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Chhattisgarh Assembly Election 2023 CG के लखपति विधायक : कांग्रेस के इन लखपति विधायकों ने रचा था इतिहास, 15 साल पहले हुआ था ऐसा कमाल

Chhattisgarh Assembly Election 2023 CG के लखपति विधायक : कांग्रेस के इन लखपति विधायकों ने रचा था इतिहास, 15 साल पहले हुआ था ऐसा कमाल
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By NPG News

Chhattisgarh Assembly Election 2023

रायपुर @ NPG.News लखपति विधायक की बात हो रही हो और सरगुजा के राजा टीएस सिंहदेव या मंत्री मोहम्मद अकबर की तस्वीर देखकर आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे? स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने ही पिछले चुनाव में लगभग 500 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था. पहले कन्फ्यूजन क्लीयर करते हैं. यहां बात धन-संपत्ति की नहीं, बल्कि नेताओं की असल संपत्ति यानी वोटों की हो रही है. लखपति यानी एक लाख से ज्यादा वोट. एक लाख से ज्यादा वोट पाना आसान बात नहीं है. लेकिन यह खास बात इसलिए है, क्योंकि पहली बार किसी चुनाव में सात उम्मीदवारों को एक लाख से ज्यादा वोट मिले. इससे 15 साल पहले दो उम्मीदवार ऐसे थे, जो एक लाख का आंकड़ा छू पाए थे. पहले आपको बता हैं कि 2018 के वे लखपति विधायक कौन हैं.

मोहम्मद अकबर, कवर्धा – 136320 वोट

शकुंतला साहू, कसडोल – 121422 वोट

कुंवर सिंह निषाद, गुंडरदेही – 110369 वोट

उत्तरी जांगड़े, सारंगढ़ – 101834 वोट

टीएस सिंहदेव, अंबिकापुर – 100439 वोट

किस्मत लाल नंद, सरायपाली – 100302 वोट

पहले जान लें लखपति विधायकों की संपत्ति कितनी है

लखपति पढ़कर आपके मन में धन-संपत्ति के बारे में भी जानने की उत्सुकता होगी तो पहले यह जान लें कि इन विधायकों ने शपथ पत्र में कितनी संपत्ति का ब्योरा दिया था. सबसे ज्यादा संपत्ति वाले नेता टीएस सिंहदेव हैं. उन्होंने 8.58 करोड़ की चल और 491.42 करोड़ की अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था. सिंहदेव के नाम पर ऑडी, मर्सीडीज मिलाकर पांच गाड़ियां हैं. उन्हें विरासत में हीरे-सोने के कई कीमती वस्तुएं मिली थीं. इसके अलावा रायफल, बंदूक, पिस्टल भी है. आर्थिक संपत्ति के मामले में दूसरे नंबर पर मंत्री मोहम्मद अकबर हैं. उन्होंने 1.95 करोड़ चल और 3.90 करोड़ कीमत की अचल संपत्ति का ब्योरा दिया था. तीसरे नंबर पर पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर हैं, जिनके नाम पर एक करोड़ से ज्यादा की चल-अचल संपत्ति है. इसी तरह उत्तरी जांगड़े के नाम पर 13 लाख, किस्मत लाल नंद के नाम पर 37 लाख, कुंवर सिंह निषाद के नाम पर 4.54 लाख और शकुंतला साहू ने 5.75 लाख की चल-अचल संपत्ति की जानकारी शपथ पत्र में दी थी.

मोहम्मद अकबर ने रचा था इतिहास

वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने सर्वाधिक 136320 वोटों से जीत दर्ज कर 2018 के चुनाव में इतिहास रचा था. यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है. इतनी बड़ी जीत किसी भी विधायक को नहीं मिली है. अकबर की जीत इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि राजधानी से 100 किलोमीटर दूर कवर्धा जाकर यह जीत हासिल की थी. कवर्धा सीट पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की भी स्थिति चुनाव में देखने को मिलती है. दूसरी बड़ी लीड शकुंतला साहू की है. यह लीड इसलिए बड़ी है, क्योंकि तत्कालीन विधानसभा स्पीकर गौरीशंकर अग्रवाल के विरुद्ध 1.21 लाख वोट बटोरे थे.

