Chhattisgarh Assembly Election 2023: वो 15 विधानसभा सीट: जहां 5 हजार से भी कम वोट के अंतर से हुई हार-जीत, इनमें से 11 इस बार भी चुनाव में...
Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 68 सीट जीती थी। भाजपा 15, जकांछ 5 और बसपा 2 सीट। 90 सीटों के इस चुनाव में कई दिलचस्प आंकड़े सामने आए। 2018 के चुनाव परिणाम पर पढ़िए एनपीजी की यह रिपोर्ट।
2018 के विधानसभा के चुनाव परिणाम का फैक्ट फाइल
0 धमतरी सीट से भाजपा विधायक चुनी गई रंजना साहू ने 464 वोट से जीत दर्ज किया था। यह सबसे कम अंतर की जीत है।
0 कांग्रेस के मोहम्मद अकबर ने 59284 मतों से कवर्धा सीट जीता था। यह 2018 में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत है।
0 भूपेश बघेल 27477 वोट से पाटन सीट से जीते थे, जबकि टीएस सिंहदेव ने 39624 वोट से अंबिकापुर सीट से जीत दर्ज की थी।
0 सराइपाली सीट से 52228 वोट से जीतने वाले किस्मतलाल नंद की टिकट कांग्रेस ने काट दी है। यह छठवीं बड़ी जीत थी।
0 तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 16933 वोट से जीते थे। उन्हें करुणा शुक्ला ने कड़ी टक्कर दी थी।
0 रामानुजगंज से 32916 वोट से जीतने वाले बृहस्तप सिंह व 21923 वोट से सामरी सीट जीतने वाले चिंतामणी महाराज का कांग्रेस ने टिकट काट दिया है।
0 पूर्व पीसीसी चीफ और मौजूदा मंत्री मोहन मरकाम 1796 वोट से जीते थे। वहीं, चंदन कश्यप 2647 वोट के अंतर से विधायक चुने गए थे।
Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल पूरे शबाब पर है। दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पर्टियों के साथ बसपा और दूसरी कई क्षेत्रीय पार्टियां चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। प्रदेश की 90 में से पहले चरण की 20 सीटों के लिए 7 नवंबर को मतादान होगा। इसके बाद 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा। इसके बाद चुनाव प्रचार का अभियान तो शांत हो जाएगा, लेकिन 3 दिसंबर को मतगणना तक प्रत्याशी और उनकी पार्टी के नेताओं की धड़कने तेज रहेगी। 3 दिसंबर को शाम तक सभी सीटों पर हार-जीत की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। चुनाव परिणामों को लेकर लोग सबसे पहले यह जानना चाहते हैं कि कौन जीता और कौन हारा। इसके बाद चर्चा लीड या मार्जिन को लेकर रहती है। यानी कौन कितने वोट के अंतर से हारा या जीता। सबसे बड़ी जीत किसकी रही और सबसे छोटी जीत। हालांकि एक वोट से जीतने वाला भी विधायक ही बनेगा, इसके बावजूद हार-जीत का यही अंतर इतिहास में दर्ज होता है।
छत्तीसगढ़ में 2018 का विधानसभा चुनाव को कई चीजों के लिए याद किया जाता है। सबसे पहले 2018 के चुनाव में ही कांग्रेस का 15 वर्षों का वनवास खत्म हुआ था और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। 2018 के चुनाव में पूर्व सीएम अजीत जोगी की क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) पहली बार चुनाव मैदान में उतरी थी। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने रिकार्ड 68 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2018 में कुल 15 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का फैसला 5 हजार से भी कम वोट के अंदर से हुआ था।
2018 के विधानसभा चुनाव में जिन 15 सीटों पर हार-जीत का अंतर 5 हजार से कमा था, उसमें से 7 सीटों पर कांग्रेस, 4 पर भाजपा, 3 पर जकांछ और 1 पर बसपा के विधायक चुने गए थे।
इन 15 में 2 सीट ऐसी भी है, जहां एक हजार से भी कम वोट के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ था। वो दो सीट धमतरी और खैरागढ़ है। धमतरी सीट से पहली बार चुनाव लड़ रही भाजपा की रंजना साहू ने कांग्रेस के गुरुमुख सिंह होरा को 464 वोट से हराया था। वहीं, खैरागढ़ सीट से जकांछ की टिकट पर चुनाव लड़ रहे देवव्रत सिंह ने कांग्रेस के कोमल जंघेल को 870 वोट के अंतर से हराया था।
15 में से 11 इस बार भी मैदान में
2018 में 5 हजार से कम वोट से चुनाव जीतकर विधायक बनने वाले नेताओं में से 11 इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने अपने 7 में से एक विधायक डॉ. विनय जायसवाल का टिकट काट दिया है। डॉ. जयसवाल मनेंद्रगढ़ सीट से 4073 वोट के अंतर से जीते थे। कम अंतर से जीतने वाले भाजपा के 4 में से 3 विधायक इस बार फिर चुनाव मैदान में हैं। इनमें रंजना साहू भी शामिल हैं। 2018 में दंतेवाड़ा सीट से 2172 वोट के अंतर से जीत दर्ज करने वाले भीमा मंडावी भाजपा के चौथे विधायक थे। नक्सली हमले में उनकी मौत हो चुकी है। इसी तरह जकांछ के ऐसे 3 में से 1 ही विधायक इस बार चुनाव मैदान में हैं। वो एक विधायक डॉ. रेणु जोगी हैं। डॉ. जोगी 3026 वोट के अंतर से कोटा सीट से जीती थीं। जकांछ की टिकट पर बलौदाबाजर सीट से विधायक चुने गए प्रमोद शर्मा भी इस सूची में शामिल हैं। वे जकांछ छोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। जकांछ के तीसरे विधायक देवव्रत सिंह थे, उनका निधन हो गया है। बसपा की इंदू बंजारे 3061 वोट से पामगढ़ सीट से जीती थीं, इस बार भी वे चुनाव मैदान में हैं।