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Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्‍तीसगढ़ में सांसदों पर भाजपा का दांव कितना रहेगा सफल, 10 में से केवल 5 ही....

Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो चुकी है। प्रत्‍याशी फाइनल करने के लिए बैठकों का दौर चल रहा है।

Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्‍तीसगढ़ में सांसदों पर भाजपा का दांव कितना रहेगा सफल, 10 में से केवल 5 ही....
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Bjp MP News 

By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में भाजपा हर वह फार्मूला अपना रही है, जिसके जरिये वह प्रदेश की सत्‍ता में वापसी कर सके। विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने 21 नामों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है। इसमें दुर्ग सांसद विजय बघेल का भी नाम है। विजय बघेल को मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल की पाटन सीट से भाजपा का प्रत्‍याशी बनाया गया है। उधर, मध्‍य प्रदेश के लिए जारी पार्टी की दूसरी सूची में भाजपा ने अपने तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित संगठन के बड़े नेताओं को विधानसभा के चुनाव मैदान में उतार दिया है। ऐसे में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि छत्‍तीगसढ़ में भी पार्टी सांसदों पर दांव लगा सकती है, लेकिन राजनीतिक विश्‍लेषक मान रहे हैं कि छत्‍तीसगढ़ में संसदों की स्थिति मध्‍य प्रदेश से अलग है।

छत्‍तीसगढ़ की 11 में से 9 लोकसभा सीट और 5 में से 1 राज्‍यसभा की सीट भाजपा के पास है। संसद में छत्‍तीसगढ़ का प्रतिनिधित्‍व करने वाले इन 10 सांसदों में केवल 5 के पास एक बार से ज्‍यादा विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव है। बाकी पांच पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े हैं। इनमें रायपुर सांसद सुनील सोनी, कांकेर सांसद मोहन मंडावी, राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय, बिलासपुर सांसद अरुण साव और रायगढ़ सांसद गोमती साय शामिल हैं। राजनीतिक विश्‍लेषकों के अनुसार इनमें से ज्‍यादातर मोदी लहर में सांसद बन गए। वैसे इन 5 सीटों पर भाजपा लगातार जीत दर्ज करती आ रही है। इस दौरान कई बार प्रत्‍याशी भी बदले जा चुके हैं।

जैसे रायगढ़ संसदीय सीट पर 2019 में पार्टी ने सीटिंग एमपी विष्‍णुदेव साय की टिकट काटकर गोमती साय को मैदान में उतारा गया और वे जीत गईं। इसी तरह बिलासपुर सीट 1996 से भाजपा लगातार जीत रही है। अरुण साव से पहले भाजपा के 3 नेता सांसद चुने गए हैं। कांकेर सीट भी भाजपा 1998 के बाद से नहीं हारी है। रायपुर सीट भी भाजपा 1996 से लगातार जीत रही है। राजनांदगांव सीट भी भाजपा तीन चुनावों से लगातार जीत रही है। ऐसे में इन सीटों से पहली बार सांसद चुने गए नेताओं के विधानसभा के मैदान में टिक पाने पर प्रश्‍न उठ रहे हैं।

2019 में भाजपा को हुआ था एक सीट का नुकसान

देशभर में मोदी लहर के बावजूद छत्‍तीसगढ़ में 2019 में भाजपा को एक सीट का नुकसान हुआ था। प्रदेश में लोकसभा की 11 सीटें हैं। राज्‍य बनने के बाद से लोकसभा का जितनी बार चुनाव हुआ भाजपा के खाते में 10 सीट गई। राज्‍य बनने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा महासमुंद सीट हार गई। वहां से कांग्रेस के अजीत जोगी ने चुनाव जीता। 2009 में हुए दूसरे चुनाव में कोरबा सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। 2009 में कोरबा से कांग्रेस के डॉ. चरणदास महंत संसद पहुंचे थे। 2014 में भाजपा एक मात्र दुर्ग सीट हारी बाकी 10 सीटों पर उसे जीत मिली। दुर्ग से ताम्रध्‍वज साहू सांसद चुने गए। 2019 में भाजपा बस्‍तर और कोरबा सीट हार गई। बस्‍तर से कांग्रेस के दीपक बैज और कोरबा ज्‍योत्‍सना महंत सांसद चुनी गईं।


इन 5 के पास एक से ज्‍यादा चुनाव का अनुभव

भाजपा 5 सांसदों ऐसे हैं जो एक बार से ज्‍यादा विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें सबसे पहला नाम रेणुका सिंह का है। रेणुका सिंह पहली बार सांसद चुनी गई हैं। मोदी कैबिनेट में छत्‍तीसगढ़ से इकलौती मंत्री हैं। सरगुजा सीट से निर्वाचित रेणुका सिंह के पास केन्द्रीय जनजाति विकास राज्यमंत्री हैं। रेणुका प्रेमनगर विधानसभा सीट से 2003 और 2008 में विधायक चुनी गईं। 2003 में रमन कैबिनेट में राज्‍य मंत्री रहीं।

भाजपा की छत्‍तीसगढ़ से एक मात्र सदस्‍य सरोज पांडेय भी उन चेहरों में शामिल हैं जिस पर भाजपा विधानसभा चुनाव में दांव लगा सकती है। सरोज पांडेय इस वक्‍त पार्टी की राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष है। जहां तक चुनाव की बात करें तो उनके पास विधानसभा और लोकसभा दोनों ही चुनाव का अनुभव है। सरोज पांडेय के नाम पर चुनाव से जुड़ा एक अनोदखा वर्ल्‍ड रिकार्ड है। सरोज पांडेय एक ही समय में महापौर, विधायक और सांसद रह चुकी हैं।

दुर्ग सांसद विजय बघेल पहली बार संसद पहुंचे हैं, लेकिन तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। 2008 में वे विधायक चुने गए और संसदीय सचिव भी रहे हैं।

जांजगीर-चांपा संसदीय सीट का प्रतिनिधित्‍व करने वाले गुहाराम अजगले दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। अजगले 2004 में सारंगढ़ संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं।

चुन्‍नीलाल साहू संसद में महासमुंद का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। चुन्‍नी लाल साहू पहली बार के सांसद हैं, लेकिन वे एक बार विधायक रह चुके हैं। साहू खल्‍लारी सीट से विधायक चुने गए थे।


ये 5 पहली बार बने सांसद

सुनील सोनी: रायपुर से पहली बार सांसद चुने गए सुनील सोनी लोकसभा का चुनाव लड़ने से पहले रायपुर में पार्षद और महापौर रहे हैं।

अरुण साव: भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव पहली बार संसद पहुंचे हैं। संघ की पृष्‍ठभूमि से आने वाले साव प्रखर वक्‍ता माने जाते हैं। साव पेशे से वकील हैं और प्रदेश के डिप्‍टी एजी रह चुके हैं।

संतोष पांडेय: राजनांदगांव संसदीय सीट का प्रतिनिधित्‍व करने वाले संतोष पांडेय पहली बार सांसद चुने गए हैं।

मोहन मंडावी: आदिवासी संसदीय क्षेत्र कांकेर का प्रतिनिधित्‍व करने वाले मोहन मंडावी पहली बार सांसद चुने गए हैं।

गोमती साय: भाजपा की तेज तरार महिला नेत्रियों में शामिल गोमती पहली बार सांसद चुनी गई हैं।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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