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Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: राजनांदगांव में 384 प्रत्याशी होते तो उसके लिए इतने लाख जमानत राशि जमा करनी पड़ती, जानिये कितने प्रतिशत वोट मिलने पर वापिस होती है यह राशि

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: छत्‍तीसगढ़ का राजनांदगांव सीट लगातार चर्चा में बना हुआ है। कांग्रेस ने इस सीट से प्रदेश के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को प्रत्‍याशी बनाया है। इस कारण यह सीट हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। इसके बाद बैलेट से मतदान कराने के लिए बघेल 384 लोगों से नामांकन भरने की अपील करके चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा दी थी, लेकिन बघेल का यह फार्मूला काम नहीं कर पाया।

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: राजनांदगांव में 384 प्रत्याशी होते तो उसके लिए इतने लाख जमानत राशि जमा करनी पड़ती, जानिये कितने प्रतिशत वोट मिलने पर वापिस होती है यह राशि
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: रायपुर। राजनांदगांव लोकसभा सीट से चुनाव लडने के लिए लगभग 200 से ज्‍यादा लोगों ने नामांकन फार्म खरीदे। इनमें से केवल 23 ने फार्म जमा किए। ईवीएम के बदले मत पत्र से चुनाव के संभावित विकल्प के नाम पर कांग्रेस के प्रत्याशी भूपेश बघेल ने 384 प्रत्याशी खड़ा करने का विकल्प देकर राष्ट्रीय सुर्खिया बटोरी थी।

ऐसा माना गया था कि एक ईवीएम की एक यूनिट में 16 प्रत्याशियों के नाम आते है। 384 प्रत्याशी होने पर 24 ईवीएम की आवश्यकता होगी। जिन्हे लाने ले जाने, एक दूसरे से जोड़ने, रखने,संचालन करने में जो कठनाई होगी उसका विकल्प मतपत्र से चुनाव कराना होगा। इस संबंध छत्तीसगढ़ राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी रीना बाबा साहेब कंगाले ने स्पष्ट किया था कि पूर्व आंकलन करने के बजाय परिस्थिति आने पर विचार करेंगे ।इसका अर्थ ये था कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी जानती थी कि इतना आसान नहीं है 384 प्रत्याशियों का फार्म जमा किया जाना।

समझिए...ईवीएम की वर्किंग

इलेक्‍ट्रानिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम दो यूनिटों से तैयार होती है। इसमें एक कंट्रोल यूनिट और दूसरी बैलेट यूनिट है। अब एक वीवीपैट (वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) भी लगाया जा रहा है। यानी अब कुल 3 सिस्‍टम को मिलाकर ईवीएम तैयार हो रहा है। इन सभी यूनिटों को केबल (तार) के जरिये एक दूसरे से जोड़ा जाता है। कंट्रोल यूनिट मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी के पास रहता है, जबकि बैलेट यूनिट पर बटन दबाकर मतदाता अपना वोट देता है और वीवीपैट पर मतदान की पुष्टि के लिए पर्ची दिखती है।

जानिए.. एक कंट्रोल यूनिट में जोड़े जा सकते हैं कितने बैलेट यूनिट

कंट्रोल यूनिट से एक बार में 24 बैलेट यूनिट जोड़े जा सकते हैं। एक बैलेट यूनिट में 16 प्रत्‍याशियों के नाम और चिन्‍ह दर्ज किए जा सकते हैं। इस तरह एक कंट्रोल यूनिट के जरिये 384 प्रत्‍याशी के लिए मतदान कराया जा सकता है।देश में जब ईवीएम मशीनों का मतादन के लिए उपयोग शुरू हुआ तब एक कंट्रोल यूनिट से केवल 2 बैलेट यूनिट जोड़े जा सकते थे। ऐसे में केवल 64 प्रत्‍याशियों के नाम ही शामिल हो पाते थे, लेकिन 2013 के बाद से नए जनरेशन की मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। इनमें 24 यूनिट जोड़े जा सकते हैं।

