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CG Zero Tolerance: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस: छत्तीसगढ़ में 4 महीने में ट्रेप हुए 35 से ज्यादा रिश्वतखोर, इनमें बाबू से लेकर...

CG Zero Tolerance: छत्तीसगढ़ अब भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर आगे बढ़ते हुए सूबे में विकास की नई लकीर खींच रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश और काम कर रहे हैं। सीएम साय का मानना है कि कोई प्रदेश तभी विकास कर सकता है, जब वहां कोई भ्रष्टाचार न हो।

CG Zero Tolerance: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस: छत्तीसगढ़ में 4 महीने में ट्रेप हुए 35 से ज्यादा रिश्वतखोर, इनमें बाबू से लेकर...
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By anil tiwai


CG Zero Tolerance: रायपुर। करीब 10 महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले ही भाषण में विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ में गुड गवर्नेंस पर जोर देते हुए कहा था कि उनकी सरकार भ्रष्ट अफसरों, कर्मचारियों को नहीं बख्शेगी। आम लोगों से रिश्वत के लिए परेशान करने वाले लोगों से उनकी सरकार सख्ती से पेश आएगी।

विष्‍णुदेव का यह भाषण केवल बयानों तक नहीं रहा, इस पर अमल भी हो रहा है। भ्रष्‍टाचार पर नकेल कसने के लिए सरकार ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने वाली राज्‍य सरकार की एजेंसी एसीबी- ईओडब्‍ल्‍यू में ऊपर से नीचे तक सब कुछ बदल दिया। चार सालों से पदस्थ 32 अधिकारी-कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति खत्म कर उनकी सेवाएं पुलिस मुख्यालय लौटा दी गई है। उनकी जगह दो आईपीएस समेत 25 नए अफसरों की पोस्टिंग की गई है। क्योंकि विधानसभा में भाजपा ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था। भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई की घोषणा की थी।

पांच साल पर भारी साय सरकार के पिछले चार महीने

छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जितनी कार्रवाई कांग्रेस सरकार के दौरान पांच साल में नहीं हुई, उससे कई गुना ज्यादा कार्रवाई विष्णु देव साय की सरकार ने महज पांच महीने में कर दिया है। लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला जारी है। पिछले चार महीने में 35 से ज्यादा सरकारी मुलाजिम रिश्वत लेते ट्रेप हो चुके हैं या किसी दूसरी तरह के भ्रष्टाचार में जेल की सलाखों में पहुंच चुके हैं।

इनमें एसडीएम से लेकर ज्वाइंट डायरेक्टर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, एसआई, एएसआई, पटवारी शामिल हैं। कई बार तो ऐसा हुआ है कि एक दिन में तीन-तीन, चार-चार सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते एसीबी ने धर दबोचा। जाहिर है, रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने पर कोई से जमानत नहीं। अगर तीन महीने में अगर चार्ज शीट दाखिल नहीं हुआ तो तीन महीने जेल में काटने के बाद ही बेल मिलती है।

एसडीएम, जेडी, ईई समेत 30 से ज्यादा रिश्वतखोर जेल पहुंचे

छत्तीसगढ़ में इससे पहले एसडीएम भागीरथी खाण्डे को रिश्वत लेते पकड़े जाने के बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। सरकार ने भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ कोई मरौव्व्त न करते हुए कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। लिहाजा अब सभी के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। इसी प्रकार कोंडागांव जिले में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता टीआर मेश्राम के शासकीय बंगले में एसीबी की टीम ने छापा मारा और ठेकेदार से 50 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। इसी तरह बिलासपुर के तहसील कार्यालय में पदस्थ राजस्व निरीक्षक संतोष देवांगन ने जमीन के सीमांकन हेतु ढाई लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। उन्हें 1 लाख रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। अंबिकापुर में ग्राम निवेश विभाग के सहायक संचालक बालकृष्ण चौहान एवं सहायक मानचित्रकार नीलेश्वर कुमार ध्रुव को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

