Chhattisgarh Election 2023 : भाजपा के दिग्गज पहुंचे संत प्रकाशमुनि के दरबार, इनके प्रभाव में 22 सीटें, यहां सबसे ज्यादा साहू वोटर
संत प्रकाशमुनि नाम साहब कबीर पंथ के 15वें गुरु हैं. दामाखेड़ा में इनका बड़ा आश्रम है, जहां देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं.
रायपुर. ऊपर एक तस्वीर है. बाकी तस्वीरों जैसी ही. हालांकि इस तस्वीर का संदेश काफी अहम है. पहले तस्वीर के बारे में बता दें. कबीर पंथ के गुरु संत प्रकाश मुनि नाम साहेब को भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओमप्रकाश माथुर बंदगी (अभिवादन) कर रहे हैं. पीछे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह व प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव दिखाई दे रहे हैं. वैसे भेंट मुलाकात के इस कार्यक्रम में भाजपा के तीनों महामंत्री केदार कश्यप, ओपी चौधरी और विजय शर्मा भी मौजूद थे.
हां तो बात तस्वीर की हो रही है. एक संत के सामने सिर झुकाना तो संस्कार है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि सामने जब संत हों तो हमें सिर झुकाना चाहिए. हालांकि जब संत और राजनीति का कॉम्बिनेशन हो तो उससे आशीर्वाद के साथ कई संदेश भी निकलते हैं. छत्तीसगढ़ में फिलहाल इस तस्वीर से निकलने वाला संदेश काफी बड़ा है. पहले आपको संत प्रकाशमुनि नाम साहेब के बारे में बता दें. वे कबीर पंथ के 15वें वंश गुरु हैं. दामाखेड़ा में भव्य और विशाल आश्रम है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कटोरा तालाब में इनका निवास है.
छत्तीसगढ़ में कबीर पंथ के अनुयायियों की संख्या लाखों में है. इनमें सबसे बड़ी आबादी साहू समाज की है. छत्तीसगढ़ में ओबीसी समाज में साहू समाज की जनसंख्या ज्यादा है. साहू समाज के वोटर कसडोल, अभनपुर, दुर्ग ग्रामीण, खुज्जी, कवर्धा, अकलतरा, खल्लारी, संजारी बालोद, गुंडरदेही, पाटन, महासमुंद, भाठापारा, बलौदाबाजार, बेमेतरा, साजा, लोरमी, धमतरी, डोंगरगांव, राजनांदगांव आदि मिलाकर करीब 22 सीटों पर हार-जीत तय करते हैं. ऐसे में गुरु गद्दी का आशीर्वाद इन सीटों पर हार-जीत भी तय करता है. अरुण साव भी इसी फॉर्मूले में प्रदेश अध्यक्ष बने हैं.
अब फिर से तस्वीर पर आते हैं. छत्तीसगढ़ प्रभारी माथुर, डॉ. रमन, प्रदेश अध्यक्ष साव अपने तीनों महामंत्रियों के साथ शनिवार रात को संत दर्शन के लिए उनके निवास पर पहुंचे. अभिवादन के बाद उनके बीच छत्तीसगढ़ के कई विषयों पर चर्चा हुई. जाहिर है कि जब राजनीति के दिग्गज संत के दरबार पहुंचते हैं और उनका आभामंडल इतना बड़ा है कि राजनीतिक रूप से भी बड़े वर्ग को प्रभावित करने वाला है तो बातें निकलती हैं, जो बातें दूर तलक जाती हैं. यहां बात 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा तक पहुंच गई. इस मुलाकात के 6 महीने बाद के असर पर बात होने लगी है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में आदिवासी क्षेत्रों को छोड़ दें तो दो बड़ी आबादी है. एक साहू और दूसरी कुर्मी समाज की. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद लंबे समय तक आदिवासी सीएम की मांग होती रही. हालांकि तब भाजपा ने आदिवासी समाज से प्रदेश अध्यक्ष बनाया और सीएम के रूप में सामान्य वर्ग से डॉ. रमन सिंह रहे. बाद में जब धरमलाल कौशिक प्रदेश अध्यक्ष बने तो गृहमंत्री का पद परमानेंट रूप से आदिवासी समाज के लिए ही रखा गया. पहले रामविचार नेताम, फिर ननकीराम कंवर और फिर रामसेवक पैकरा गृहमंत्री बने.
