Chhattisgarh Assembly Election 2023 'शक्ति' सदन में कमजोर : 50% आरक्षण की बात सिर्फ भाषणों में, योग्यता के बजाय जातिगत और सिम्पैथी के लिए महिलाओं को टिकट
Chhattisgarh Assembly Election 2023
रायपुर @ NPG.News. आज नवरात्रि की नवमीं तिथि है, इसलिए आज की राजनीतिक चर्चा नारी शक्ति पर. छत्तीसगढ़ की राजनीति में चार चुनावों का ट्रेंड देखें तो यहां नारी शक्ति यानी महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में सभी दल काफी पीछे हैं. 2018 चुनाव के ही आंकड़ों पर गौर करें तो 90 सीटों वाली विधानसभा में 25 सीटें ऐसी हैं, जहां एक भी महिला उम्मीदवार नहीं थी. राजनीतिक योग्यता के बजाय जातिगत समीकरण और सिम्पैथी के हिसाब से महिलाओं को उम्मीदवार बनाया जाता रहा है. एक और ट्रेंड यह है कि पति के बदले पत्नी को टिकट दिया जाता है. इस तरह चेहरा बदल जाता है और महिला वोट बैंक को लुभाने की रणनीति भी रहती है.
लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात लंबे समय से चली आ रही है. क्या वजह है कि धरातल पर यह साकार नहीं हो सका? क्या राजनीतिक दलों में पुरुषों का वर्चस्व होने के कारण महिलाओं की भागीदारी को कम किया जा रहा है या कमतर आंका जा रहा है? यह एक लंबे बहस का विषय है. इस पर हम आज पहली बार बहस नहीं कर रहे, बल्कि लोकसभा में इसी विषय पर अच्छी खासी चर्चा हो चुकी है. 50 प्रतिशत आरक्षण देने की बात आई, तब किसी ने इंकार तो नहीं किया, लेकिन सर्व सम्मति भी नहीं बनी और बात अटक गई जातिगत आधार पर महिलाओं को आरक्षण देने पर. आज तक यह कानून अधर में ही है.
पहले 2003 से 2018 तक की स्थिति पर गौर करें
2003 : 62 महिलाओं ने चुनाव में हिस्सा लिया. 5 जीतीं. इनमें चार बीजेपी और एक बीएसपी की विधायक.
2008 : 94 महिलाओं ने हिस्सा लिया. 11 जीतीं. इनमें 6 बीजेपी और 5 कांग्रेस की विधायक चुनी गईं.
2013 : 83 महिलाओं ने हिस्सा लिया. 10 जीतीं. इनमें 6 बीजेपी और चार कांग्रेस की विधायक चुनी गईं.
2018 : 99 महिलाओं ने हिस्सा लिया. अभी 16 विधायक. भाजपा, बसपा, जोगी कांग्रेस की एक-एक, बाकी कांग्रेस की.
क्या यह संख्या पर्याप्त है? आइए जानते हैं कि इस पर प्रो. डॉ. अजय चंद्राकर का क्या कहना है...
1. महिलाओं के प्रतिनिधित्व की यह संख्या पर्याप्त नहीं है.
2. महिलाओं को 50% आरक्षण का बिल पारित नहीं हुआ.
3. राजनीतिक दल टिकट देने के समय ही गड़बड़ी कर रहे.
प्रो. डॉ. चंद्राकर के मुताबिक छत्तीसगढ़ विधानसभा की बात करें या लोकसभा की. 50 प्रतिशत आरक्षण देना तो दूर, संतोषजनक संख्या में प्रतिनिधित्व भी नहीं दिया जा रहा है. विधायिका में ही महिलाओं की संख्या पर्याप्त नहीं होगी तो नीतियों में या योजनाओं में महिलाओं को आगे बढ़ाने में हम पीछे रहेंगे.
