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सर्दी की काॅमन बीमारियाँ: सर्दी के साथ आने वाली ये बीमारियां बन जाती हैं सरदर्द, संभल के रहिएगा, थोड़ी सावधानी और घरेलू उपाय देंगे राहत

सर्दी की काॅमन बीमारियाँ: सर्दी के साथ आने वाली ये बीमारियां बन जाती हैं सरदर्द, संभल के रहिएगा, थोड़ी सावधानी और घरेलू उपाय देंगे राहत
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By NPG News

NPG DESK

सर्दी खुशी-उत्साह,अच्छे फल-सब्जियों के अलावा छोटी-बड़ी बहुत सी तकलीफ़ें भी साथ लेकर आती है। यदि घर में छोटे बच्चे और बुज़ुर्ग हैं तब तो पहले से टेंशन होना लाज़मी भी है। इस लेख में हम ऐसी ही काॅमन सी लगने वाली बीमारियों की बात करेंगे जो असल में बहुत अधिक परेशान कर देती हैं। कुछ सावधानियां और कुछ घरेलू उपाय अपनाकर आप इन तकलीफ़ों से राहत पा सकते हैं।

सर्दी-जुकाम

मौसम बदलने पर सबसे आम बीमारी है सर्दी - जुकाम।इस मौसम में आपको हर दूसरे घर से खांसने-छींकने की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें यह और जल्दी पकड़ता है। संक्रमण वाली इस बीमारी के वारयस से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना होता है। बार-बार हाथ को साबुन से धोते रहना चाहिए, ताकि संक्रमण से बचे रह सकें। यह वायरल इंफेक्शन है, इस कारण इसमें एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती और यह 5 से 7 दिन में खुद ही ठीक हो जाता है। इसमें भाप, नमक के पानी के गरारे आदि काफी लाभदायक हैं। इसमें गर्म तरल पदार्थ का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। ठंडी चीज़ों आइसक्रीम, कोल्ड-ड्रिंक से दूरी बना कर रखें।

रूखी त्वचा

सर्दियों में अधिक कपड़े पहनने से शरीर को मॉइश्चर नहीं मिलता, जिससे त्वचा ड्राइ हो जाती है। इससे वे फटने लगती हैं। त्वचा को ड्राइ होने से बचाने के लिए मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं। त्वचा को ड्राइनेस से बचाने के लिए मलाई या तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए घरेलू दवाएं या अपने डॉक्टर से सलाह लेकर दवा ले सकते हैं।

जोड़ों में दर्द

हालांकि, सर्दियों में जोड़ों के दर्द के पीछे कोई वैज्ञानिक या चिकित्सा प्रमाण नहीं है, लेकिन कई लोग हैं जो विशेष रूप से इससे पीड़ित रहते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में वायुमंडलीय दबाव में गिरावट के साथ शरीर में 'पेन रिसेप्टर्स' अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। जिसकी वजह से टिशूज़ में सूजन आ जाती है और जोड़ों में दर्द होने लगता है।

यदि आप या आपके घर के बुजुर्ग जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो ये उपाय काम आ सकते हैं-

1.गर्म सिकाई करें। ये एंटी-इंफ्लेमेटरी के रूप में काम करता हैं और दर्द से राहत देता हैं। गर्म सिकाई के लिए हाॅट पैड या गर्म पानी की बॉटल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

2.अदरख का प्रयोग करें। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

3.तुलसी जोड़ों के दर्द और गठिया से राहत दिलाने का भी काम करती है।घुटने के दर्द से राहत पाने के लिए आप दिन में 3-4 बार तुलसी की चाय पी सकते हैं।

4.हल्दी एक जादुई मसाला है।इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।राहत के लिए आधा चम्मच पिसी हुई अदरक और हल्दी को एक कप पानी में 10 मिनट तक उबालें, छान लें, स्वादानुसार शहद डालें। इस चाय का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं।

