Chhattisgarh Assembly Election 2023: CG सियासत का टर्निंग प्वाइंट: मंतूराम कांड ने किया कांग्रेस को एकजुट, भूपेश बघेल को पहुंचा दिया सीएम की कुर्सी तक
अंतागढ़ उपचुनाव में जो कुछ हुआ, उससे कांग्रेस पार्टी समेत भूपेश बघेल भी हिल गए थे, लेकिन पार्टी एक हो गई. इसके बाद मंतूराम पवार का एक ऑडियो सामने आया, जिसने पूरी राजनीति बदल दी.
Chhattisgarh Assembly Election 2023रायपुर. साल 2014, अगस्त का महीना... आदिवासी और नक्सल बहुल बस्तर संभाग की अंतागढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए सियासी पारा चढ़ रहा था कि अचानक एक ऐसी घटना घटी, जिससे छत्तीसगढ़ कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसक गई. अंतागढ़ उपचुनाव के कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार ने अचानक नाम वापसी के अंतिम दिन अपना नाम वापस ले लिया. तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल और पूरी कांग्रेस पार्टी हिल गई. मंतूराम ने ऐसा क्यों किया... यह जानने से पहले बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव जिसमें भाजपा ने केंद्र में सरकार बनाई थी, उसमें कांकेर सीट से विक्रम उसेंडी भाजपा के प्रत्याशी थी. इससे पहले उसेंडी अंतागढ़ से विधायक बने थे और बाद में उन्हें कांकेर लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया. उसेंडी जीते और अंतागढ़ सीट खाली हो गई. 20 सितंबर 2014 को रिजल्ट आया, जिसमें भोजराम नाग की जीत हुई थी.
अब थोड़ा पीछे चलते हैं. मंतूराम ने जब नाम वापस लिया, तब कांग्रेस के पास सिवाय यह बोलने के कुछ नहीं बचा कि भाजपा लोकतंत्र की हत्या कर रही है. कांग्रेस ने लेनदेन का आरोप भी लगाया था. इसके बाद शायद बात दब जाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कुछ समय बात कुछ ऑडियो क्लिप वायरल हुए. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इसकी खबर प्रकाशित की थी, जिसमें पैसे का लेनदेन कर मंतूराम को बैठाने का खुलासा था. इसमें पूर्व सीएम अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी पर आरोप लगे थे. सौदेबाजी में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता, तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत, जोगी के करीबी फिरोज सिद्दीकी और अमीन मेमन का नाम आया था.
इस खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा भूचाल आया. रमन सरकार पर भी आरोप लगे. कांग्रेस ने तब मरवाही के विधायक रहे अमित जोगी को पार्टी से निकाल दिया. हालांकि अमित की विधायकी नहीं गई और उन्हें असंबद्ध घोषित कर दिया गया. जोगी कांग्रेस के गठन के पीछे यह बड़ी वजह थी, क्योंकि तब पीसीसी अध्यक्ष रहे भूपेश बघेल किसी भी स्थिति में अमित को वापस लेने के पक्ष में नहीं थे. (यह स्थिति अभी भी बरकरार है.)
खैर, किस्सा पलटूराम मंतूराम के कारण भूपेश बघेल के सीएम तक पहुंचने से जुड़ा है. दरअसल, मंतूराम कांड के बाद तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष बघेल संभल गए. वे फूंक फूंककर कदम रखने लगे. उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि एक दशक से भी ज्यादा समय तक सत्ता से बाहर रहने के कारण नेता-कार्यकर्ता सभी में निराशा है. तीन बार की हार से भविष्य की उम्मीद भी खत्म दिखाई दे रही थी, इसलिए मंतूराम जैसी घटना घटी. ऑडिया वायरल होने के बाद बघेल ने अमित जोगी और पूर्व सीएम अजीत जोगी को पार्टी से बाहर करने का मौका बना लिया. ऐसा इसलिए क्योंकि लंबे समय से यह चर्चा थी कि रमन सरकार को जोगी का सपोर्ट है. कांग्रेस में जोगी अपनी चलाना चाहते थे. उनकी नहीं चलती थी तो वे ऐसी परिस्थिति खड़ी कर देते थे कि पार्टी के सामने मुश्किल खड़ी हो जाती थी.
जोगी के अलग होने के बाद पार्टी में भी एक कड़ा संदेश गया कि अब कोई गुट नहीं है, न ही कोई न्यूसेंस पैदा करने वाला है. इस तरह एकता का संदेश गया. इसके बाद जो हुआ, वह तो सभी ने 2018 के चुनाव में देखा ही था. भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह अबकी बार 65 पार का नारा देकर गए और 68 सीटें कांग्रेस की आ गई. भूपेश बघेल, जो कांग्रेस की लड़ाई लड़ते हुए जेल तक गए थे, वे सीएम बनाए गए. उनके सीएम बनने के लिए मेहनत, लगन और संघर्ष जैसी कई चीजों को श्रेय दिया जा सकता है, लेकिन राजनीति के जानकर इसे टर्निंग पॉइंट मानते हैं, क्योंकि मंतूराम के मामले के बाद कांग्रेस ने जोगी पिता-पुत्र को पार्टी से बाहर किया और इसका लाभ मिला. इसके साथ ही वे एक मजबूत नेता के रूप में अवतरित हुए. पूरी पार्टी उनके आभामंडल के नीचे आ गई.
मरवाही और भानुप्रतापपुर में हिसाब बराबर
अंतागढ़ उप चुनाव में जो कुछ हुआ, उसका हिसाब कांग्रेस ने मरवाही और भानुप्रतापपुर उप चुनाव में बराबर कर लिया. मरवाही उपचुनाव से पहले जोगी की जाति की उच्च स्तरीय छानबीन समिति की रिपोर्ट आई. इसमें जोगी को आदिवासी मानने से समिति ने इंकार कर दिया. इस तरह मरवाही में जोगी परिवार की दावेदारी खत्म हो गई. इसी तरह भानुप्रतापपुर में भाजपा ने ब्रह्मानंद नेताम को उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने खुलासा किया कि ब्रह्मानंद पर पॉक्सो और दुष्कर्म जैसे मामले दर्ज हैं. उपचुनाव में सरकार की जीत होती है, यही ट्रेंड रहा है, लेकिन इस खुलासे ने भाजपा के लिए बड़ा गड्ढा कर दिया. ब्रह्मानंद नेताम की 21 हजार से ज्यादा वोटों से हार हुई थी