देखें, कौन-कौन रहे विधायक
2003
रेणुका सिंह, प्रेमनगर – भाजपा
कामदा जोल्हे, सारंगढ़ – बसपा
पिंकी ध्रुव, सिहावा – भाजपा
लता उसेंडी, कोंडागांव – भाजपा
रमशीला साहू, गुंडरदेही – भाजपा
2008
रेणुका सिंह, प्रेमनगर – भाजपा
पद्मा मनहर, सारंगढ़ – कांग्रेस
डॉ. रेणु जोगी, कोटा – कांग्रेस
सरोजा राठौर, सक्ती – कांग्रेस
लक्ष्मी बघेल, बलौदाबाजार – भाजपा
अंबिका मरकाम, सिहावा – कांग्रेस
नीलिमा सिंह टेकाम, डौंडीलोहारा – भाजपा
प्रतिमा चंद्राकर, दुर्ग ग्रामीण – कांग्रेस
सरोज पांडेय, वैशालीनगर – भाजपा
सुमित्रा मारकोले, कांकेर – भाजपा
लता उसेंडी, कोंडागांव – भाजपा
2013
चंपादेवी पावले, भरतपुर सोनहत – भाजपा
सुनीति राठिया, लैलूंगा – भाजपा
केराबाई मनहर, सारंगढ़ – भाजपा
डॉ. रेणु जोगी, कोटा – कांग्रेस
रूपकुमारी चौधरी, बसना – भाजपा
अनिला भेंडिया, डौंडीलोहारा – कांग्रेस
रमशीला साहू, दुर्ग ग्रामीण – भाजपा
सरोजनी बंजारे, डोंगरगढ़ – भाजपा
तेजकुंवर नेताम, मोहला मानपुर – कांग्रेस
देवती कर्मा, दंतेवाड़ा – कांग्रेस
2018
अंबिका सिंहदेव, बैकुंठपुर – कांग्रेस
उत्तरी जांगड़े, सारंगढ़ – कांग्रेस
डॉ. रेणु जोगी, कोटा – जोगी कांग्रेस
रश्मि सिंह, तखतपुर – कांग्रेस
इंदु बंजारे, पामगढ़ – बसपा
शकुंतला साहू, कसडोल – कांग्रेस
अनिता शर्मा, धरसीवां – कांग्रेस
डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, सिहावा – कांग्रेस
रंजना साहू, धमतरी – भाजपा
संगीता सिन्हा, संजारी बालोद – कांग्रेस
अनिला भेंडिया, डौंडीलोहारा – कांग्रेस
ममता चंद्राकर, पंडरिया – कांग्रेस
छन्नी साहू, खुज्जी – कांग्रेस
यशोदा वर्मा, खैरागढ़ – कांग्रेस
देवती कर्मा, दंतेवाड़ा – कांग्रेस
सावित्री मंडावी, भानुप्रतापपुर – कांग्रेस
(यशोदा वर्मा, देवती कर्मा और सावित्री मंडावी उपचुनाव में जीते.)
(इससे पहले भटगांव से रजनी त्रिपाठी और संजारी बालोद से कुमारी बाई साहू पति के निधन के बाद उपचुनाव जीतकर विधायक बनी थीं.)
सारंगढ़ और डॉ. रेणु जोगी
सारे नाम और आंकड़े पढ़कर तो आपने गौर कर लिया होगा कि क्या कॉमन है. फिर भी आपको बता दें कि सारंगढ़ और डॉ. रेणु जोगी का नाम आपको याद रह गया होगा. 2003 से 2018 तक सारंगढ़ एकमात्र सीट है, जहां महिला विधायक रही हैं. 2003 में जहां बसपा से कामदा जोल्हे विधायक बनीं. वहीं, 2008 में कांग्रेस की पद्मा मनहर, 2013 में भाजपा की केराबाई मनहर और 2018 में उत्तरी जांगड़े विधायक हैं. यहां एक बात नोट करा दें कि कामदा जोल्हे अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं.
अब बात डॉ. रेणु जोगी की. डॉ. रेणु जोगी चौथी बार विधायक हैं. छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के निधन के बाद उपचुनाव में वे 2006 में पहली बार विधायक बनीं. इसके बाद लगातार चुनाव जीत रही हैं. हालांकि 2018 में उनकी पार्टी बदल गई और वे कांग्रेस के बजाय जोगी कांग्रेस से चुनाव जीतकर आई हैं.
डौंडीलोहारा सीट से लगातार तीन बार महिला विधायक हैं. 2008 में भाजपा की नीलिमा टेकाम जीती थीं. इसके बाद 2013 और 2018 में अनिला भेंडिया विधायक बनी हैं. अनिला भेंडिया वर्तमान में छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं.
एक और गौरतलब बात यह है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली महिला एवं बाल विकास मंत्री गीता देवी सिंह थी. इसके बाद रेणुका सिंह महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं. उस समय वे दूसरी बार विधायक बनी थीं. रेणुका सिंह के बाद लता उसेंडी भी जब दूसरी बार विधायक बनीं, तब महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं. इसके बाद रमशीला साहू जब दूसरी बार विधायक चुनी गईं, तब महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं. वर्तमान महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया भी दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं.