Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: छत्तीसढ़ के SC वोटरों का ट्रेंड: जानिए... प्रदेश की अनुसूचित जाति सीटों पर कितना काम करता है मोदी फैक्टर
Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: छत्तीसगढ़ की 90 में से विधानसभा की 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जबकि लोकसभा की 11 में से एक सीट रिजर्व है। प्रदेश में लोकसभा का चुनाव विधानसभा चुनाव के केवल 3 से 4 महीने बाद होता है, लेकिन दोनों परिणामों में काफी अंतर रहता है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी का दबदबा रहता है। एससी सीटों पर क्या स्थिति रहती है, पढ़िये इस रिपोर्ट में...
Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 1998 के आम चुनाव से बीजेपी का दबादबा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो अब तक हुए 5 विधानसभा चुनावों में 4 बार बीजेपी की सरकार बनी है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बुरी तरह हारी। 90 में से पार्टी को केवल 15 सीट ही मिले, लेकिन 4 महीने बाद आए लोकसभा चुनाव के परिणामों में बीजेपी 11 में से 9 सीट जीतने में सफल रही। 2014 के मुकाबले बीजेपी को एक सीट का नुकसान हुआ था। 2023 में विधानसभा की 68 सीट जीतने के बावजूद कांग्रेस केवल 2 लोकसभा ही जीत पाई।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि आम चुनावों में छत्तीसगढ़ में भगवा लहर चलता है। अब भगवा लहर के साथ मोदी फैक्टर काम करता है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह बात स्पष्ट दिखता है। 2023 में कांग्रेस 68 सीट जीत, लेकिन जब लोकसभा में यह आंकड़ा घटकर 24 हो गया, जबकि विधानसभा चुनाव में केवल 15 सीट जीतने वाली बीजेपी लोकसभा के मतदान में 66 सीटों पर बढ़त बनाई। इसमें कवर्धा और पाटन सहित तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों की सीट भी शामिल थीं।
राज्य की एससी सीटों पर भगवा लहर का असर
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में होने वाले इस बदलाव का राज्य की अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षित सीटों पर कितना असर दिखता है। यह जानने से पहले यह बता दें कि राज्य की कुल आबादी का करीब 12 से 13 प्रतिशत हिस्सा एससी वर्ग का है। इस वर्ग के लिए विधानसभा की 10 और लोकसभा की एक सीट आरक्षित है, लेकिन यह वर्ग विधानसभा की करीब 25 से ज्यादा और लोकसभा की करीब 3 सीटों को प्रभावित करता है। लोकसभा चुनाव में एससी सीटों का ट्रेंड वही रहता है जो राज्य की बाकी सीटों पर रहता है। यानी लोकसभा में ज्यादातर एससी वोटर बीजेपी के पक्ष में मतदान करते हैं।
2019 में पूरी तरह पलट गया 2018 का परिणाम
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 2 एससी सीट जीत पाई थी। 7 सीटों पर कांग्रेस और एक पर बसपा का कब्जा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल 2 सीटों मस्तुरी और बिलाईगढ़ में बढ़त बना पाई। बाकी 8 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों को लीड मिली।
2013 में एक तरफ जीती थी बीजेपी
2013 के चुनाव में बीजेपी ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास बीजेपी के साथ थे। विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने चुनाव प्रचार के लिए उन्हें हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराया था। पार्टी 9 सीटे जीती, लेकिन 2018 का चुना आते-आते बालदास कांग्रेस के साथ हो गए। 2018 के चुनाव में बीजेपी बुरी तरह हारी। कहा गया कि बालदास का साथ छोड़ने की वजह से एससी सीटों पर बीजेपी का यह हाल हुआ है। ऐसे में जब 2023 के चुनाव के पहले बालदास फिर से भाजपा में आए तो फिर 2013 वाले प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
2023 में भाजपा एससी की 10 में से केवल 4 ही सीट जीत पाई है। इसमें एक मुंगेली सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। वहां से पुन्नूलाल लगातार चुनाव जीत रहे हैं। बाकी तीन सीटें बालदास के प्रभाव क्षेत्र वाली है। इसमें आरंग सीट भी शामिल है जहां से बालदास के पुत्र विधायक चुने गए हैं। बाकी दो सीट दुर्ग संभाग की सीटें हैं। नवागढ़ सीट से भाजपा के दयालदास बघेल ने कांग्रेस गुरु रुद्र कुमार को हराया है। रुद्रकुमार भी सतनामी समाज के धर्मगुरु हैं और पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।
वर्ष | भाजपा | कांग्रेस | अन्य |
2003 | 4 | 4 | 1 |
2008 | 5 | 4 | 1 |
2013 | 9 | 1 | 0 |
2018 | 2 | 7 | 1 |
2023 | 4 | 6 | 0 |