Chhattisgarh Assembly Election: जीत का दावा: रणविजय सिंह जूदेव का जशपुर की तीनों सीटों पर जीत का दावा, बोले-अबकी दांव नहीं लगाउंगा, लेकिन...
Chhattisgarh Assembly Election: भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह जूदेव टिकट नहीं मिलने की वजह से थोड़ नाराज हैं, लेकिन जशपुर क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशियों की जीत के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं।
Chhattisgarh Assembly Election: रायपुर। जशपुर जिला यानी स्व. दिलीप सिंह जूदेव का गढ़। वही, दिलीप सिंह जूदेव जिन्होंने 2003 के विधानसभा चुनाव में अपनी मूंछ दांव पर लगा दिया था। उन्हीं दिलीप सिंह जूदव के भतीजे हैं रणविजय सिंह जूदेव। 2013 के विधानसभा चुनाव में रणविजय सिंह ने जशपुर की तीनों सीट पर भाजपा की जीत का दावा किया था। न केवल जीत का दावा किया था बल्कि यहां तक कह दिया था कि तीनों सीटें नहीं जीते तो मेरे नाम से कुत्ता पाल लेना...नतीजा तीनों सीट भाजपा जीत गई।
मौजूदा विधानसभा चुनाव में रणविजय सिंह रायपुर उत्तर सीट से टिकट चाह रहे थे, लेकिन नहीं मिली। इसकी वजह से वे थोड़े खफा हैं। पार्टी के वाट्सएप ग्रुपों से लेफ्ट (छोड़) होकर उन्होंने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी है, लेकिन वे फिर एक बार जशपुर में पार्टी की जीत के लिए सक्रिय हैं। तीनों विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के साथ नजर आ रहे हैं। उनके चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन से लेकर जनसंपर्क में भी शामिल हो रहे हैं।
NPG.NEWS से बातचीत में रणविजय सिंह ने इस बार भी जशपुर जिला की तीनों सीट पर भाजपा की जीत का दावा किया है। उन्होंने कहा कि हर बार दांव नहीं लगाया जाता। इसलिए इस बार मैं तीनों सीट पर पार्टी की जीत का दावा कर रहा हूं, लेकिन दांव पर कुछ नहीं लगा रहा हूं। हां, इतना जरुर कहूंगा कि पार्टी की जीत का श्रेय पार्टी के कार्यकर्ताओं और क्षेत्र की जनता को जाएगा, लेकिन हार हुई तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी।
रणविजय सिंह ने कहा कि सांसद (राज्यसभा) रहते मैंने क्षेत्र के लिए काफी काम किया है। काम का प्रचार करना मेरी आदत नहीं है, लेकिन क्षेत्र की जनता और पार्टी नेतृत्व जनता है कि मैंने राज्यसभा का सदस्य रहते क्या किया है। उन्होंने बताया कि मानव तस्करी का अभिशाप जशपुर क्षेत्र की पहचान बन गया था। न केवल जशपुर बल्कि इसके आसपास के जिलों यहां तक की पड़ोसी राज्यों एमपी, ओडिशा और झारखंड में भी मानव तस्करी गंभीर समस्या थी। मैंने राज्यसभा में रहते इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठकों में भी इस विषय पर चर्चा हुई। इसके बाद इससे प्रभावित राज्यों की कई बार बैठक हुई। मानव तस्करी रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास शुरू हुए। सुषमा स्वराज जी अब नहीं हैं, उनकी भूमिका इसमें महत्वपूर्ण रही। इसका असर दिख रहा है। तस्करी की जाल में फंसी कई बच्चियों को मैंने सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया। न केवल बच्चियों और महिलाओं को बल्कि दक्षिण के राज्यों में बंधक बनाए गए श्रमिकों को भी छुड़ाने का काम किया। उन्होंने बताया कि जशपुर में एनएच का निर्माण भी उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है। बिलासपुर एयरपोर्ट के लिए भी वे लगातार सक्रिय रहे हैं।