एसीबी को फ्री हैंड

गुड गवर्नेंस के लिए सरकार ने ईओडब्डू और एसीबी को फ्री हैंड दे दिया है। सरकार ने भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ कोई मुरव्वत न करते हुए कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हालांकि कहने के लिए ईओडब्लू और एसीबी राज्य सरकार की स्वतंत्र जांच एजेंसी है। उसे अपने हिसाब से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। मगर ये सिर्फ कहने के लिए है। बिना सरकार से इजाजत लिए एसीबी का कोई कार्रवाई नहीं करती। राज्य सरकारें ऐसा चाहती भी नहीं कि ईओडब्लू और एसीबी ताकतवर होकर कार्रवाइयां करें। राजस्थान में ईओडब्लू और एसीबी इतना सक्षम है कि आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लेती है। मगर छत्तीसगढ़ में पटवारी, डिप्टी रेंजर से उपर नहीं उठ पाते। पिछले पांच साल में ईओडब्लू, एसीबी के हाथ-पैर बांध दिए गए थे। आलम यह रहा कि पांच साल में एसीबी और ईओडब्लू ने पांच कार्रवाइयां नहीं की।

हेल्पलाईन पर करें शिकायत

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने 2005 बैच के आईपीएस अमरेश मिश्रा को एनआईए के डेपुटेशन से आनन-फानन में वापस बुलाया, तभी लग गया था कि सरकार करप्शन के खिलाफ बड़ी कार्रवाइयां करना चाहती है। अमरेश को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सिफारिश लगाकर रातोंरात उनकी वापसी पर दस्तखत कराया गया। अमरेश ने ज्वाईन करते ही ईओडब्लू और एसीबी को रिचार्ज कर दिया। शराब घोटाले और महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप में कई गिरफ्तारी की, बल्कि अब भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ भी मुहिम शुरू कर दी है। उन्होंने ईओडब्लू और एसीबी का ईमेल और हेल्पलाईन नंबर जारी कर लोगों से शिकायतें भ्रष्ट और रिश्वत मांगने वाले सरकारी कर्मचारियों तथा अधिकारियों की शिकायत दर्ज कराने कहा है। ईओडब्लू, एसीबी चीफ अमरेश मिश्रा कहते हैं कि बिना किसी डर और भय के हेल्पलाइन पर शिकायत की जा सकती है।

अमरेश मिश्रा के एसीबी चीफ बनने के बाद कार्रवाई तेज

ईओडब्लू, एसीबी चीफ अमरेश मिश्रा ने कहा कि ईओडब्लू और एसीबी अपने दायित्वों के प्रति बेहद सजग है। प्रदेश में कार्रवाइयां की जा रही है और ये आगे भी जारी रहेंगी। आम लोगों को अगर कामधाम के सिलसिले में कोई अगर पैसे के लिए परेशान कर रहा या रिश्वत मांग रहा तो उसकी शिकायत वे हेल्पलाइन या ईमेल पर कर सकते हैं। 30 मार्च को डीएम अवस्थी की संविदा नियुक्ति समाप्त होने के बाद आईपीएस अमरेश मिश्रा को एसीबी और ईओडब्ल्यू की कमान सौंपी गई थी। 1 अप्रैल से अमरेश मिश्रा ने जांच एजेंसी का काम संभाला था। इसके बाद कुछ दिन उन्हें एजेंसी को समझने में लगा। 15 अप्रैल के बाद एसीबी ने भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। और पिछले चार महीने में हुई ताबड़तोड़ कार्रवाइयों में 35 से ज्यादा लोग जेल जा चुके हैं। इनमें एसडीएम, ज्वाइंट डायरेक्टर, ईई जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। तो वहीं एसीबी टीम ने एसआई और एएसआई को भी नहीं छोड़ा। रेवेन्यू और मजिस्ट्रेट का पावर होने की वजह से एसडीएम के तार रसूखदार लोगों से लेकर सरकार में भी उपर लेवल तक जुडे़ होते हैं। इसलिए, छत्तीसगढ़ में अभी तक पटवारी के आसपास ही कार्रवाइयां सीमित होती थी।

