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कका अब बबा बन गे: सीएम भूपेश गरजे - छत्तीसगढ़ सरकार नौकरियां देना चाहती है, भाजपा राजभवन के जरिये अड़ंगा डाल रही

कका अब बबा बन गे: सीएम भूपेश गरजे - छत्तीसगढ़ सरकार नौकरियां देना चाहती है, भाजपा राजभवन के जरिये अड़ंगा डाल रही
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By NPG News

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आयोजित जन अधिकार रैली में सीएम भूपेश बघेल ने राजभवन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार नौकरियां नहीं दे रही। सार्वजनिक संपत्तियों को बेच रही है। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार नौकरियां देना चाहती है, लेकिन भाजपा राजभवन के माध्यम से अड़ंगा लगा रही है। इसी बात का विरोध है। इसके लिए हम यहां इकट्‌ठा हुए हैं।

राजधानी में साइंस कॉलेज ग्राउंड पर आयोजित जन अधिकार रैली को संबोधित करने के लिए जब सीएम बघेल उठे तो भीड़ जिंदाबाद के नारे लगाने लगी। सीएम ने उन्हें रोका। इस बीच भीड़ से आवाज आई, "कका जिंदा हे...।' यह सुनकर सीएम ने मुस्कुराते हुए कहा, कका अभी जिंदा हे... कका अब बबा बन गे। इस दौरान छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम, मंत्री मंडल के सभी सदस्य, सांसद विधायक, पीसीसी पदाधिकारी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।


सीएम भूपेश ने कहा, संविधान में व्यवस्था का पालन नहीं हो रहा, इसलिए यह रैली का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी विधायक-सांसद चुने। विधायकों ने विधानसभा में बैठकर जो कानून पारित किया, राजभवन ने उसे रोक दिया है। भाजपा राजभवन को राजनीतिक अखाड़ा बनाकर रखी है। जो अधिकार आपको मिलना चाहिए, उसमें रुकावट डाल रही है। दो दिसंबर को आरक्षण विधेयक पारित हुआ। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसमें अनुसूचित जाति और जनजाति समेत सभी वर्गों को जनसंख्या के मुताबिक आरक्षण का उल्लेख है। भाजपा शासन में 2004 से 2012 तक अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण दे रही थी। अनुसूचित जाति के भाई-बहनों को 12 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था। मंडल कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना था। केंद्र सरकार ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात की है।


जिस समय हमने 82 प्रतिशत आरक्षण देने का अध्यादेश जारी किया, उस समय राज्यपाल ने दस्तखत कर दिया। अाज किए तो पूछ रहे हैं कि किस आधार पर किया? हमने कहा कि हमारे यहां पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या है। उसके आधार पर किया। वे पूछ रहीं कि प्रमाण क्या है? हमने बताया कि आयोग का गठन किया। 2019 में आयोग का गठन किया। 2022 में रिपोर्ट आई। पिछड़ा वर्ग और ईडब्ल्यूएस की रिपोर्ट आ गई है। उसके आधार पर ईडब्ल्यूएस को 4 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 42 प्रतिशत आई, उसे 27 प्रतिशत किया। कानून से हटकर कोई काम नहीं किया। जिन्हें 20 प्रतिशत दे रहे थे, उन्हें 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 12 से 13 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत दे रहे थे, उसे 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

राज्यपाल बोली थीं कि एक मिनट नहीं लगेगा, विधेयक की कॉपी मिलते ही दस्तखत कर देंगी, लेकिन आज एक महीना से भी एक दिन ज्यादा हो गया, महीना और साल बदल गया। इसके बावजूद सर्व सम्मति से पारित विधेयक पर दस्तखत नहीं किया है। मीडिया ने पूछा कि राज्यपाल दस्तखत नहीं करेंगी तो क्या करेंगे? मैंने कहा, जनता से बड़ा लोकतंत्र में कोई नहीं होता। अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग किसी के साथ हमने अन्याय नहीं किया। हमारा रास्ता न्याय का है, सत्य का है, भाईचारा और प्रेम का है। इस कारण आज आरक्षण बिल का सब समर्थन कर रहे हैं। दो चार बनिहार (मजदूर) को छोड़ दें, जिन्हें भाजपा बनी (मजदूरी) देकर भेजती रहती है। बाकी सभी समर्थन कर रहे हैं। इस स्थिति में राज्यपाल ने रोक दिया है।


सीएम ने कहा, मैंने पहले भी आग्रह किया था कि राज्यपाल हठधर्मिता छोड़ें। या तो दस्तखत कर दें या विधानसभा को लौटा दें। इसके बाद भी न तो दस्तखत कर रही हैं, न विधानसभा को लौटा रही हैं, उल्टे सरकार से सवाल कर रही हैं। मंत्रिमंडल राज्यपाल को सलाह देने के लिए होती है, लेकिन विधानसभा सलाह के लिए नहीं है। मंत्रिमंडल सलाह देगी, जो जानकारी मांगेंगी सब देंगे, लेकिन जो संपत्ति विधानसभा की है, उसका जवाब राज्य सरकार नहीं दे सकती, क्योंकि विधायिका और कार्यपालिका दोनों का काम अलग है। न्यायपालिका का काम अलग है। संविधान में सबकी जिम्मेदारी बंटी हुई है। राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राज्य सरकार से सवाल पूछ रही हैं। संविधान के अनुच्छेद 200 में यह स्पष्ट लिखा है कि विधानसभा में पारित विधेयक पर राज्यपाल दस्तखत करेंगी या विधानसभा को लौटाएंगी, यही दो व्यवस्था है। या अनिश्चित समय तक अपने पास रखी रहें। छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ अभी जो स्थिति है, वह शून्य प्रतिशत हो चुकी है। आरक्षण लागू नहीं है। हम कॉलेज में भर्ती कैसे करें? नई नौकरी में कैसे भर्ती करें? यह संकट हो गया है।

एक तरफ केंद्र सरकार है, जो नौकरियां खत्म कर रही है। आरक्षण खत्म कर रही है। जितने सार्वजनिक उपक्रम हैं, उन्हें बेच रही है। भिलाई स्टील प्लांट, बाल्को, रेलवे बिल रहा है। एयरलाइंस बिक गई। जब सभी बिक जाएंगे तो आरक्षण का लाभ कहां मिलेगा। भाजपा आरक्षण की विरोधी है। भाजपा नहीं चाहती कि अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को कोई लाभ मिले। जब भर्ती ही नहीं होगी केंद्र सरकार की तो नौकरी कहां से मिलेगी? छत्तीसगढ़ सरकार नौकरी देना चाहती है, लेकिन राजभवन के माध्यम से रोकने की कोशिश की जा रही है, उसका हम (कांग्रेस) विरोध कर रहे हैं। आज साइंस कॉलेज ग्राउंड में हम इकट्‌ठे हुए हैं। भाजपा छत्तीसगढ़ की जनता से बदला ले रही है। भाजपा ने कई तरह के संकट डालने की कोशिश की। जब हमने 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान बेचने की बात की तो केंद्र ने अड़ंगा लगाया। समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत देने पर एफसीआई से चावल नहीं खरीदेंगे। हमने तय किया कि सरकार को घाटा हो जाए लेकिन अन्नदाताओं को कोई नुकसान होने नहीं देंगे। धान खरीदे 1800-1900 में और नीलामी 1300 में किया। राजीव किसान न्याय योजना की शुरुआत की। पिछले साल धान बेचे उन्हें 2540 और इस साल 2640 में बेचे हैं।

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