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राज्य का पहला मिलेट्स कैफे : रागी का पास्ता, कोदो की बिरयानी, मिलेट मंचूरियन का लुत्फ उठाने लग रही युवाओं की भीड़

राज्य का पहला मिलेट्स कैफे : रागी का पास्ता, कोदो की बिरयानी, मिलेट मंचूरियन का लुत्फ उठाने लग रही युवाओं की भीड़
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By NPG News

रायपुर। पास्ता, मंचूरियन, बिरयानी सुनकर जीभ में पानी आ जाता है न... लेकिन यदि आपको कहें रागी का पास्ता, मिलेट्स मंचूरियन और कोदो बिरयानी तो...। यदि आप हेल्थ कांशस हैं या नए-नए फ्लेवर्स ट्राई करते हैं तो एक बार इन्हें भी आजमाना चाहिए। वैसे, आसान ऑप्शन मिलेट्स कैफे है। फिलहाल यह सुविधा रायगढ़ में उपलब्ध है। छत्तीसगढ़ का पहला मिलेट्स कैफे रायगढ़ में शुरू किया गया है।

राज्य का पहला मिलेट्स कैफे रायगढ़ में अपनी सफलता के जलवे बिखेर रहा है। इसे खुले महज 8 महीने हुए हैं लेकिन यहां की मासिक आमदनी 3 लाख रुपए को पार कर गयी है। आलम यह है कि यहां वीकेंड पर बैठने के लिए बमुश्किल जगह मिलती है। रायगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए मई 2022 में इस कैफे की शुरुआत की थी। कैफे का मुख्य उद्देश्य मिल्लेट्स को बढ़ावा देने और विभिन्न मिल्लेट्स का उपयोग करके मुख्यधारा और पारंपरिक दोनों प्रकार के व्यंजनों का प्रदर्शन करने के लिए था।

हाल ही में सीएम भूपेश बघेल ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विधानसभा में सभी विधायकों को मिलेट्स से बने व्यंजन का भोज दिया था। छत्तीसगढ़ राज्य देश का पहला ऐसा राज्य है जो समर्थन मूल्य पर मिलेट्स की खरीदी कर रहा है । रोहिणी पटनायक, जो VMKC और कैफे के संचालन की प्रमुख हैं, कहती हैं, "हम स्वस्थ भोजन प्रदान करना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह ग्राहकों की स्वाद कलिकाएं को संतुष्ट करे। जिला प्रशासन के शुरुआती सहयोग से, अब हमारा कैफे एक आत्मनिर्भर व्यवसाय होने जा रहा है।' VKMC ने गुणवत्ता और स्वाद सुनिश्चित करने के लिए प्रोफेशनल शेफ को भी नियुक्त किया है।

फूड ब्लॉगर्स और युवाओं की पहली पसंद- टीम द्वारा बहुत सारे नए प्रयोग किए जा रहे हैं और इन सभी व्यंजनों की रेसिपी बुक को राज्य और देश के अन्य हिस्सों में लोकप्रिय बनाने के लिए प्रकाशित किया गया है। इस कैफ़े के मुख्य कस्टमर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग, खाने के शौकीन, फूड ब्लॉगर, है। यहां सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में मिलेट चीला, डोसा, मिलेट मोमोज, मिलेट पिज्जा, मिलेट मंचूरियन और कोदो बिरयानी हैं और इनकी सबसे अधिक बिक्री होती है। यह कैफे 3 लाख की मासिक बिक्री करता है। अब एक लाभदायक व्यवसाय की ओर बढ़ रहा है।

नटवर स्कूल के पास सी-मार्ट के बाजू में शुरू हुए इस कैफे में रागी से बने पास्ता, चीला, इडली, मंचूरियन, पिज्जा, नूडल, पकोड़े, समोसे, दोसा, कोदो से बनी बिरयानी के साथ ही सैंडविच, शेक्स, बर्गर का स्वाद लेने का अवसर लोगों को मिल रहा है।

इस कैफे को शुरू करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले तत्कालीन कलेक्टर भीम सिंह बताते हैं कि कई पीढिय़ों से रागी, कोदो जैसे अनाज हमारे आहार का प्रमुख हिस्सा हुआ करता था। किंतु आज इनका उपयोग सीमित हो गया है। ये अनाज सेहत के लिए जरूरी बहुत से पोषक तत्वों से युक्त होते हैं। इस कैफे से लोगों को इन अनाजों से तैयार व्यंजन के रूप में सेहतमंद विकल्प मिलेंगे।

महिला उद्यमिता को मिल रहा बढ़ावा

इस कैफे की शुरुआत जिला प्रशासन की पहल व सहयोग से हुआ है। इसका संचालन विकास संघ महिला समूह द्वारा किया जा रहा है। इसमें तकनीकी सहयोग महिला बाल विकास विभाग और ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन द्वारा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में पहली बार महिला स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए महिला समूहों के लिए मिलेट्स आधारित कैफे की शुरुआत की गयी है।

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