एसीबी और ईओडब्ल्यू का बढ़ा दायरा

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश में जुआ-सट्टा और विशेषकर ऑनलाइन गैम्बलिंग पर कड़ाई से रोक लगाने के लिए आदेश जारी किए गए। छत्तीसगढ़ सरकार ने अधिसूचना का जारी कर छत्तीसगढ़ जुआ (प्रतिषेध) अधिनियम 2022 की सभी धाराओं के अंतर्गत अब एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण (ईओडब्ल्यू) को जांच और कार्रवाई का अधिकार दे दिया है। एसीबी और ईओडब्ल्यू को यह अधिकार मिलने से ऑनलाइन जुआ के मामलों में भी तेजी से जांच और प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी। बता दें कि एसीबी और ईओडब्ल्यू अब तक केवल भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता से जुड़े मामलों में जांच करती रही है। इस अधिसूचना के प्रकाशन से एसीबी और ईओडब्ल्यू की जांच और कार्रवाई का दायरा और बढ़ गया है। एसीबी और ईओडब्ल्यू को जुआ एक्ट के तहत जांच और कार्रवाई का अधिकार मिलने से इन मामलों की जांच एक ही विंग में होगी। जिससे जांच में आसानी और कार्रवाई में तेजी आएगी। राज्य में जुआ-सट्टा पर प्रभावी तरीके से शिकंजा कसा जा सकेगा।

कलेक्टर-एसपी को सख्त संदेश

छत्तीसगढ़ में सरकार संभालने के बाद फरवरी महीने में रायपुर में हुए कलेक्टर-एसपी की कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा था कि योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। किसी भी जिले में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली तो सख्त कार्रवाई होगी। सीएम साय ने कड़े तेवर दिखाए। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के कामों पर मैं खुद नजर रख रहा हूं। इस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश भर के कलेक्टर और एसपी जुड़े थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पुलिस अधीक्षकों से साफ कहा था कि अपराधियों में पुलिस का डर होना चाहिए। उन्होंने पुलिस अधीक्षकों से गुंडागर्दी न हो ये सुनिश्चित करने को कहा है। सख्त लहजे में मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के कामों पर मैं खुद नजर रख रहा हूं। कलेक्टर, एसपी को और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। नागरिकों के काम समय सीमा में होने चाहिए। कलेक्टर एसपी की तारीफ जनता के जरिए शासन तक पहुंचनी चाहिए।

बहुत हो चुका डीएमएफ का दुरुपयोग

सीएम विष्णुदेव साय ने कहा है डीएमएफ की राशि का पहले काफी दुरुपयोग हुआ है। अब अगर ऐसा हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसका इस्तेमाल क्षेत्र के विकास के लिए होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में लोगों को आवास नहीं मिल पाए। इस बार बैंक से पैसा ना मिल पाने की शिकायत नहीं आनी चाहिए। अधिकारी ये सुनिश्चित करें कि योजना से जुड़े हितग्राहियों को राशि आहरण के लिए परेशान ना होना पड़े। सीएम साय ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों से कहा है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में जरा भी लापरवाही बर्दाश्त या नजरअंदाज नहीं की जाएगी। इसलिए कामों को टालने वाली पुरानी व्यवस्था को तत्काल बदल डालें। सीएम साय ने कहा कि प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन के माध्यम से हर घर में नल के माध्यम से पानी पहुंचाना चाहते हैं, इसलिए इन कार्यो को योजनाबद्ध तरीके से पूर्ण कराया जाए। सबसे पहले जल स्रोतों का पता लगाया जाए, इसके बाद टंकी बनाने, पाइप लाइन बिछाने का काम किया जाए। जलजीवन मिशन योजना से लोगों को लाभ हो, पेयजल मिले यह सुनिश्चित हो। कार्य एजेंसी और ठेकेदार पर निगरानी हो ताकि सही कार्य हो सके।

आबकारी, डीएमएफऔर पीएससी की जांच शुरू

ईडी के प्रतिवेदन पर आबकारी, डीएमएफ, कस्टम मिलिंग और पीएससी मामले में ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार और जालसाजी का केस दर्ज किया गया है। इसमें सिर्फ आबकारी गड़बड़ी की जांच शुरू हुई है। एसीबी-ईओडब्ल्यू ने 13 लोगों के ठिकानों में छापा मारा था। इसमें भी सूचना लीक होने की चर्चा है। क्योंकि छापे के तीन पहले ही आबकारी विभाग में कार्रवाई की चर्चा होने लगी थी। इसलिए अधिकांश लोग गायब थे। तब से पूरी टीम बदलने पर विचार चल रहा था। ताकि अन्य मामलों में सख्ती से कार्रवाई हो सके।