आइए जानें इसके पीछे का गणित

एक लाख से ज्यादा वोट पाने का गणित क्या हो सकता है? यह जानने के लिए हमने दुर्गा कॉलेज के पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. अजय चंद्राकर से बात की. उन्होंने तीन प्रमुख कारण बताए...

1. भाजपा के खिलाफ 15 साल का असंतोष.

2. कांग्रेस पार्टी के द्वारा किए गए चुनावी वादे.

3. कांग्रेस नेताओं का एक होकर चुनाव लड़ना.

प्रो. डॉ. चंद्राकर ने कहा कि राज्य में 15 साल भाजपा की सरकार थी. इसलिए लोगों में असंतोष था. उस समय उल्टा चश्मा के नाम का एक वीडियो भी काफी चर्चित हुआ था. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, वह सभी वर्गों को लुभाने वाले थे. तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, डॉ. चरणदास महंत सहित सभी नेता एकजुट होकर चुनाव लड़े, इसलिए परिणाम कांग्रेस के फेवर में आया. ऊपर जो कारण बताए गए, उससे कुछ उम्मीदवारों ने एक लाख से ज्यादा वोट भी हासिल किया.

इससे पहले कौन थे दो लखपति विधायक

अब आपके मन में यह जानने की बेचैनी होगी कि 2018 का तो ठीक है, लेकिन उससे पहले एक लाख से ज्यादा वोट पाने वाले कौन हैं. किसके खिलाफ इतना वोट मिला. आपको बता दें कि 2003 में राजेश मूणत और हेमचंद यादव ने यह कमाल किया था. राजेश मूणत को 104448 वोट मिले थे. उनके खिलाफ कांग्रेस से तरुण चटर्जी थे. तरुण चटर्जी दलबदल कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनके नाम के आगे कई बड़े नेता चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे. तब भाजपा ने तत्कालीन भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष मूणत को उतारा था. इसी तरह दुर्ग में हेमचंद यादव को 107484 वोट मिले थे. उनके खिलाफ कांग्रेस से पूर्व सीएम मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा खड़े थे.

प्रो. डॉ. चंद्राकर के मुताबिक 2003 में चटर्जी के विरुद्ध मूणत फ्रेश कैंडीडेट थे. वहीं, वोरा के खिलाफ नाराजगी थी. इस कारण से दोनों ने बड़ी जीत दर्ज की थी.

वैसे आपको बता दें कि 2003 के बाद 2008 और 2013 में चुनाव हुए थे. इस दौरान कोई ऐसा नेता नहीं था, जिसने एक लाख से ज्यादा वोट हासिल किए हों. भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त एंटी इन्कमबेंसी के कारण कांग्रेस 68 से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं, बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार थे, जिन्होंने 30 हजार या उससे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.

एक नजर में सबसे बड़े अंतर से जीतने वाले

मोहम्मद अकबर ने कवर्धा सीट से भाजपा उम्मीदवार अशोक साहू को 59284 वोटों से हराया था.

अमितेश शुक्ल ने राजिम सीट से भाजपा के संतोष उपाध्याय को 58132 वोटों से हराया था.

द्वारिकाधीश यादव ने खल्लारी सीट से भाजपा की मोनिका साहू को 56978 वोटों से हराया था.

कुंवर सिंह निषाद ने गुंडरदेही सीट से भाजपा के दीपक साहू को 55394 वोटों से हराया था.

उत्तरी जांगड़े ने सारंगढ़ सीट से भाजपा उम्मीदवार केराबाई मनहर को 52389 वोटों से हराया था.

किस्मत लाल नंद ने सरायपाली सीट से भाजपा उम्मीदवार श्याम तांडी को 52288 वोटों से हराया था.

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