Begin typing your search above and press return to search.

Chhattisgarh Assembly Election: इस सीट पर फूल सियासी ड्रामा: दोनों तरफ बगावत और भीतरघात का खतरा

Chhattisgarh Assembly Election: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा की एक ऐसी सीट है, जहां अभी से भीतरघात और बगावत का खतरा नजर आने लगा है। यह खतरा सत्‍तारुढ़ कांग्रेस और भाजपा दोनों को है।

Chhattisgarh Assembly Election: इस सीट पर फूल सियासी ड्रामा: दोनों तरफ बगावत और भीतरघात का खतरा
X
By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Assembly Election: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में चुनावी बिसात बिछ गई है। दोनों प्रमुख राष्‍ट्रीय राजनीतिक दलों ने सभी 90 सीटों पर प्रत्‍याशियों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने अपने 22 सीटिंग एमएलए का टिकट काटा है तो भाजपा ने 2 सीटिंग एमएएलए का टिकट काटने के साथ ही 50 नए चेहरों को मैदान में उतार दिया है। टिकट कटने का सइड इफैक्‍ट नजर आने लगा है। कांग्रेस में अब तक दो विधायक और एक 2018 के प्रत्‍याशी पार्टी से बगावत कर चुके हैं। इनमें अंतागढ़ विधायक अनुप नाग निर्दलीय मैदान में उतार गए हैं। वहीं, सराईपाली से विधायक किस्‍मतलाल नंद और 2018 में पामगढ़ से कांग्रेस प्रत्‍याशी रहे गोरेलाल बर्मन ने जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ (जे) का दामन थाम लिया है। कांग्रेस ही नहीं भाजपा में भी टिकट नहीं मिलने का दर्द छलक रहा है। कई जगह प्रत्‍याशी बदलने की मांग हो चुकी है।

बहरहाल, हम यहां जिस सीट की बात कर रहे हैं, वहां कांग्रेस और भाजपा दोनों की स्‍टोरी पूरा सस्‍पेंश और ड्रामा है। टिकट नहीं मिलने से नाराज दोनों ही पर्टियों के नेता खुलकर मैदान में आ गए हैं। हालांकि बात अभी नामांकन फार्म खरीदने तक ही सीमित है। लेकिन भीतरघात का खतरा लगातार बना हुआ है। हम जिस विधानसभा सीट की बात कर रहे हैं उसका नाम है रायपुर उत्‍तर।

रायपुर उत्‍तर सीट से 2018 में कांग्रेस के कुलदीप जुनेजा ने जीती थी। यह सीट उन 7 सीटों में शामिल है, जहां कांग्रेस ने सबसे आखिरी में प्रत्‍याशी घोषित किया है। भाजपा भी इस सीट को लेकर काफी उलझन में थी। दोनों पार्टियों के उलझन की सबसे बड़ी वजह वोटर हैं। रायपुर शहर की इस महत्‍वपूर्ण सीट पर सिंधी, पंजाबी, गुजराती और ओडिया वोटरों के साथ साहू व अन्‍य ओबीसी के साथ अल्‍प संख्‍यकों की भी अच्‍छी आबादी है।

2008 में अस्तित्‍व में आई इस सीट पर पहला चुनाव कुलदीप जुनेजा ने ही जीता था। 2013 में जुनेजा भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी से हार गए। 2018 में फिर सुदंरानी जुनेजा से हार गए। यानी इस सीट से दो बार सिक्‍ख और एक बार सिंधी विधायक चुने गए हैं। इस बार कांग्रेस से सीटिंग एमएलए जुनेजा के अलावा पार्षद अजीत कुकरेजा, डॉ. राकेश गुप्‍ता सहित कुछ और दावेदार थे। वहीं, भाजपा की तरफ से श्रीचंद और पुरंदर मिश्रा के साथ ही कई और दावेदार भी थे। कांग्रेस ने अंतत: जुनेजा और भाजपा ने पुरंदर मिश्रा को टिकट दिया है।

टिकट फाइनल होने के साथ ही दोनों तरफ बगावत की आग सुलगने लगी है। कांग्रेस में टिकट के दावेदार रहे अजीत कुकरेजा ने नामांकन फार्म खरीद लिया है। कुकरेजा कह रहे हैं कि दोनों ही पार्टियों ने इस बार सिंधी समाज के एक भी प्रत्‍याशी खड़ा नहीं किया। कुकरेजा के अनुसार समाज की बैठक में मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, लेकिन क्षेत्र की जनता की सलाह पर ही कोई फैसला लूंगा। कुकरेजा ने नामांकन फार्म खरीद लिया है। इधर, भाजपा की तरफ से देवजी पटेल भी इस सीट से ताल ठोक रहे हैं। पटेल धरसींवा सीट से 3 बार के विधायक हैं। 2018 में वे चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी ने वहां से अनुज शर्मा को टिकट दिया है। ऐसे में फाफाडीह में रहने वाले पटेल ने उत्‍तर सीट से टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। पटेल ने नामांकन फार्म खरीद लिया है। भाजपा से ही सावित्री जगत ने भी इस सीट से दावेदारी कर रही हैं।

अब समझिए भीतरघात का गणित

ये तो बात हुई बगावत की, जो सभी को नजर आ रही है। लेकिन इस सीट पर बगावत के साथ ही भीतरघात का भी खतरा नजर आ रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा में टिकट के दावेदार रहे एक नेता यहां बगावत को हवा दे रहे हैं। इस बात की शिकायत पार्टी तक भी पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि कार्यवाही करने की बजाय फिलहाल पार्टी ने उन्‍हें दूसरे क्षेत्र में काम पर लगा दिया है। उधर, कांग्रेस में भी एक नेता क्षेत्र में चल रही उठापटक पर नजर बनाए हुए हैं। प्रत्‍याशी को लेकर पार्टी के अंतिम निर्णय और नामांकन खत्‍म होने का इंतजार चल रहा है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story