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Chhattisgarh News: मंडी कानून में बड़ा बदलाव: छत्‍तीसगढ़ में अब मंडी समिति निधि से होंगे यह सब काम, देखें गजट नोटिफिकेशन

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Chhattisgarh News: मंडी कानून में बड़ा बदलाव: छत्‍तीसगढ़ में अब मंडी समिति निधि से होंगे यह सब काम, देखें गजट नोटिफिकेशन
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ सरकार मंडी कानून में बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब मंडी समिति निधि के पैसे का उपयोग मंडी विकास के अतिरिक्‍त दूसरे कामों में भी किया सकेगा। सरकार ने इस बदलाव को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। साथ ही दावा-आपत्ति के लिए 7 दिन का समय दिया है।

नोटिफिकेशन के अनुसार मंडी समितियों के पास मंडी प्रांगण एवं मंडी क्षेत्र में विभिन्न तरह के निर्माण कार्य कराने के लिए मंडी समिति निधि एवं स्थाई निधि रहती है। मंडी समिति प्रत्येक वर्ष फरवरी में जब अपने अगले वर्ष के बजट का निर्माण करेगी तब वह यह अनुमान करेगी कि उक्त वित्तीय वर्ष में मण्डी समिति को कितनी आय होने की संभावना है। संभावित आय में से स्थाई निधि, आरक्षित निधि, बोर्ड शुल्क, स्थापना व्यय, स्टेशनरी व्यय एवं अन्य आवश्यक व्यय घटाने के पश्चात् जो राशि शेष बचती है, उसे निर्माण कार्यों के लिए संभावित उपलब्ध राशि माना जायेगा। इसके पश्चात् यह गणना की जायेगी कि पूर्व से स्वीकृत एवं निर्माणाधीन कार्यों पर अगले वर्ष के दौरान कितना व्यय संभावित है। मंडी को, निर्माण कार्यों के लिए उपलब्ध होने वाली कुल राशि में से उपरोक्तानुसार राशि घटाई जायेगी। इसके पश्चात् जितनी राशि शेष बचती है उतनी ही राशि निर्माण कार्यों के लिए उपलब्ध राशि होगी। किसी भी स्थिति में अधिक राशि के कार्य प्रस्तावित न किया जाये। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (निधि विनिधान रीति) नियम, 1975 के नियम 3 के उप-नियम (1) के अनुसार मंडी समिति निधि के अधिशेष के विनिधान की रीति के अधीन मंडी वर्ष की समाप्ति में बचत मंडी समिति निधि के अधिशेष राशि को, वर्ष की समाप्ति के 3 माह के अंदर स्थाई निधि में जमा की जायेगी। वार्षिक कार्य योजना के अतिरिक्त मंडी समिति में उपलब्ध मंडी समिति निधि/स्थाई निधि से मंडी समिति द्वारा पृथक से भी निर्माण कार्य प्रस्तावित किये जा सकते हैं।

मंडी प्रांगण/उपमंडी प्रांगण में प्रस्तावित कार्यों के अतिरिक्त मंडी क्षेत्र के विकास के लिए निम्नलिखित निर्माण कार्यों की सूची, प्रथम स्तरीय प्राक्कलन के आधार पर तैयार की जायेगी-

1. ग्रामों में सड़क निर्माण एवं ग्रामों को मुख्य मार्ग से जोड़े जाने हेतु पहुंच विहिन सड़कों का निर्माण।

2. मुख्य मार्ग की ऐसी पुल-पुलिया का निर्माण, जिसकी अधिकतम लागत 20-25 लाख हो।

3. ग्राम पंचायत में किसान भवन का निर्माण, (अधिकतम लागत 20 लाख तक)।

4. ग्राम पंचायत में सामुदायिक भवन निर्माण, (अधिकतम लागत 20 लाख तक)।

5. धान उपार्जन केन्द्रों में सुविधाएं एवं अधोसंरचना निर्माण।

6. ग्राम पंचायतों में सांस्कृतिक मंच/शेड का निर्माण, (अधिकतम लागत 15 लाख तक)।

7. ग्राम पंचायतों में व्यवसायिक परिसर/दुकान निर्माण, (अधिकतम लागत 20 लाख तक)।

8. ग्रामों में सी.सी.रोड़ निर्माण की स्वीकृति (अधिकतम लागत 20 लाख तक)।

9. उपरोक्त कार्य के अलावा अन्य कार्य माननीय अध्यक्ष, मंडी बोर्ड की अनुमति से किये जा सकेंगे।

