। इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं। काली गाय की पूजा करने से नव ग्रह शांत रहते हैं,

• जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है, उनको शत्रुओं और ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि कोई भी कार्य अटका हुआ हो और बारघ्-बार प्रयत्न करने पर भी नहीं हो रहा हो तो गाय के कान में संबंधित कार्य को कहिए, रुका हुआ कार्य शीघ्र संपूर्ण हो जाएगा।

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