अस्थमा

यह एक एलर्जिक बीमारी है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है, इस मौसम में उनकी तकलीफ बढ़ जाती है। सर्दियों में कोहरा बढ़ जाता है। एलर्जी के तत्व इस मौसम में कोहरे की वजह से आसपास ही रहते हैं, हवा में उड़ते नहीं हैं। इन तत्वों से अस्थमा के रोगियों को अधिक तकलीफ होती है। इस कारण इस मौसम में ऐसे लोगों के लिए धूल-मिट्टी से बचना बहुत जरूरी है। दवा खा रहे हैं तो उसे नियमित रूप से लें। कोई दवा चूकें नहीं, क्योंकि ऐसे में एलर्जी का अटैक बढ़ सकता है।

टॉन्सिलाइटिस

बच्चों में पाई जाने वाली यह आम समस्या भी टॉन्सिल में संक्रमण के कारण होती है।टाॅन्सिल में सूजन आ जाने के कारण गले में काफी दर्द होता है। खाना खाने में दिक्कत होती है, तेज बुखार भी हो सकता है। यह बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से हो सकता है। इससे बचे रहने के लिए इस मौसम में ठंडी चीजों का प्रयोग करने से बचें। गर्म भोजन और गुनगुने पानी का प्रयोग करें।

कान में दर्द, इंफेक्शन

सर्दी के मौसम में अत्यधिक ठंड और नमी से कान के इफेक्शन का जोखिम बढ़ता है। तीव्र कान का संक्रमण सर्दी की एक आम समस्या है, जो रातों-रात हो सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि इसकी जल्द से जल्द पहचान कर डाॅक्टर से परामर्श ले लेना चाहिए। कान का बंद होना और खुजली के साथ-साथ दर्द भी सर्दी से संबंधित इस समस्या का प्राथमिक लक्षण है।

ब्रॉन्काइटिस

ब्राॅन्काइटिस फेफड़ों का संक्रमण (वायरल) है। यह श्वासनलियों में होने वाली सूजनकारी बीमारी है। यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इसकी वजह से फेफड़ों के सबसे छोटे वायु मार्ग में बलगम बनने लगता है। क्योंकि यह एक संचारी रोग है, इसलिए आपको अपनी और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक एहतियाती उपाय करने चाहिए ।छोटे-छोटे ये घरेलू उपाय भी आज़मा सकते हैं।

- भोजन में साबुन अनाज और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट का इस्तेमाल करें।

-नट्स में बादाम और अखरोट का सेवन करें।

-तरल पदार्थ, हर्बल टी और सूप अधिक मात्रा में पिएँ।

-कच्चे प्याज का सेवन करें, इसमें सूजन कम करने के गुण होते है।

-फलों में सभी तरह की बेरिज़, पालक और गाजर खाएं। यह एंटी-ऑक्सिडेट्स से भरपूर होते हैं।

हाइपोथर्मिया

सर्दियों में अगर शरीर का ताप 34-35 डिग्री से नीचे चला जाए तो उसे हाइपोथर्मिया कहते हैं। इसमें हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं, सांस लेने में तकलीफ होती है। हार्ट बीट बढ़ जाती है, बीपी कम हो जाता है। अगर शरीर का तापमान कम हो जाए तो मृत्यु भी हो सकती है। तेज ठंड का सामना करने से बचें। गर्म कपड़े पहने।

बेल्स पाल्सी

इसे फेशियल पेरालिसिस कहते हैं। यह सर्दियों में बड़ा सामान्य है। इसमें मुंह टेड़ा हो सकता है, आंख खराब हो सकती है। कान के पास से सेवेंथ क्रेनियल नस गुजरती है, जो तेज ठंड होने पर सिकुड़ जाती है। इसकी वजह से यह बीमारी होती है। इसमें मुंह टेड़ा हो जाता है, मुंह से झाग निकलने लगता है, बोलने में जबान लड़खड़ाने लगती है और आंख से पानी आने लगता है। अगर आप लंबे समय तक ठंड में हैं तो कान की उस नस को नुकसान हो सकता है। खासकर ड्राइविंग करने वालों, रात में बिना सिर को ढके कहीं जाने वालों में इसका खतरा बढ़ जाता है, इसलिए मफलर का प्रयोग करें, गाड़ी के शीशे बंद रखें।

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