समझिए..क्‍या था भूपेश बघेल का 384 का गणित

पूर्व सीएम और राजनांदगांव से कांग्रेस प्रत्‍याशी बघेल ने बैलेट से चुनाव कराने के लिए 384 लोगों से नामांकन करने की अपील की थी। इसके पीछे बघेल का तर्क यह था कि एक ईवीएम में केवल 384 उम्‍मीदवारों के लिए ही मतदान कराया जा सकता है। ऐसे में अगर 384 उम्‍मीदवार नामांकन दाखिल करते हैं और एक नोटा मिलाकर कुल 385 उम्‍मीदवारों का नाम दर्ज करना पड़ेता, जो एक ईवीएम में संभव नहीं था। ऐसे में चुनाव आयोग को बैलेट पेपर से मतदान करना पड़ता।

जानिए...क्‍या है नामांकन की प्रक्रिया और क्‍यों हिचतके हैं लोग

सवाल यह है कि आखिर क्या कारण है कि निर्दलीय प्रत्याशी फार्म भरने में हिचकिचाते है? निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त दलों के प्रत्याशियों के लिए एक-एक प्रस्तावक और समर्थक की अनिवार्यता रखी है लेकिन निर्दलियों के लिए प्रस्तावक और समर्थको की संख्या दस दस निर्धारित रखी है। इसके अलावा सामान्य निर्दलीय को पच्चीस हजार और अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रत्याशी के लिए साढ़े बारह हजार रूपये जमानत राशि जमा करना पड़ता है। इसके अलावा संपत्ति और अपराधिक पृष्टभूमि की जानकारी शपथ पत्र में देना अनिवार्य होता है। असली दिक्कत तो चुनाव में खड़े होने के बाद आना शुरू होती है जब निर्वाचन आयोग का डंडा पड़ना शुरू होता है। चुनाव के हर दिन व्‍यय की जानकारी शाम रात तक जिला निर्वांचन अधिकारी के कार्यालय में पहुंचना अनिवार्य है अन्यथा अधिकारी खोज खबर लेने लगते हैं।

क्‍यों फेल हो गया 384 का फार्मूला

384 प्रत्याशियों के लिए दस दस प्रस्तावक और दस दस समर्थक का कुल योग देखे तो 3840 प्रस्तावक और 3840 समर्थक बिना किसी सुनियोजित योजना के कठिन कार्य है। चुनाव में फार्म भरने के साथ ₹25000भी जमा करना अनिवार्य है। किसी के आव्हान में लड़ना मतलब राशि भी देना जरूरी है। 384 सामान्य प्रत्याशियों के लिए 96 लाख रूपये की भी जरूरत होगी। कोई भी राजनैतिक पार्टी इस प्रकार के कार्य करना उचित नहीं मानेगी क्योंकि इस प्रकार के विचार व्यक्तिगत होते है। हुआ भी यही कि राजनांदगांव में 384 की जगह केवल 23 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। 4 का फार्म रिजेक्‍ट हो गया और 4 ने नाम वापस ले लिया। अब राजनांदगांव के मैदान में कुल 15 उम्‍मीदवार बचे हैं।

जानिए..क्‍या है जमानत राशि की वापसी का नियम

नामांकन के समय जमा जमानत राशि कुछ उम्‍मीदवारों को आयोग वापस कर देता है और कुछ का नहीं। जमानत राशि की वापसी के कुछ नियम है। आयोग केवल ऐसे उम्‍मीदवारों की जमानत राशि वापस करता है जो कुल वैध वोटों का 1/6 यानी छठे भाग से अधिक वोट हासिल कर लेते हैं। दूसरा उनकी जमानत राशि वापस होती है जो नाम वापस ले लेते हैं। तीसरा यदि किसी उम्‍मीदवार का निधन हो जाए तो भी उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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