CG Politics: CG लाल बत्ती के लिए BJP नेताओं को करना होगा वेट, पढ़िये कब होगी बोर्ड और निगमों में नियुक्तियां, जानिये पिछली सरकारों में कब बंटी लाल बत्तियां
CG Politics: छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बोर्ड और निगमों में अध्यक्षों के पद खाली हैं। इन पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां होती है। पिछली सरकार ने तीन दर्जन से अधिक नियुक्तियां की थी, सरकार बदलने के बाद या तो इस्तीफा दे दिया या फिर नई सरकार ने उन्हें हटा दिया। अब लोकसभा का चुनाव हो जाने के बाद भी सरकार नई नियुक्तिया फिलहाल नहीं करेगी? क्यों पढ़िये नीचे खबर विस्तार से..
.CG Politics: रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की वोटिंग कंप्लीट होने के बाद अब बीजेपी के गलियारों में लाल बत्ती की चर्चाएं शुरू हो गई है। सोशल मीडिया में बोर्ड और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियों की खबरें वायरल होने लगी है। दावे किए जा रहे कि फर्स्ट फेज में इन-इन बोर्डों में नियुक्तियां की जाएंगी। मगर न तो सियासी समीक्षकों को लगता है और न बीजेपी के सीनियर लीडर मान रहे हैं कि निकट भविष्य में बोर्ड और निगमों में नियुक्तियां होंगी। इससे पहले कभी हुई भी नहीं है। आईये जानते हैं कि किस सरकार में कब लाल बत्ती बंटी।
अजीत जोगी सरकार
1 नवंबर 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना तो विधानसभा चुनाव में तीन साल से भी कम समय बचा हुआ था। नवंबर 2000 में अजीत जोगी सरकार ने शपथ लिया और अक्टूबर 2003 में विधानसभा चुन ाव के लिए आचार संहिता का ऐलान हो गया। लिहाजा, जोगी के पास टाईम नहीं था। इसलिए, सरकार बनने के छह महीने के भीतर कई बड़े पदों पर नियुक्तियां कर दी गई थीं। हालांकि, आधे से अधिक बोर्डों में एक साल बाद ही नियुक्तियां हुईं। हालांकि, अजीत जोगी को राहत ये थी कि उस समय मंत्रियों का 15 परसेंट का कोटा लागू नहीं हुआ था। सो, अधिकांश बड़े और उनके पसंद के विधायक मंत्री बन गए थे। इसलिए, लाल बत्ती का उन पर प्रेशन अपेक्षाकृत कम था।
डॉ0 रमन सिंह सरकार
दिसंबर 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद बीजेपी की सरकार बनी और डॉ0 रमन सिंह लगातार तीन टर्म में 15 साल मुख्यमंत्री रहे। इस 15 साल में कभी भी नगरीय निकायों के चुनाव से पहले नियुक्तियां नहीं हुईं। यहां तक कि नगरीय निकायों के बाद पंचायत चुनाव हुए, उसके बाद भी साल भर तक नियुक्तियां होती रहीं।
भूपेश बघेल सरकार
रमन सिंह के बाद भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री बने। भूपेश बघेल की सरकार में लोकसभा चुनाव और नगरीय प्रशासन चुनाव के बाद कोविड आ गया। इस वजह से दो साल बाद 2021 और 2022 तक राजनीतिक नियुक्तियां होती रही।
नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही नियुक्तियां
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव जरूर हो गए हैं मगर इसी साल नवंबर में नगरीय निकायों के चुनाव हैं। लोकल सरकार गठन में बीजेपी की पूरी कोशिश होगी कि उसका दबदबा बरकरार रहे। जाहिर है, पहले से ही लाल बत्ती बंट जाएगी तो ईमानदारी से कोई काम क्यों करेगा। यही वजह है कि कोई भी सरकार नगरीय निकाय चुनाव से पहले अपने नेताओं को लाल बत्ती नहीं बांटता। npg.news से बात करते हुए भाजपा के एक शीर्ष नेता ने भी कहा, नगरीय निकायों के चुनाव से पहले बोर्ड और आयोगों में नियुक्तियों का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। राजनीति भी यही कहती है...लाल बत्ती के लिए बीजेपी नेता और कार्यकर्ता लगकर निगम चुनावों में काम करेंगे। वरना, बत्ती बंटने के बाद जिन्हें पोस्ट नहीं मिलता, उनमें नाराजगी भी बढ़ती है। भाजपा कतई नहीं चाहेगी कि नगरीय निकाय इलेक्शन से पहले इस तरह बोर्ड, आयोगों में नियुक्तियां की जाए।
संसदीय सचिवों की नियुक्तियां
किसी भी सरकार की कोशिश होती है कि पहले नगरीय निकायों में महापौर और पार्षदों के चुनाव में जितने नेता एडजस्ट हो जाएं, उसके बाद फिर बोर्ड और निगमों पर फोकस किया जाता है। इसीलिए, कई बार पंचायत चुनाव के बाद भी नियुक्तियां होती रही हैं। ताकि, जिला पंचायत अध्यक्ष़्ा, उपाध्यक्ष की सीट फुल हो जाए फिर लाल बत्ती। इसके अलावे विधायकों को संतुष्ट करने के लिए सरकार संसदीय सचिव भी बनाएगी। मगर नगरीय निकाय चुनाव से पहले हरगिज नहीं। नगरीय सरकार के गठन के बाद ही संसदीय सचिवों की नियुक्तियां की जाएंगी।