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दिल का दो विधियों से इलाज : 72 साल के बुजुर्ग का दिल धड़क रहा था सिर्फ 30%, पहले शॉकवेव से कैल्शियम के चट्टान को तोड़ा, फिर भाप बनाकर बाहर निकाला

दिल का दो विधियों से इलाज : 72 साल के बुजुर्ग का दिल धड़क रहा था सिर्फ 30%, पहले शॉकवेव से कैल्शियम के चट्टान को तोड़ा, फिर भाप बनाकर बाहर निकाला
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By NPG News

रायपुर. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े डॉ. भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल में 72 साल के बुजुर्ग के दिल का दो विधियों से सफल ऑपरेशन किया गया. एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में एक साथ दो विधियों का प्रयोग कर दिल की अवरुद्ध धमनियों को खोलने का यह पहला प्रकरण है. दिल की नसों में कैल्शियम के जमाव से जो ब्लाॅकेज हुआ था, उस कैल्सीफाइड हिस्से को शाॅकवेव इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी से तोड़ा गया, फिर एक्साइमर कोरोनरी लेजर एथेरेक्टाॅमी से भाप बनाकर रास्ता खोला गया. कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डाॅ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार देश के किसी सरकारी अस्पताल में एक साथ दो विधियों के प्रयोग से दिल की ब्लॉक नस खोलने का यह पहला मामला है.


डॉ. स्मित श्रीवास्तव के शब्दों में पढ़ें, कैसे किया ऑपरेशन

''महासमुंद के 72 साल के बुजुर्ग को जब अस्पताल लाया गया, तब उनका दिल मात्र 30 प्रतिशत तक काम कर रहा था. दिल के बाएं हिस्से की एक नंबर की नस में खून का प्रवाह बंद हो गया था. मरीज की केस हिस्ट्री और उम्र की अधिकता को देखते हुए हमने निर्णय लिया कि नस में जमे हुए कैल्शियम को पहले लिथोट्रिप्सी से और उसके बाद लेजर विधि से तोड़कर एंजियोप्लास्टी करेंगे. इससे पहले एसीआई में वर्ष 2019 में पहले एक्साइमर कोरोनरी लेजर ऐथेरेक्टाॅमी की गई थी. उसके साथ ही पहला इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी भी यहीं किया गया था, लेकिन इन दोनों विधियों को एक साथ प्रयोग कर पहली बार किसी मरीज के दिल की नसों के ब्लाॅकेज को खोला गया. यह ब्लाॅकेज इतना कठोर हो चुका था कि एंजियोप्लास्टी करने वाले वायर (तार) के अलावा कुछ भी आगे नहीं जा रहा था. इसके बाद हमने दस-दस सेकंड के आठ इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी शाॅक वेव के जरिए चट्टान को तोड़ते हुए उसको एक्साइमर लेजर तरंगदैर्ध्य के माध्यम से भाप बनाकर निकाल दिया और मरीज की सफल एंजियोप्लास्टी की. मरीज उपचार के बाद स्वस्थ है. इसका श्रेय एसीआई के कार्डियोलॉजी विभाग की पूरी टीम को जाता है.''

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