वार्षिक कार्य योजना के अतिरिक्त, प्रस्तावित कार्यों की स्वीकृति/अनुमोदन, प्रबंध संचालक मंडी

बोर्ड/संचालक कृषि विपणन से प्राप्त करनी होगी।

मंडी समिति से तकनीकी स्वीकृति के लिए प्रकरण प्राप्त होने पर, 15 दिवस के अंदर, बोर्ड के उप अभियंता द्वारा प्रत्येक कार्य का स्थल पर ट्रायल पिट लिया जाकर, उप अभियंता तथा सहायक अभियंता द्वारा प्राक्कलन तैयार किया जायेगा तथा वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा तैयार किया गया प्राक्कलन, विस्तृत रूपांकन एवं नक्शे, तकनीकी दृष्टि से सही हैं तथा प्राक्कलन में दरें बोर्ड द्वारा अनुमोदित मापदण्डों के आधार पर प्राक्कलित की गई है। प्रत्येक कार्य के लिए प्रस्तावित लागत के आधार पर तकनीकी स्वीकृति, बोर्ड के सक्षम तकनीकी अधिकारी द्वारा प्रदाय की जायेगी। तकनीकी स्वीकृति प्रदान करने वाले अधिकारी की यह सुनिश्चित करने की जबाबदेही होगी कि प्रस्ताव, तकनीकी दृष्टि से परिपूर्ण हो तथा उसमें भविष्य में कोई संशोधन या परिवर्तन करने की आवश्यकता न हो। तकनीकी स्वीकृति के साथ प्रत्येक निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए सक्षम अधिकारी द्वारा चरणबद्ध समय सीमा निर्धारित की जायेगी।

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 (क्र. 24 सन् 1974) की धारा 25-क की उप-धारा (4) के अनुसार निर्दिष्ट स्थाई निधि से भिन्न अपनी निधि तथा स्थाई निधि में से निर्माण कार्यों के प्रशासकीय स्वीकृति के समस्त अधिकार मंडी समिति को है, लेख है कि मंडी समिति, छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (निधि विनिधान रीति) नियम, 1975 के नियम 3 के उप-नियम (1) के अनुसार मंडी समिति निधि के अधिशेष के विनिधान की रीति के तहत स्थाई निधि में जमा राशि स्थाई प्रकृति के मद में उपयोग की स्वीकृति, संचालक कृषि विपणन से प्राप्त की जाकर, व्यय कर सकती है।

तकनीकी स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात् 1 माह के भीतर, मंडी समिति द्वारा अपनी बैठक में प्रशासकीय स्वीकृति हेतु निर्णय लिया जायेगा। मंडी समिति से अनुमोदन प्राप्त होने के उपरांत प्रशासकीय स्वीकृति, अध्यक्ष/भारसाधक अधिकारी तथा सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से जारी किये जायेंगे। बिना तकनीकी स्वीकृति के प्रकरण में प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं की जायेगी। यदि मण्डी समिति आवश्यक समझे तो, प्रशासकीय स्वीकृति देने के पूर्व राज्य मण्डी बोर्ड के अन्य किसी वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी से प्रकरण में अभिमत प्राप्त कर सकेगी। मंडी समितियों द्वारा कराये जाने वाले निर्माण कार्यों हेतु निविदायें आमंत्रित कर, कार्य संपादित कराना होगा तथा निविदा आमंत्रण प्रक्रिया, निविदा खोलना एवं निविदा की स्वीकृति, अनुबंध निष्पादन, कार्य निष्पादन, माप पुस्तिका भरा जाना, भुगतान पद्धति, कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र एवं सम्पति पंजी का संधारण, परिसम्पतियों का रख-रखाव, अनुश्रवण एवं निरीक्षण के संबंध में, प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड द्वारा पूर्व में तथा समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन मंडी समिति को करना होगा।



Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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