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CG कर्मचारियों की न्यूज: हड़ताल में वेतन कटने का डर नहीं, क्योंकि 2006 के बाद हो चुके 323 अनिश्चितकालीन आंदोलन

राज्य सरकार द्वारा हड़ताली कर्मचारियों का वेतन काटने के संबंध में जारी आदेश की आज पूरे प्रदेश में प्रतियां जलाएंगे कर्मचारी संगठन।

CG कर्मचारियों की न्यूज: हड़ताल में वेतन कटने का डर नहीं, क्योंकि 2006 के बाद हो चुके 323 अनिश्चितकालीन आंदोलन
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By NPG News

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 34% महंगाई भत्ते की मांग को लेकर 5 दिन हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारियों का वेतन काटने के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र जारी किया है। इसे लेकर कर्मचारियों में सरकार के प्रति नाराजगी है। वहीं, बड़ी संख्या में ऐसे भी कर्मचारी हैं, जिन्हें यह डर है कि क्या सच में वेतन में कटौती होगी या अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी? इस संबंध में एक महत्वपूर्ण संदेश वायरल है, जिसके मुताबिक आज तक सरकार ने किसी हड़ताल के बाद कर्मचारियों के वेतन में कटौती नहीं की है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की ओर से भी कर्मचारियों को आश्वस्त किया गया है कि वेतन में कटौती नहीं होगी। वहीं, फेडरेशन ने वेतन में कटौती के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश की प्रतियां जलाने का ऐलान किया है। जिले व ब्लॉक मुख्यालय में ये प्रदर्शन होंगे।


जिस आदेश के आधार पर दबाव उसके बाद 323 आंदोलन

दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग ने जिस आदेश का हवाला देकर सरकारी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और वेतन में कटौती के निर्देश दिए हैं, उसके बाद अब तक अलग अलग संगठनों द्वारा 323 आंदोलन हो चुके हैं। इन आंदोलनों के बाद राज्य सरकार ने दबाव डालने के लिए कर्मचारियों को वेतन में कटौती या कार्रवाई का डर दिखाया, लेकिन बाद में वेतन देना पड़ा।


इस संबंध में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने सभी कर्मचारियों के नाम एक संदेश जारी किया है। वर्मा ने लिखा है,

'कई साथी वेतन के बारे में प्रश्न कर रहे हैं। साथियों, जंग के मैदान में जाएंगे तो एक दूसरे पर ऊपर होगा ही। ऐसे आदेश तो जारी होंगे ही। 2006 के इस आदेश के बाद लगभग 323 अनिश्चित कालीन आंदोलन हुए हैं। सरकार ने सभी आदेश वापस लिए हैं। यह आदेश तो फेडरेशन के खिलाफ है, इसलिए आदेश आने वाले दिन में वापस होंगे ही। जोगी सरकार के समय एक संगठन ने 46 दिन अनिश्चितकालीन आंदोलन किया था। उस समय भी ऐसा आदेश जारी हुआ था। सत्ता बदलने के बाद रमन सरकार ने इस आदेश को निरस्त कर वेतन स्वीकृत किया था।'

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