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CG BJP की चिंता: ABVP के पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति पर चिंता, सरकार के खिलाफ मुद्दों पर अलग-अलग ग्रुप में बात

राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान, सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत, RSS के प्रांत संघ चालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना के अलावा स्थापना के समय से जुड़े कार्यकर्ता जुटे

CG BJP की चिंता: ABVP के पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति पर चिंता, सरकार के खिलाफ मुद्दों पर अलग-अलग ग्रुप में बात
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By NPG News

रायपुर, 02 मई 2022। छत्तीसगढ़ में चुनाव-दर-चुनाव भाजपा की हार और कमजोर स्थिति पर अब आरएसएस और आनुषांगिक संगठनों ने चिंतन-मंथन शुरू कर दिया है। एबीवीपी के पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने जुटे पूर्व छात्र नेताओं और वर्तमान में भाजपा समेत अन्य संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भाजपा की स्थिति पर मंथन किया। साथ ही, राज्य सरकार के खिलाफ कौन-कौन से मुद्दे हैं, उसे लेकर भी अलग-अलग ग्रुप बनाकर बात की गई। जो फीडबैक आए हैं, उसे नोट किया गया है। पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन में राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत के अलावा छत्तीसगढ़ के प्रांत संघ चालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, सांसद अरुण साव, सच्चिदानंद उपासने, यशवंत जैन, डॉ. विमल चोपड़ा, सुब्रत चाकी, महेश गागड़ा, अनुराग सिंहदेव आदि जुटे। इस सम्मेलन को इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि क्योंकि आने वाले समय में आरएसएस के आनुषांगिक संगठन भाजपा के बैकअप के लिए काम करेंगे।

राजनीति, एनजीओ और किसी भी दायित्व नहीं होने वालों से अलग चर्चा


सम्मेलन में जुटे पूर्व कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने वैसे तो उन दिनों को याद किया, जब वे एबीवीपी में काम करते थे। हंसी-ठिठोली भी हुई, लेकिन पुरानी यादों में पुराने संघर्षों की कहानियां भी थीं। इन कहानियों के साथ वर्तमान में जो भी कार्यकर्ता हैं, उन्हें फिर से एकजुट होकर काम करने और संघर्ष करने का संदेश दिया गया। सम्मेलन के दौरान अलग-अलग कार्यकर्ताओं को अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया।

ये ग्रुप आनुषांगिक संगठन, राजनीति, एनजीओ और अन्य पेशे से जुड़े कार्यकर्ताओं का था। सभी से अलग-अलग विषयों पर बात हुई। कुछ कार्यकर्ताओं ने 2018 चुनाव में हुई हार और वर्तमान में जो कमियां हैं, उन्हें उजागर किया। कुछ ने राज्य सरकार के कमजोर पहलू और पीएम आवास, श्रमिकों को राशि नहीं मिलने जैसे मुद्दों को रखा। कांग्रेस सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ियावाद के मुद्दे पर जिस तरह से आम भावनाओं से जुड़ने की पहल को सराहा गया, वहीं भाजपा की सरकार में विकास के जो काम हुए थे, उन पर ब्रेक लगने पर चिंता भी जताई।

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