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NPG खास: इसलिए राज्य सरकार ने की सरगुजा कमिश्नर जीआर चुरेंद्र की छुट्टी, मंत्रालय में बिठा दिया

NPG खास: इसलिए राज्य सरकार ने की सरगुजा कमिश्नर जीआर चुरेंद्र की छुट्टी, मंत्रालय में बिठा दिया
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By NPG News

रायपुर। राज्य सरकार ने सरगुजा कमिश्नर जी आर चुरेंद्र की छुट्टी कर दी। सरकार ने उनका सिंगल आर्डर निकाला। ब्यूरोक्रेसी में सिंगल आर्डर का मतलब होता है ताजपोशी या फिर गहरी नाराजगी। चुरेंद्र को जिस तरह हटाया गया, वो ताजपोशी हो नहीं सकती। सरकार की नाराजगी इससे समझी जा सकती है कि चुरेंद्र की जगह सरगुजा का कमिश्नर किसे बनाया जाय, यह विचार करने के लिए भी वेट नहीं किया।

बिलासपुर कमिश्नर संजय अलंग को सरगुजा की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप दी। संजय पहले भी सरगुजा का दायित्व संभाल चुके हैं।

बताते हैं, जीआर चुरेंद्र के बारे में खबर थी कि वे भीतर ही भीतर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्षी पार्टी के नेताओं के वे लगातार संपर्क में थे, इस तरह के इनपुट्स उनके बारे में थे। इस इनपुट्स की तस्दीक होने के बाद सरकार ने उन्हें हटाने में जरा सी भी देर नही लगाई। मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समीक्षा बैठक ले रहे थे। सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डीडी सिंह भी बैठक में थे। उन्हें एक लाइन का निर्देश मिला और पांच मिनट में सरगुजा कमिश्नर की छुट्टी हो गई। दरअसल, चुरेंद्र से सरकार इसलिए भी नाराज हुई कि उन पर काफी भरोसा किया। चुरेंद्र छत्तीसगढ़ के ऐसे आईएएस होंगे, जिन्हें सूबे के पांच में से चार संभागों का कमिश्नर बनने का मौका दिया। पहले रायपुर, दुर्ग, फिर बस्तर और आखिर में सरगुजा। इसके बावजूद चुरेंद्र के बारे में विरोधी खबरें आईं तो सरकार ने कार्रवाई कर दी।

भाजपा में गए तो चुरेंद्र के लिए चुनौती होंगे देवलाल

बालोद जिले के डौंडी इलाके में चुरेंद्र परिवार का अच्छा प्रभाव है। चुरेंद्र हल्बा समाज से आते हैं। इस इलाके में एक बड़ा वोट बैंक हल्बा समाज का है। चुरेंद्र के परिवार में कई सदस्य बड़े पदों पर हैं। पिछले चुनाव में इसी परिवार से जनता कांग्रेस से राजेश चुरेंद्र चुनाव लड़े थे और उन्हें तीसरा स्थान मिला था। भाजपा के ही लोगों का कहना है कि कुछ समय पहले तक इस इलाके से भाजपा को अच्छे कैंडीडेट की तलाश रही है। हालांकि पिछले साल भाजपा में शामिल हुए देवलाल ठाकुर चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि वे लगातार एक्टिव रहे हैं। देवलाल बालोद जिला पंचायत के पहले अध्यक्ष रहे हैं। ऐसे में उनके दावेदारी पहले से ही है। वैसे एक समीकरण और भी है। बालोद के तीन विधानसभा क्षेत्र बालोद, गुंडरदेही और डौंडीलोहारा कांकेर क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। लंबे समय से बालोद क्षेत्र को महत्व देने की बात होती रही है। ऐसे में दोनों में से एक लोकसभा के भी दावेदार हो सकते हैं। चुरेंद्र का रिटायरमेंट दिसंबर 2024 में है।

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