Chhattisgarh Assembly Election 2023: CG संत के साथ सियासी खेला: महंत रामसुंदर दास को इसलिए जांजगीर से 150 किमी दूर रायपुर से उम्मीदवार बना दिया...
Chhattisgarh Assembly Election 2023:- महंत डॉ. रामसुंदर दास दो बार विधायक रह चुके हैं. इस बार उन्होंने जांजगीर से टिकिट मांगा था। जाहिर है, तीसरी बार वे जीतते तो जांजगीर जिले से मंत्री पद की उनकी दावेदारी प्रबल हो जाती।
Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर. सियासत का स्वभाव भी गजब का होता है... इसमें धर्म-अधर्म में कोई भेद नहीं होता. राजनेता जिनकी स्तुति और चरण वंदन करते हैं, चुनाव में उन्हें ही निबटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. ताजा मामला महंत डॉ. रामसुंदर दास से जुड़ा है, जिन्हें कांग्रेस ने जांजगीर से 150 किलोमीटर दूर रायपुर दक्षिण सीट से प्रत्याशी बनाया है. दरअसल, यहां पर मेयर एजाज ढेबर भी प्रमुख दावेदारों में से एक थे. यहां से बृजमोहन अग्रवाल भाजपा के विधायक हैं, जो लगातार सात बार से चुनाव जीत रहे हैं. बृजमोहन धर्मस्व और पर्यटन विभाग के मंत्री रहे हैं, जिन्होंने राजिम मेले को पूरे देश में ग्लेमराइज किया. ढेबर के चुनाव लड़ने पर यहां चुनाव हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर लड़ने की आशंका थी, इसलिए कांग्रेस ने महंत डॉ. रामसुंदर दास को यहां से प्रत्याशी बना दिया, क्योंकि प्रसिद्ध दूधाधारी मठ इसी क्षेत्र में है, जिसके वे महंत हैं. इससे पहले वे पामगढ़ और जैजैपुर के विधायक रह चुके हैं. 2003 मेें पामगढ़ सीट सामान्य वर्ग के लिए थी. इस दौरान महंत चुनाव लड़े और जीते भी. बसपा के दाउराम रत्नाकर की 6734 वोटों से हार हुई थी.म् इसके बाद 2008 के चुनाव में महंत जैजैपुर से चुनाव लड़े. इस बार बसपा के केशव चंद्रा को 9439 वोटो से हराया था. तीसरा चुनाव उन्होंने जैजैपुर सीट से ही लड़ा, लेकिन इस बार हार गए. केशव चंद्रा यहां से विधायक बने थे.
कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से महंत रामसुंदर दास का नाम आने के बाद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस के पास कोई दूसरा उम्मीदवार नहीं है, इसलिए वे हर चुनाव में एक नया चेहरा लाते हैं. महंत जी एक साल से जांजगीर से चुनाव लड़ने के लिए काम कर रहे थे और उन्हें रायपुर भेज दिया गया.
एकतरफा मुकाबले के आसार
दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल के सामने महंत रामसुंदर दास को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने मुकाबले को कमजोर बना दिया है. यहां से बृजमोहन हर साल अपनी लीड बढ़ाते थे. पिछली बार उनकी लीड घट गई थी. अब एक बार फिर एक नए कैंडिडेट से भाजपा प्रत्याशी को जूझना होगा. पुरानी बस्ती इलाके में दुधाधारी मठ है। महंत रामसुंदर दास के प्रति लोगों में श्रद्धा भी। मगर उसे वोट में बदलना आसान नहीं होगा। वो भी उस स्थिति में जब सामने बृजमोहन जैसा अजेय सियासी योद्धा हो।
सैकड़ों एकड़ जमीन है नाम पर
दूधाधारी मठ के नाम पर सैकड़ों एकड़ जमीन है. रायपुर का हाई टेक बस स्टैंड दूधाधारी मठ की जमीन पर बना है. रायपुर व आसपास बड़ी संख्या में जमीनें हैं. कई शैक्षणिक संस्थान चल रहे हैं. शिवरीनारायण में भी मठ और मंदिर है. यहां भी आसपास में काफी संख्या में खेत व खाली जमीन हैं. खेतों में फसल लगाई जाती है.
महंत के साथ सियासी खेला?
सियासी पंडित भी मानते हैं महंत रामसुंदर दास को जांजगीर की बजाय रायपुर से टिकिट देने के पीछे सियासी समीकरण है। उन्होंने आवेदन जांजगीर के लिया किया था। मगर नेताओं को खतरा ये था कि वे अगर इस बार जीत जाते तो तीसरी बार के विधायक के नाते मंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार बन जाते। इसलिए बड़ी चतुराई के साथ यह कहते हुए कि आपका रायपुर में मठ का प्रभाव है, उन्हें रायपुर शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन वसुस्थिति यह है कि महंत को रायपुर दक्षिण के लिए टीम बनाने में भी मुश्किलें आएंगी। जबकि, बृजमोहन के पास सालों से चुनाव जीतने का अपना सिस्टम है और उसे मूर्त रूप देने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं की फौज भी।