Chhattisgarh Assembly Election: 29 से 62 पहुंची संख्या: छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने वाली पर्टियों के आंकड़े जानकर चौंक जाएंगे आप...
Chhattisgarh Assembly Election: करीब 23 साल पहले बने छत्तीसगढ़ राज्य में पांचवीं बार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। राज्य विधानसभा चुनाव में हर बार राजनीतिक दलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
Chhattisgarh Assembly Election: रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी पार्टियों की संख्या चुनाव दर चुनाव बढ़ती जा रही है। चुनाव लड़ने वाली राजनीतिक दलों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। इनमें से कई के नाम भी अजब-गजब हैं। इनमें से कुछ राजनीतिक दलों के नाम राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के नाम के समान ही है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 62 राजनीतिक दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान थे। हालांकि इनमें से आधे से ज्यादा दलों का वोट शेयर जीरो रहा। इस विशेष रिपोर्ट में हम इन राजनीतिक दलों के विषय में आपको डिटेल में बताएंगे।
छत्तीसगढ़ 2000 में अलग राज्य बना। 2003 में यहां पहली बार विधानसभा का चुनाव हुआ। इस पहले विधानसभा चुनाव में कुल 28 राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी खड़े किए। निर्दलीयों को भी एक पार्टी मान ले तो यह संख्या 29 पहुंच जाती है। 2008 में दूसरा विधानसभा चुनाव हुआ। इस बार चुनाव लड़ने वाली पार्टियों की संख्या 29 से बढ़कर सीधे 41 पहुंच गई। तीसरे विधानसभा चुनाव यानी 2013 में राजनीतिक दलों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ी, फिर भी आंकड़ा 46 तक पहुंच गया। पिछले विधानसभा चुनाव में इसमें अचाकन बढ़ोतरी हुई और आंकड़ा एक दम से सीधे 62 पर पहुंच गया। 2023 में आंकड़ा और बढ़ सकता है।
अब जान लीजिए इन पार्टियों की वोट में हिस्सेदारी
2018 में कुल 62 पार्टियों ने चुनाव लड़ा। इसमें 45 पार्टियां ऐसी रहीं जिनका वोट शेयर जीरो रहा। वहीं, शून्य से एक प्रतिशत वोट शेयर वाली पार्टियों की संख्या 11 रही। निर्दलीय सहित 6 पार्टियों को 2 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिला।
वहीं, 2013 में 46 पार्टियों ने अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। इनमें से 30 का जीरो रहा। वहीं, शून्य से एक प्रतिशत वोट शेयर वाली पार्टियों की संख्या 10 व उससे ज्यादा वोट शेयर वाली पार्टियों की संख्या 6 रही।
2008 में चुनावी रण में भाग्य आजमाने वाली 41 में से 20 पार्टियों का वोट शेयर शुन्य रहा, जबकि 6 पार्टियां ऐसी रहीं जिनका वोट शेयर एक प्रतिशत से ज्यादा रहा। 2003 में जीरो वोट शेयर वाली पार्टियों की संख्या 10 और एक प्रतिशत से ज्यादा वालों की संख्या 8 रही। इन चारों चुनावों में एक प्रतिशत से ज्यादा वोट शेयर हासिल करने वालों में निर्दलीय भी शामिल हैं।
केवल दो ही पार्टियां जो पूरे 90 सीटों पर लड़ती है चुनाव
प्रदेश की चुनावी राजनीति में इतनी बड़ी संख्या में राजनीतिक दल उतरते हैं, लेकिन दो पार्टियों को छोड़कर कोई भी पूरी 90 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा नहीं करता। बहुजन समाज पार्टी 2013 के विधानसभा चुनाव में सभी 90 सीटों पर लड़ी थी। बाकी ज्यादातर पार्टियां आधी से भी कम सीटों पर चुनाव लड़ती हैं। केवल 1 और 2 सीट पर चुनाव लड़ने वाली पार्टियों की संख्या करीब दर्जनभर है।
जानिए...2018 के चुनाव की स्थिति
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने 90-90 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा किया था। आम आदमी पार्टी ने 85, बसपा ने 35, जनता कांग्रेस (जे) ने 57 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 38 सीटों पर प्रत्याशी खड़ा किया था। इसमें 85 सीटों पर लड़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 1 प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया। 85 सीटों पर आप के प्रत्याशियों को कुल 1 लाख 23 हजार 526 वोट मिला। जीजीपी को 1.8 प्रतिशत वोट मिला। जोगी कांग्रेस 7.80 वोट शेयर और 5 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी रही। वहीं, बसपा 3.90 वोट शेयर और 2 सीट हासिल करके बसपा चौथी नंबर पर रही। पहले नंबर पर रही कांग्रेस के खाते में 43.90 प्रतिशत वोट और 68 सीटे गईं, जबकि भाजपा ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा को 33.60 प्रतिशत वोट मिला।