शराब घोटाले के आरोपियों पर शिकंजा

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के आरोपियों के खिलाफ ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू ने कानूनी कार्रवाई शुरू की है। कुछ आरोपियों ने इस कार्रवाई के खिलाफ बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं. उच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया और सभी 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने पहले दिए गए अंतरिम राहत के आदेश को भी रद्द कर दिया है। उच्च न्यायालय ने माना कि सबूतों के आधार पर एजेंसियों ने एफआईआर की है। शराब घोटाले से जुड़ी एक जांच के तहत अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा जैसी सरकारी एजेंसीयों ने कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हैं। इन लोगों में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निदेश पुरोहित, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी शामिल थे। लेकिन इन लोगों ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थी। हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की। जिसके बाद 10 जुलाई को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में आरापियों के द्वारा दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया। तो इस तरह आरोपियों के खिलाफ एफआईआर को रद्द नहीं किया जाएगा और जांच जारी रहेगी।

2161 करोड़ रुपए का है शराब घोटाला

सिंडिकेट ने अधिकारियों, कारोबारियों और राजनीतिक रसूख वाले लोगों के साथ मिलकर 2161 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला किया। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच चल रही है। जिसमें ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। इस एफआईआर में कहा गया है कि घोटाला दो हजार करोड़ रुपए से भी अधिक का है। ईडी की जांच में यह पाया गया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के दौरान ये घोटाला किया गया है। ईडी ने उन लोगों के नाम भी बताये, जिनके साथ मिलकर ये घोटाला किया गया। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के एक अवैध सिंडिकेट ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया। एसीबी के अनुसार 2019 से 2022 के बीच, सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब बेची गई। इसके लिए डुप्लीकेट होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। ईडी ने इस मामले में सबसे पहले मई 2023 के पहले सप्ताह में अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया। जांच के अनुसार अनवर ढेबर ने 2019 से 2022 के बीच शराब के कारोबार से दो हजार करोड़ रुपए का अवैध धन बनाया।


किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा -विष्णु देव साय, मुख्यमंत्री

पिछली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में जमकर भ्रष्टाचार किया, जिसके कारण प्रदेश की जनता ने उसे सरकार से आउट कर दिया। हमारी सरकार बनते ही हमने घोटालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई करना जारी रखा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ हम जीरो टॉलरेंस की नीति से काम कर रहे हैं। किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भ्रष्टाचार करने वाला कितना बड़ा अधिकारी ही क्यों ना हो, उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।


भ्रष्टाचार की हर एक शिकायत पर सख्त कार्रवाई-अमरेश मिश्रा, चीफ, एसीबी-ईओडब्ल्यू

छत्तीसगढ़ शासन की मंशा के अनुरुप एसीबी-ईओडब्ल्यू यहां काम कर रही है। भ्रष्टाचार की हर एक शिकायत पर सख्त कार्रवाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में है। हमने शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। जिसमें लोग बिना किसी दबाव के, बिना किसी विभाग और पद को सोचे हुए सीधे शिकायत करें। भ्रष्टाचार के खिलाफ शासन के अभियान में हर पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई करने हम प्रतिबद्ध हैं।

बहुत कुछ हुआ, बहुत कुछ करना बाकी

अगर सरकार और प्रशासन ये करे, तब पूरी तरह खत्म होगा भ्रष्टाचार

ये सही है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देशों के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी गई है। लेकिन प्रदेश के भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए सिर्फ एसीबी-ईओडब्ल्यू की ओर से की जाने वाली कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए शासन और विभाग को निम्न बिंदुओं पर काम करने की जरुरत है।

1. प्रदेश के हर विभाग में सचिव स्तर पर और हर जिलों में एक अलग सेल बनाने की जरुरत है। ये सतर्कता शाखा के रुप में काम करें, जिनमें जिला प्रमुख, विभाग प्रमुख अपने जिले, अपने विभाग में होने वाली हर एक गड़बड़ी की सूचना एसीबी-ईओडब्ल्यू को भेजें, ताकि कार्रवाई की जा सके।

2. किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ एसीबी-ईओडब्ल्यू की कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं है। उसके खिलाफ मामले में अलग से विभागीय जांच कर प्रमोशन रोकने जैसी अन्य कार्रवाई भी होनी चाहिए।

3. एसीबी-ईओडब्ल्यू की सारी कार्रवाई केंद्रीयकृत होती है। लिहाजा संभाग स्तर पर एसपी की नियुक्ति होनी चाहिए, जैसे कि हरियाणा सरकार ने किया है। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में और भी तेजी आएगी।