भाजपा की दो बार सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भूपेश बघेल को सौंपी थी. 2018 में कांग्रेस ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया. इसके बाद भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने. वे कुर्मी समाज के हैं. बदले में भाजपा ने कुर्मी समाज से धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाया. कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही आदिवासी समाज से प्रदेश अध्यक्ष थे. इसके बाद भाजपा ने बदलाव की चर्चा शुरू हुई. कुर्मी समाज से ज्यादा संख्या साहू समाज की है, इसलिए भाजपा ने अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नारायण चंदेल को सौंपी गई. चंदेल भी कुर्मी समाज के हैं.
वैसे भाजपा के नेता इसे एक सामान्य या सौजन्य मुलाकात बता रहे हैं. छत्तीसगढ़ प्रभारी बनने के बाद माथुर की उनसे पहली मुलाकात है. माथुर फिलहाल छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं और लगातार बैठकें कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. इसी कड़ी में वे संत प्रकाश मुनि नाम साहेब से मिलने के लिए गए थे. हालांकि जानकार यह कह रहे हैं कि बिरनपुर की घटना के बाद साहू समाज नाराज है. एक दिन पहले ही डॉ. रमन सिंह समेत प्रमुख नेता बिरनपुर गए थे. प्रदेश अध्यक्ष साव पहले ही दिन जा चुके हैं. इसके बाद संत से मिलने का कार्यक्रम रणनीतिक है.
इससे पहले आपको बता दें कि 2018 के चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी संत प्रकाश मुनि से मिल चुके हैं. इसके बाद भाजपा ने साहू समाज को 14 सीटें दी थीं. हालांकि उस समय कांग्रेस की लहर में भाजपा के 13 साहू उम्मीदवार हार गए और एकमात्र रंजना साहू ही जीत सकीं. जानकार बताते हैं कि साहू समाज का झुकाव उस समय कांग्रेस की ओर इसलिए भी था, क्योंकि ताम्रध्वज साहू के सीएम बनने की उम्मीद से समाज के लोगों ने वोट दिया था. ताम्रध्वज साहू समाज के बड़े नेता हैं. 2014 के चुनाव में मोदी लहर में चुनाव जीतने वाले वे छत्तीसगढ़ के एकमात्र सांसद थे. उन्होंने सरोज पांडेय को हराया था. सरोज पांडेय की हार के पीछे भी साहू समाज की नाराजगी सामने आई थी.
छत्तीसगढ़ की राजनीति को करीब से जानने और समझने वाले इस मुलाकात का सीधा सा अर्थ निकाल रहे हैं कि यह एक सौजन्य मुलाकात होने के बजाय राजनीतिक मुलाकात है, जिसका प्रभाव विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है.
वर्तमान साहू विधायक
कांग्रेस से शकुंतला साहू, धनेंद्र साहू, ताम्रध्वज साहू, दलेश्वर साहू, छन्नी साहू और भाजपा से रंजना साहू.
2018 में भाजपा के प्रत्याशी
काशीराम साहू, कोटा. तोखन साहू, लोरमी. मेघाराम साहू, सक्ती. कैलाश साहू, जैजैपुर. मोनिका साहू, खल्लारी. नंदकुमार साहू, रायपुर ग्रामीण. चंद्रशेखर साहू, अभनपुर. रंजना साहू, धमतरी. पवन साहू, संजारी बालोद. दीपक साहू, गुंडरदेही. मोतीलाल साहू, पाटन. जागेश्वर साहू, दुर्ग ग्रामीण. अशोक साहू, कवर्धा. हीरेंद्र साहू, खुज्जी. (इनमें सिर्फ रंजना साहू की जीत हुई.)
2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी
राजेंद्र साहू, बेलतरा. चुन्नीलाल साहू, अकलतरा. शकुंतला साहू, कसडोल, धनेंद्र साहू, अभनपुर. लक्ष्मीकांता साहू, कुरूद. ताम्रध्वज साहू, दुर्ग ग्रामीण. दलेश्वर साहू, डोंगरगांव. छन्नी साहू, खुज्जी. (इनमें राजेंद्र साहू, चुन्नीलाल साहू, लक्ष्मीकांता साहू की हार हुई.)
यहां चौंकाने वाले परिणाम
साहू बहुल कवर्धा में कांग्रेस के मोहम्मद अकबर रिकॉर्ड वोटों से जीते. लोरमी सीट में जोगी कांग्रेस के धर्मजीत सिंह की जीत हुई. दामाखेड़ा भाठापारा सीट के अंतर्गत आता है. यहां भाजपा के शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस के सुनील माहेश्वरी को हराया, जबकि जोगी कांग्रेस के चैतराम साहू तीसरे नंबर पर थे.
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