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Chhattisgarh News: प्रमोशन के संबंध में जारी आदेश पूर्व के आदेश का सिर्फ संशोधन... अफसर ने किया स्पष्ट, इसलिए जारी करना पड़ा...

Chhattisgarh News: प्रमोशन के संबंध में जारी आदेश पूर्व के आदेश का सिर्फ संशोधन... अफसर ने किया स्पष्ट, इसलिए जारी करना पड़ा...
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By NPG News

Chhattisgarh News: रायपुर। प्रमोशन को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग ने डीपीआई को कोई नया निर्देश जारी नहीं किया है बल्कि यह पूर्व में स्कूल शिक्षा विभाग के ही अवर सचिव विजय कुमार चौधरी द्वारा जारी किए गए उस आदेश का संशोधन है जिसमें केवल एक याचिकाकर्ता गायत्री देवांगन के नाम का उल्लेख था। इससे यह भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई थी कि केवल उनके प्रकरण में कार्यवाही करते हुए प्रमोशन किया जाना है। आज उसी आदेश को संशोधित करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव पुलक भट्टाचार्य ने संशोधित आदेश जारी किया है और न्यायालय के डबल बेंच ने प्रमोशन से संबंधित जितने मामलों में अपना निर्णय सुना कर याचिकाएं खारिज की है। उन सब का उल्लेख इस आदेश में किया गया है ताकि सभी निर्णय को ध्यान में रखकर आगे की कार्यवाही की जा सके। गौरतलब है कि इससे पहले भी NPG ने इस बात को प्रमुखता से प्रकाशित किया था कि लोक शिक्षण संचालनालय की तरफ से स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा जा रहा है स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से लोक शिक्षण संचालनालय को और दोनों ही स्पष्ट आदेश जारी करने से बच रहे हैं । निचले स्तर पर प्रमोशन की कार्यवाही तभी हो पाएगी जब उच्च कार्यालय से निचले स्तर के अधिकारियों को निर्देश प्राप्त होंगे इस लिहाज से अभी भी स्थिति वही है जहां पहले थी ।

NPG से बात करते हुए आदेश जारी करने वाले अवर सचिव पुलक भट्टाचार्य ने बताया कि

" स्कूल शिक्षा विभाग में अवर सचिव के द्वारा जो पूर्व में आदेश जारी किया गया था आज जारी आदेश उसका संशोधन मात्र है क्योंकि उसमें केवल एक याचिकाकर्ता गायत्री देवांगन के ही याचिका का उल्लेख था आज जो आदेश जारी किया गया है उसमें न्यायालय के अन्य याचिकाओं को भी उल्लेखित किया गया है इसके अतिरिक्त इसमें नया कुछ भी नहीं है । "

शिक्षक प्रमोशन पर चिट्ठी-चिट्ठी का खेल: छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा और DPI में नहीं है तालमेल? पढ़िए प्रमोशन करने का किसे है अधिकार....

रायपुर 24 मार्च 2023। स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति के लिए डीपीआई है और अन्य व्यवस्थाओं के लिए स्कूल शिक्षा विभाग। लेकिन दोनों का तालमेल इतना जबरदस्त है की दोनों ही कार्यालय एक दूसरे को प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पत्राचार कर रहे हैं। और तो ऐसा लग रहा है मानो कार्रवाई स्कूल शिक्षा विभाग की नहीं बल्कि पुलिस विभाग की है और थाना क्षेत्र को लेकर जिस प्रकार की स्थिति कई बार देखने को मिलती है उसी प्रकार स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआई में देखने को मिल रही हैं । प्रमोशन पर बैन हटे लगभग 15 दिन हो चुके हैं और उच्च न्यायालय ने अधिकांश याचिकाओं को खारिज कर पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है लेकिन डीपीआई और स्कूल शिक्षा विभाग को अभी यही स्पष्ट नहीं है कि निचले स्तर के अधिकारियों को आदेश कौन जारी करेगा, इसे इन 2 आदेशों से समझिए की सबसे पहले 14 मार्च को हाईकोर्ट के गायत्री देवांगन प्रकरण का जिक्र करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र प्रेषित किया और यह संज्ञान में लाया की पदोन्नति के संबंध में उच्च न्यायालय से सारे प्रकरणों का निराकरण हो चुका है। अतः सभी नियुक्ति करने वाले अधिकारियों को पदोन्नति की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ कर अतिशीघ्र पूर्ण करने के संबंध में निर्देश आज ही जारी करें । इधर डीपीआई ने इस संबंध में तत्काल कोई आदेश तो जारी नहीं किया बल्कि उस पत्र के लगभग 10 दिन बाद सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र प्रेषित किया और यह बताया कि इससे पूर्व जो पदोन्नति हो रही थी यानी हाईकोर्ट में पदोन्नति पर लगने से पहले उसमें लोक शिक्षण संचालनालय ने पदोन्नति के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए थे और उन्हीं निर्देशों को पत्र में सुझाव के रूप में उल्लेखित करते हुए सचिव से समुचित निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है । अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि दोनों में से आदेश जारी करेगा तो करेगा कौन, डीपीआई या स्कूल शिक्षा विभाग ! इधर पदोन्नति की राह देख रहे शिक्षक अलग परेशान है की आखिर निर्देश देगा तो देगा कौन ???

आखिर किसे है अधिकार.... इधर दोनों पत्र सामने आने के बाद शिक्षक भी इस बात को लेकर असमंजस में है कि वास्तव में दिशा निर्देश देने का कार्य किसका है तो यहां हम आपको यह बताते चलें लोक शिक्षण संचालनालय भर्ती और पदोन्नति प्रक्रिया को संचालित करने के लिए है इससे पूर्व भी नई भर्ती की सारी प्रक्रिया डीपीआई के द्वारा ही संचालित की गई थी और वर्तमान में जिन पदों पर प्रमोशन होना है उसमें भी पूरी कार्यवाही जेडी और डीपीआई से ही होनी है क्योंकि जहां शिक्षक और मिडिल स्कूल प्रधान पाठक का नियोक्ता जेडी रहेगा वही लेक्चरर का स्वयं डीपीआई और इन्हीं 3 पदों पर सहायक शिक्षकों और शिक्षकों का प्रमोशन होना है जिस पर रोक लगी हुई थी । किसी और तकनीकी पहलुओं को लेकर यदि अंदर ही अंदर पेच फंसा हो और उस पर डीपीआई सचिव स्कूल शिक्षा विभाग से मार्गदर्शन चाहते हो तो वह बात अलग है ।

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