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Chhattisgarh Assembly Election 2023: किस्‍सा कुर्सी का: विधानसभा में इस कुर्सी पर अब तक बैठे 5 लोग में से 3 हार गए अगला चुनाव, एक पहुंचे भी तो...

Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्‍तीसगढ़ विधानसभा की इस कुर्सी को लेकर एक संयोज जुड़ गया है। भाजपा सरकार के दौरान इस कुर्सी पर बैठे तीनों नेता अपना अगला चुनाव हार गए थे।

Chhattisgarh Assembly Election 2023: किस्‍सा कुर्सी का: विधानसभा में इस कुर्सी पर अब तक बैठे 5 लोग में से 3 हार गए अगला चुनाव, एक पहुंचे भी तो...
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के अंदर एक ऐसी कुर्सी है जिसके साथ एक अजीब संयोग जुड़ा हुआ है। सदन के अंदर उस कुर्सी पर अब तक अधिकृत तौर पर 5 ही लोग बैठे हैं। इनमें से 3 अगला चुनाव हार गए, जबकि एक जीत कर सदन में पहुंचे भी तो वे कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

विधानसभा की जिस कुर्सी की हम बात कर रहे हैं वो सदन की सर्वोच्‍च कुर्सी है। यानी विधानसभा स्‍पीकर (अध्‍यक्ष) की कुर्सी। राज्‍य बनने के बाद से इस कुर्सी पर अब तक 5 लोग बैठक चुके हैं। वैसे उपाध्‍यक्ष और सभापति को मिला दें तो यह संख्‍या बढ़ जाएगी, लेकिन बतौर अध्‍यक्ष अब तक 5 ही लोग इस कुर्सी पर बैठे हैं।

जानिए... अब तक कौन-कौन रहें हैं छत्‍तीगसढ़ विधानसभा के अध्‍यक्ष

1 नवंबर 2000 को जब मध्‍य प्रदेश से अलग होकर नया छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बना तब कांग्रेस बहुमत में थी। सरकार कांग्रेस की बनी और राजेंद्र प्रसाद शुक्‍ला राज्‍य विधानसभा के पहले अध्‍यक्ष बने। इसके बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिल गया। सरकार भाजपा की बनी और भिलाई सीट से जीतकर आए प्रेम प्रकाश पांडेय भाजपा के पहले अध्‍यक्ष बने। 2008 के चुनाव में भाजपा ने सत्‍ता में वापसी की और इस बार बिल्‍हा से जीतकर धरमलाल कौशिक विधानसभा के अध्‍यक्ष बनाए गए। 2013 में भाजपा की तीसरी सरकार बनी। इस बार गौरीशंकर अग्रवाल विधानसभा के अध्‍यक्ष बनाए गए। अग्रवाल कशोडल सीट से चुनाव जीकर पहुंचे थे। 2018 में कांग्रेस ने जब सत्‍ता में वापसी की तो डॉ. चरणदास महंत ने स्‍पीकर की कुर्सी संभाली। यही 5 लोग राज्‍य विधानसभा के अब तक के अध्‍यक्ष रहे हैं।

वो अध्‍यक्ष जो चुनाव जीते, लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए


छत्‍तीसगढ़ के इतिहास में अब तक केवल एक ही विधानसभा अध्‍यक्ष ऐसे रहे हैं जो अगला चुनाव जीते हैं। वे थे राजेन्‍द्र प्रसाद शुक्‍ल। राजेन्‍द्र प्रसाद शुक्‍ल कोटा सीट से विधायक थे। 2003 में कांग्रेस सत्‍ता से बाहर हो गई, लेकिन शुक्‍ल अपनी कोटा सीट जीतने में सफल रहे। नवंबर 2003 में राजेंद्र प्रसाद चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे थे और 20 अगस्त 2006 को उनका निधन हो गया। इस तरह राजेंद्र प्रसाद अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

दूसरा चुनाव नहीं जीत पाया भाजपा का कोई भी विधानसभा अध्‍यक्ष

भाजपा प्रदेश में लगातार 3 बार विधानसभा का चुनाव जीती और 15 साल तक सत्‍ता में रही। इस दौरान भाजपा के 3 नेता विधानसभा के स्‍पीकर बनाए गए। इनमें से कोई भी दूसरा चुनाव नहीं जीत पाए। आईए जानते हैं भाजपा के उन तीनों विधानसभा अध्‍यक्षों के बारे में।


प्रेम प्रकाश पांडेय: 2003 में भाजपा पहली बार सत्‍ता में आई तो भिलाई से चुनाव जीकर पहुंचे प्रेम प्रकाश पांडेय को विधानसभा का अध्‍यक्ष बनाया गया। 2008 में हुए अगले चुनाव में पांडेय को पार्टी ने भिलाई से ही टिकट दिया, लेकिन वे हार गए। 2013 का चुनाव पांडेय फिर जीते, लेकिन इस बार उन्‍होंने विधानसभा अध्‍यक्ष बनने की बजाए मंत्री बनना पसंद किया।


धरमलाल कौशिक: बिल्‍हा सीट से चुनाव जीतकर पहुंचे कौशिक 2008 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के तीसरे अध्‍यक्ष बने। विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2013 में हुए चुनाव में भाजपा तो सत्‍ता में लौटी, लेकिन बिल्‍हा सीट से ही कौशिक हार गए। 2018 में कौशिक फिर जीतकर सदन में पहुंचे, लेकिन इस बार भाजपा बहुमत खो चुकी थी।


गौरीशंकर अग्रवाल: भाजपा के वरिष्‍ठ नेताओं में शामिल गौरीशंकर अग्रवाल 2018 में विधानसभा अध्‍यक्ष की कुर्सी पर बैठे। अग्रवाल भी दूसरा चुनाव जीत नहीं पाए। 2018 में पार्टी ने उन्‍हें उनकी कशडोल सीट से ही प्रत्‍याशी बनाया था, लेकिन अग्रवाल चुनाव हार गए। भाजपा की सरकार में विधानसभा अध्‍यक्ष रहे तीनों नेताओं को अगले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

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रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। हर सीट की अपनी अलग कहानी है। इनमें कुछ सीटें ऐसी हैं जिनकी कहानी बेहद रोचक है। राज्‍य की कुछ ऐसी सीटें हैं जिन पर कभी कोई पार्टी लगातार दो बार चुनाव जीत नहीं पाई है। ऐसे ही कुछ नेता भी हैं जो लगातार दो चुनाव जीत नहीं पाए हैं। इसके बावजूद उनकी पार्टी हर बार उन्‍हें टिकट देती है। एक बार तुम...एक बार मैं... वाली भी सीटें हैं। ऐसी ही कुछ दिलचस्‍प और रोचक किस्‍से हम आपको बताने जा रहे हैं... आगे पढ़ने के लिए यहां क्‍लीक करें

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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