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Chhattisgarh News: BJP में बागियों को एंट्री: 2018 में जिनकी वजह से चुनाव हारे उन्हें फिर शामिल करने की तैयारी... नड्डा के सामने कराएंगे पार्टी में प्रवेश

Chhattisgarh News: BJP में बागियों को एंट्री: 2018 में जिनकी वजह से चुनाव हारे उन्हें फिर शामिल करने की तैयारी... नड्डा के सामने कराएंगे पार्टी में प्रवेश
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By NPG News

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2018 का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है, जब 15 साल की सरकार की उपलब्धियों के रूप में सिर्फ 15 सीटों पर जीत मिली और 75 सीटें मुट्ठी से रेत की तरह फिसल गईं। आधे से ज्यादा मंत्री हार गए। इस हार के लिए एंटी इनकंबेंसी के अलावा बगावत भी बड़ी वजह थी। कई सीटों पर बागियों ने समीकरण बिगाड़ा और इतने वोट ले गए, जो भाजपा के खाते में जुड़ जाती तो जीत तय थी। ऐसे ही दो बागियों को फिर से पार्टी में लाने की तैयारी है। आज राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में इन्हें पार्टी में प्रवेश कराया जाएगा। जो दो नाम प्रमुखता से आए हैं, उनमें बसना से संपत अग्रवाल और रायगढ़ से विजय अग्रवाल के नाम हैं। इसके अलावा दुर्ग से भी कुछ लोगों को पार्टी में लाने की बात आ रही है। इनमें कांग्रेस से जुड़े नेता होने की चर्चा है।

संपत ने फ्लैक्स से पाट दिया कार्यालय

बसना से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले संपत अग्रवाल ने कुशाभाऊ ठाकरे परिसर से लेकर एयरपोर्ट के रास्ते को फ्लैक्स और पोस्टर से पाट दिया है। बसना अघरिया बहुल सीट है, जहां से जातिगत समीकरण के आधार पर पार्टी ने डीसी पटेल को प्रत्याशी बनाया था। डीसी पटेल से पहले रूपकुमारी चौधरी विधायक थीं। उनकी टिकट काटकर डीसी को मौका दिया गया था। इससे नाराज होकर संपत ने मोर्चा खोल दिया और निर्दलीय चुनाव में उतर कर 50 हजार वोट काट दिया। भाजपा तीसरे नंबर पर चली गई।


पूर्व विधायक विजय अग्रवाल भी बने थे बागी

भाजपा से विजय अग्रवाल 2003 से 2008 तक विधायक रहे। 2018 में जब रोशन लाल अग्रवाल को टिकट दिया गया तो बागी हो गए। निर्दलीय चुनाव लडे और 42 हजार वोट अपने नाम कर लिया। रोशन लाल 15 हजार वोटों से हारे थे। इनकी वापसी की चर्चा के साथ ही कई तरह की बातें सामने आने लगी है। खबर है कि संपत अग्रवाल ने अभी से ही अपनी तैयारी कर ली है। यानी पार्टी यदि टिकट नहीं देगी तो भी वे चुनाव लडेंगे। उन्हें टिकट देने की स्थिति में अघरिया वोट बैंक को नुकसान होने का डर है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं कि किन शर्तों पर पार्टी में प्रवेश दिया जा रहा है।



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