Chhattisgarh Promotion Breaking: प्राचार्य पदोन्नति पर SC का छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस, 4 अगस्त को होगी सुनवाई
जिस अनुभव के आधार पर शासकीयकरण किया उसी अनुभव को पदोन्नति के लिए दरकिनार क्यो?- अधिवक्ता
रायपुर। प्राचार्य पदोन्नति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस भेजा है। साथ ही मामले की सुनवाई 4 अगस्त को होने की जानकारी दी है।
दरसअल, वर्तमान प्रकरण उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के आदेश 9 मार्च युगल पीठ के रीट एप्लीकेशन क्रमांक 196/ 2002,,30/3/ 2023 डब्ल्यू पी एस 1472/ 2021 जिसे खारिज किया गया था, जिसे उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया गया है। याचिकाकर्ता रामगोपाल साहू व चिंताराम कश्यप द्वारा एल बी संवर्ग को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एस एल पी 6708 /2023 दायर की।
सुप्रीम कोर्ट के विद्वान अधिवक्ता आशुतोष घड़े, व गौरव अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत करते हुए व्याख्याता एल बी संवर्ग को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति देने हेतु छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देश जारी करने का पक्ष रखा है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश जे के माहेश्वरी ने याचिका को स्वीकार करते हुए छत्तीसगढ़ शासन को नोटिश जारी कर जवाब प्रस्तुत करने को कहा है, इसके लिए 4 अगस्त 2023 को सुनवाई तय किया गया है।
जून 2023 तक व्याख्याता एल बी संवर्ग का अनुभव 5 वर्ष पूर्ण हो जाएगा, अतः 1 जुलाई 2023 की स्थिति में व्याख्याता ई / टी संवर्ग व व्याख्याता ई / टी एल बी संवर्ग एवं प्रधान पाठक का वरिष्ठता सूची जारी कर एक साथ समस्त प्राचार्य पद पर पदोन्नति किये जाने से न्यायालयीन बाधा नही होगी।
पदोन्नति के जो वैधानिक नियम 2019 में बनाया गया, उसमें व्याख्याता पंचायत एलबी और रेगुलर व्याख्याताओं के बीच में कोई अंतर नहीं किया जा सकता इस विषय पर न्यायिक दृष्टांत सब इंस्पेक्टर रूपलाल विरुद्ध लेफ्टिनेंट गवर्नर (2000)1 SSC 644 अनुकरणीय है ।
शिक्षाकर्मी भर्ती नियम 1998 के आधार पर व्याख्याता के समकक्ष पद पर ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा समान योग्यता, समान कार्य प्रकृति व सामान्य दक्षता के आधार पर शिक्षाकर्मी ग्रेड 1 की भर्ती व्याख्याता की पद पर ही स्कूल शिक्षा विभाग की व्याख्याता के समान हुआ था।
2012 में शिक्षा कर्मी वर्ग 1 को व्याख्याता पंचायत पदनाम दिया गया जो 2013 में व्याख्याताओं के समतुल्य वेतनमान प्रदान किया गया, जो 8 वर्ष या उससे अधिक के अनुभवी व्याख्याताओं को ।
इनके ऊपर भी छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1961 के आधार पर पूर्व सेवाओं की प्रकृति समान है। योग्यता अवधि कैलेंडर की पहली जनवरी होगी, वर्ष में जब उम्मीदवार "फीडर" में शामिल हो गया है तो 5 वर्ष का बंधन बताकर व्याख्याता एल बी संवर्ग को पदोन्नति से वंचित नही किया जा सकता।
राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में संविधान की धारा 309 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए नियम बनाकर स्कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य के पद पर नियमित व्याख्याताओं की तरह ही कोटा अंतर को छोड़कर व्याख्याताओं (पंचायत) की नियुक्ति की अनुमति दी। 25% व्याख्याता (पंचायत) और 75% व्याख्याता ई /टी संवर्ग से पदोन्नति का प्रावधान किया था। दोनों में कोई भेद नही रखा गया था।
30/6/2018 में राज्य शासन ने नियम बनाकर 8 वर्ष या अधिक अनुभवी शिक्षक व्याख्याताओं को स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूल में संविलियन किया जिसे शिक्षक या व्याख्याता एल बी संवर्ग नाम देकर समान वेतनमान दिया गया जबकि अन्य लाभ संविलियन तिथि से देने की बात कही गई और विभाग द्वारा इनके विषय में अन्य लाभ के लिए नियम बाद में बनाने की बात पैरा 7 में कहा गया।
2019 में राज्य शासन द्वारा भर्ती पदोन्नति नियम बनाया गया इस आधार पर रेगुलर व्याख्याता के समकक्ष शिक्षण पदोन्नति हेतु 5 वर्ष का अनुभव का नियम बनाया गया जो एलबी संवर्ग और रेगुलर संवर्ग दोनों में कोई भेद नहीं रखा जिसमें फीडर काडर से पदोन्नति हेतु गणना 1 जनवरी के आधार पर किए जाने का उल्लेख है, क्योंकि दोनों की सेवाओं की प्रकृति सामान परिस्थिति और कर्तव्य की जवाबदेही की प्रकृति समान है अतः अवसर नहीं देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के प्रतिकूल है।
इनका संविलियन 8 वर्ष की सेवाओं के बाद किया गया है इसलिए रेगुलर व्याख्याता और एलबी संवर्ग के व्याख्याता पर भेद नहीं किया जा सकता छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1961 भी समान प्रकृति के पूर्व सेवाओं को गणना योग्य मानता है
व्याख्याता (पंचायत) को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन के माध्यम से "सेवाओं" का हिस्सा बनाया और संवर्ग को विभाग के नियमित व्याख्याताओं के साथ समकक्ष (समतुल्य) माना।
2013 में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय, छत्तीसगढ़ सरकार ने 8 साल की सेवा (जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल हैं) को पूरा करने वाले व्याख्याताओं (पंचायत) को समान वेतन दिया है। इस प्रकार राज्य सरकार ने भी मान्यता दी है कि 8 वर्ष या उससे अधिक अनुभव वाले व्याख्याताओं (पंचायत) के पद को राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग में व्याख्याताओं के समान माना जाएगा। यह ध्यान रखना उचित है कि उक्त नियम विशेष रूप से छत्तीसगढ़ (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम, 1961 के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना लागू किए गए हैं, जो स्थायी रूप से पूर्व समतुल्य ग्रेड धारण करने की तिथि से वरिष्ठता की गणना के लिए प्रदान करते हैं।