4. प्रदेश के किसी अफसर का चरित्र संदेहास्पद है और उसकी नीयत को लेकर संदेह है, तो उसे संबंधित विभाग प्रमुख की ओर से एग्रीड लिस्ट में डालना चाहिए। जैसा कि सीबीआई के अफसर और दिल्ली सरकार की ओर से किया जाता है। इससे किसी संदेही अफसर की गतिविधियों को समय रहते रोका जा सकेगा।

5. एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम जिस तरह से अभी छत्तीसगढ़ में काम कर रही है। उसे प्रदेश के दूसरे जिलों में अपनी सक्रियता बढ़ाने और शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई के लिए और भी अधिक संसाधन, तकनीकी टीम और सुविधाएं दिए जाने की जरुरत है।

6. बड़े अफसरों के खिलाफ शिकायतों पर कार्रवाई तो हो जाती है। लेकिन इसके बाद जांच की प्रक्रिया लंबी चलने, कानूनी दांव पेच में उलझने के चलते उन्हें संदेह का लाभ भी मिलता है। अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण भी जांच प्रभावित होती है। अभियोजन स्वीकृति की व्यवस्था तत्काल होनी चाहिए।

7. एसीबी-ईओडब्ल्यू की ओर से दर्ज किए जाने वाले भ्रष्टाचार के अधिकांश मामले जांच की प्रक्रिया लंबी चलने, कानूनी दांव पेच में उलझने के चलते अदालत में लंबे समय तक खिंचते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और जांच के लिए जैसे अलग जांच एजेंसियां हैं, वैसे ही अलग फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने चाहिए।

8. भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत पर कार्रवाई हो जाती है। अफसर या कर्मचारी जेल चला जाता है। लेकिन शिकायतकर्ता का काम नहीं हो पाता और वो भटकते ही रहता है। जरुरी है कि शिकायतकर्ता का काम प्राथमिकता में लेकर उसे पूरा कराया जाए।

अप्रैल से अगस्त तक 4 महीने में कार्रवाई

कुल एफआईआर

35

कुल छापामार कार्रवाई

25

कुल गिरफ्तारी

33

बड़े मामले

6

ई-गवर्नेंस से रुकेगा भ्रष्टाचार

सरकार ये बात अच्छी तरह जानती है कि सरकारी काम-काज में पारदर्शिता लाने आईटी का उपयोग करने से भष्ट्राचार की गुंजाईश नहीं रहेगी। लिहाजा प्रदेश में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए सभी क्षेत्रों में आईटी का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय में तीन पोर्टलों ई-ऑफिस प्रणाली, मुख्यमंत्री कार्यालय ऑनलाइन पोर्टल और स्वागतम् पोर्टल की शुरूआत की। इस पहल से सुशासन के साथ शासकीय कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ने का दावा किया जा रहा है। साय के निर्देश पर ये तीनों पोर्टल तैयार किए गए हैं। सीएम ने सीएस को सभी विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करने के निर्देश देने संबंधी फाइल का डिजिटल अनुमोदन कर ई-ऑफिस प्रणाली प्रारंभ की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि सुशासन के संकल्प को पूरा करने की दिशा में ई-आफिस प्रणाली और स्वागतम् पोर्टल का शुभारंभ राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस और सरकारी काम में पारदर्शिता के उद्देश्य से सभी विभागों में आईटी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। डिजिटल गवर्नेंस को हर स्तर पर ले जाने के लिए हम काम कर रहे है। राजस्व संबंधी प्रकरणों के त्वरित और समय-सीमा में निराकरण के लिए हमने तहसीलदारों के अधिकारों का विस्तार किया है। नाम, जाति, पता की त्रुटि, सिंचिंत-असिंचित रकबा, कैफियत त्रुटि, एक फसली-बहु फसली त्रुटि को सुधारने का अधिकार तहसीलदार को दिया गया है, जिससे राजस्व संबंधी परेशानी झेल रहे लोगों की दिक्कत दूर हो रही है।

