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Chhattisgarh News: 50 से अधिक सरकारी बोर्डो और निगमों में चेयरमैन अपाइंट न होने से न सलाना बैठक हुई और न बजट पास

Chhattisgarh News: मार्च खतम हो रहा है मगर छत्तीसगढ़ के 50 से अधिक बोर्ड और निगमों में चेयरमैन के पद खाली है। इससे पहले राजनीतिक नियुक्तियां होते याने लाल बत्ती बंटने तक विभागीय मंत्रियों या सचिवों को चेयरमैन का चार्ज दिया जाता था। नीचे पढ़िये बीजेपी और कांग्रेस के समय क्या हुआ...

Chhattisgarh News: 50 से अधिक सरकारी बोर्डो और निगमों में चेयरमैन अपाइंट न होने से न सलाना बैठक हुई और न बजट पास
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 50 से अधिक सरकारी बोर्ड और निगम हैं। इनमें दर्जन भर बड़े बोर्ड या कारपोरेशन होंगे। बाकी छोटे। लगभग हर विभाग में दो-एक बोर्ड और कारपोरेशन होंगे। बड़े बोर्ड और निगमों में नागरिक आपूर्ति निगम, सीएसआईडीसी, वेयर हाउसिंग कारपोरेशन, मार्कफेड, ब्रेवरेज कारपारेशन, टूरिज्म बोर्ड, माईनिंग कारपोरेशन, मंडी बोर्ड, बीज निगम शामिल हैं। विधानसभा चुनाव 2023 के ऐलान होने से पहले कांग्रेस सरकार के दौरान नियुक्त सभी राजनीतिक चेयरमैनों ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से ये पद खाली पड़े हैं।

चूकि चेयरमैन नहीं है, सो बोर्ड और निगमों का इस साल न तो वार्षिक बैठक हो पाई है और न ही अब तक बजट पास हो पाया है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि बजट पास करने के लिए चेयरमैन का होना अनिवार्य नहीं है। सीनियर डायरेक्टर की अध्यक्षता में बोर्ड का बजट पारित किया जा सकता है। मगर किसी भी बोर्ड में अभी ये बैठक नहीं हुई है। सभी बोर्ड, निगम चैयरमैन के औपचारिक आदेश निकलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। दरअसल, सीनियर डायरेक्टर की अध्यक्षता में बोर्ड मीटिंग तभी होती है, जब चेयरमैन कहीं बाहर हैं, या अवकाश पर हैं। इस बार की परिस्थति अलग इसलिए है कि चेयरमैन का अभी कोई औपचारिक आदेश नहीं निकला है।

आमतौर पर इन बोर्डो और निगमों में लोकसभा, नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव के बाद ही राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं। राज्य बनने के बाद हमेशा लगभग ऐसा ही होता आया है। याने सरकार दिसंबर में बनी तो उसके करीब एक-डेढ़ साल बाद ही नेताओं को लाल बत्ती बंट पाती है। लेकिन, इससे पहले चेयरमैन की कुर्सी खाली नहीं रखी जाती थी। बीजेपी के 15 साल के शासन काल में तीन बार रमन सिंह मुख्यमंत्री बने और विधानसभा चुनाव के बाद विभागीय सचिवों को चेयरमैन का चार्ज दिया गया। इसी तरह कांग्रेस सरकार ने सचिवों की बजाए विभागीय मंत्रियों को चेयरमैन का प्रभार दिया था। बाद में राजनीतिक नियुक्तियां होने के बाद उनकी पोस्टिंग स्वयमेव समाप्त हो जाती है। आदेश में लिखा होता है कि पूर्णकालिक चेयरमैन के पदभार ग्रहण तक के लिए नियुक्ति की जा रही है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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