Chhattisgarh Shikshak News: शिक्षकों के साथ मजाक: छत्तीसगढ़ में 17 साल से सेवा दे रहे शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का भद्दा मजाक, खुद दी नौकरी फिर अचानक दिखा दिया कई शिक्षकों को बाहर का रास्ता...
Chhattisgarh Shikshak News: शिक्षकों के साथ मजाक: छत्तीसगढ़ में 17 साल से सेवा दे रहे शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का भद्दा मजाक, खुद दी नौकरी फिर अचानक दिखा दिया कई शिक्षकों को बाहर का रास्ता...
दुर्ग। स्कूल शिक्षा विभाग में जो न हो वह कम है....अब ज्वाइंट डायरेक्टर दुर्ग का ही मामला लीजिए, जहां 17 साल से शिक्षा विभाग को सेवा दे रहे कई वरिष्ठ शिक्षकों को अचानक नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। मामला यह है कि शिक्षा विभाग में एक दशक से भी अधिक समय से सेवा दे रहे कई शिक्षकों ने नई शिक्षक भर्ती मैं भाग लेकर और व्यापम की परीक्षा पास कर नौकरी हासिल की और नौकरी देने से पूर्व उनके कार्यालय द्वारा दो दो बार उनका सत्यापन भी किया गया है। लेकिन जेडी दुर्ग में कई डबल स्नातक डिग्रीधारी शिक्षकों को अब यह कहकर नौकरी से बाहर कर दिया गया है की उनके द्वारा हासिल की गई टीईटी की डिग्री उनके द्वितीय स्नातक के पूर्व की है। ऐसे में उनके टीईटी की डिग्री को अमान्य बताया जा रहा है।
शिक्षक मनोज कुमार की बात करें तो वह बतौर शिक्षाकर्मी मई 2005 से अपनी सेवाएं दे रहे थे। उस समय उनका चयन शिक्षाकर्मी वर्ग 3 के रूप में हुआ था। 12वीं बेस पर भर्ती होने वाले मनोज ने 2006 में कला संकाय में स्नातकोत्तर किया और 2008 में डीएड। इसके आधार पर 2009 में उनका नियमितीकरण हुआ। उसके बाद 2014 में उन्होंने कला संकाय से टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद 2018 में अंग्रेजी साहित्य, राजनीति और समाजशास्त्र लेकर फिर से बीए किया। 2019 में शिक्षक भर्ती के लिए फॉर्म भर कर उन्होंने विभाग से नियमानुसार अनुमति ली और तकनीकी त्यागपत्र हासिल कर 2021 में अंग्रेजी शिक्षक के पद पर हिर्री शाला में पदभार ग्रहण किया। इसके 2 साल बाद विभाग की नींद खुली और जेडी दुर्ग ने उन्हें यह कहते हुए पद से बर्खास्त कर दिया कि आपका टीईटी दूसरे स्नातक के पूर्व का है इसलिए मान्य नहीं है। ऐसे में एक शिक्षक जो पिछले 17 साल से विभाग को अपनी सेवाएं दे रहा था, जिसने सारी जानकारी देकर विभाग से तकनीकी त्यागपत्र हासिल किया।
जिसकी दो बार दस्तावेजों की स्वयं जेडी कार्यालय दुर्ग द्वारा जांच की गई और सारे छानबीन के बाद नौकरी दी गई उसे 2023 में विभाग ने अयोग्य पाया और नौकरी से बाहर निकाल दिया। पहली नौकरी जिसमें वह था वह पहले ही त्याग चुका है और विभाग ने इतनी भी सहानुभूति नहीं दिखाई कि उसे धारणाधिकार अधिनियम के तहत पुरानी नौकरी ही दे दे। ऐसे में शिक्षक दर-दर भटकने को मजबूर है। जबकि इसी प्रकार के मामले में नापतौल विभाग के द्वारा अपने कर्मचारी को फिर से पुरानी नौकरी दे दी गई है।
सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने बताया कि इस मामले में जेडी दुर्ग ने राज्य के अधिकारियों को न तो विश्वास में लिया है और न ही नियमानुसार कार्यवाही की है। टीईटी की वैधता सरकार ने लाइफटाइम कर दी है और शासन द्वारा जो परीक्षा ली जाती है उसमें जिन दो विषयों पर स्नातक डिग्री शिक्षक ने हासिल किया है उन दोनों ही विषयों में टीईटी की परीक्षा सेम होती है और सिलेबस एक है। ऐसे में शिक्षक के टीईटी को अमान्य ठहराया ही नहीं जा सकता, साथ ही तकनीकी त्यागपत्र देकर नई नौकरी में आए शिक्षक के पास धारणाधिकार अधिनियम के तहत पूर्व नौकरी में जाने का भी विकल्प होता है उसे लेकर भी जेडी दुर्ग के द्वारा कोई पहल नहीं किया गया , उल्टे शिक्षकों को बीच मझधार में छोड़ दिया गया है, न ही जेडी दुर्ग द्वारा उन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है जिन्होंने दो बार सत्यापन के दौरान ऐसे कर्मचारियों को पात्र माना था।
यदि कर्मचारी अपात्र हैं तो फिर पूरी जिम्मेदारी सत्यापनकर्ता अधिकारियों की भी है जिनकी कोई जिम्मेदारी नहीं की गई। यह मामला केवल मनोज कुमार का नहीं है बल्कि कई शिक्षकों को इसी प्रकार नौकरी से नियम विरुद्ध हटा दिया गया है जिस के संबंध में हम ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है और जरूरत पड़ने पर न्यायालय की भी शरण ली जाएगी।