मंत्रियों और अफसरों से मुलाकात का सिस्टम तय

स्वागत पोर्टल पर सीएम, मंत्रियों और अफसरों से मुलाकात करने के लिए सिस्टम तय है। कोई मुलाकात करना है तो उसे गूगल पर स्वागतम पोर्टल सर्च करना होगा। पोर्टल खुलते ही इसमें विजिटर्स के ऑप्शन को क्लिक करना होगा। इसके बाद अपना मोबाइल नंबर डालना होगा। मोबाइल नंबर डालने पर ओटीपी आएगा। एक फार्म खुलेगा जिस पर आवेदक को जरूरी जानकारी भरनी होगी कि जैसे उसे कब, किस मंत्री-अफसर से मिलना है। अपना मोबाइल नंबर,ई-मेल एड्रेस देना होगा। फार्म सबमिट करने के बाद मोबाइल या ई-मेल पर मैसेज आएगा।

ई-ट्रांजिट पास और जेम पोर्टल

मुख्यमंत्री ने कहा कि गवर्नेंस के हर हिस्से में हम पारदर्शिता सुनिश्चित कर रहे हैं। खनिजों के परिवहन में हमने मैनुअल पद्धति को समाप्त कर दिया है और ई-ट्रांजिट पास जारी करने की व्यवस्था पुनः शुरू की है। इसी तरह सरकारी खरीदी में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हमने जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी का निर्णय लिया। आबकारी नीति में पारदर्शिता लाने तथा भ्रष्टाचार को समाप्त करने, पुरानी व्यवस्था के स्थान पर सीधे कंपनियों से खरीदी का निर्णय लिया है।

सुशासन एवं अभिसरण विभाग का गठन

विष्णुदेव साय की सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिखाई गयी सुशासन की राह पर चलकर छत्तीसगढ़ को संवार रही है। सुशासन के मूल्यों को क्रियान्वित करने हमने ‘‘सुशासन एवं अभिसरण विभाग‘‘ का गठन किया है। यह विभाग शासन-प्रशासन के हर स्तर पर पारदर्शिता, नवाचार और सुशासन का कार्यान्वयन सुनिश्चित कर रहा है। योजनाओं के जमीनी क्रियान्वयन की प्रभावी मानिटरिंग के लिए ‘‘अटल मॉनिटरिंग ऐप‘‘ भी तैयार किया गया है। प्रशासन के हर स्तर पर पारदर्शिता लाने के लिए विभागों में 266 करोड़ रुपए की लागत से आईटी टूल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हें अपनाने से मानवीय त्रुटि एवं कूटरचना की आशंका समाप्त हो जाएगी। यह पारदर्शिता की ओर सरकार द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की सरकार की नीति को कार्यान्वित करने में इससे बड़ी मदद मिल रही है।

नहीं होगी सरकारी सामानों की खरीदी में गड़बड़़ी

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कैबिनेट में शासकीय समानों की खरीदी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की रोकथाम के मद्देनजर एक बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने सीएसआईडीसी के माध्यम से खरीदी में भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए इसके सभी रेट कॉन्ट्रेक्ट को जुलाई माह के अंत तक निरस्त करने का निर्णय लिया है। पूर्ववर्ती सरकार ने जेम पोर्टल से खरीदी पर रोक लगा दी थी, शासकीय सामग्री की खरीदी में दिक्कत, गुणवत्ता का अभाव एवं भ्रष्टाचार की शिकायतें काफी बढ़ गई थी। साय सरकार ने इसको गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का फैसला लिया है, बल्कि जेम के माध्यम से खरीदी की व्यवस्था को फिर से बहाल कर शासकीय सामग्री की खरीदी में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। विष्णु सरकार का यह फैसला सुशासन की दिशा में एक और कदम है।

कॉलेजों की फीस पर भी नियंत्रण

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरों टॉलरेंस की पॉलिसी के तहत प्रदेश के 3 डी फार्मेसी कॉलेजों के खिलाफ राज्य की प्रवेश और फीस विनियामक समिति ने कड़ी कार्रवाई का फैसला किया है। इन कॉलेजों में निरक्षण के दौरान अधिकारियों को न तो कॉलेज की फीस निर्धारित मिली, न ही कॉलेजों में लाइब्रेरी दिखी, न ही टेस्टिंग लैब दिखा, न ही अकेडमिक और न ही नॉन-अकेडमिक स्टाफ मिले। इसी आधार पर समिति ने इन कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया है। इन कॉलेजों में रायपुर नूपुर कॉलेज ऑफ फार्मेसी ओल्ड धमतरी रोड, ऋषिकेश इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी सेजबहार रायपुर और श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी एंड रिसर्च सेंटर, रायपुर शामिल है।

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