ED के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में एपी त्रिपाठी और निरंजन दास, सुनवाई से पहले ईडी ने किया गिरफ्तार
इससे पहले आईएएस अनिल टुटेजा और यश टुटेजा ने ईडी के खिलाफ केस किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई है.
रायपुर. छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के खिलाफ आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दास और विशेष सचिव एपी (अरुण पति) त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. त्रिपाठी ने 06 मई को ही केस फाइल किया था. इसके दो दिन बाद यह रजिस्टर हुआ. 06 मई को ही ईडी ने इस मामले में अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था. हालांकि केस में अभी सुनवाई के लिए तारीख तय नहीं हो सकी थी और ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. इसी तरह आबकारी सचिव दास ने 10 मई को केस फाइल किया, जो 11 मई को रजिस्टर हो गया. दोनों केस का स्टेटस पेंडिंग है. दोनों ने कानून एवं न्याय मंत्रालय के सचिव, ईडी के डायरेक्टर और छत्तीसगढ़ के असिस्टेंट डायरेक्टर ठंडीलाल मीणा के खिलाफ केस किया है.
आबकारी में कथित घोटाले की जांच कर रही ईडी की कई टीमों ने 29 मार्च को शराब कारोबारियों के साथ त्रिपाठी व अन्य के घरों पर छापेमारी की थी. इसके बाद लगातार दफ्तर में बुलाकर पूछताछ की थी. इसके कुछ दिनों बाद आबकारी सचिव दास और विशेष सचिव त्रिपाठी के साथ आबकारी अधिकारियों ने सीएम भूपेश बघेल से मिलकर ईडी द्वारा प्रताड़ित करने की शिकायत की थी. त्रिपाठी ने आबकारी के डायरेक्टर को पत्र लिखकर राजधानी रायपुर स्थित दफ्तर में प्रताड़ित करने और मारपीट करने की शिकायत की थी. दास ने भी स्वास्थ्य गत कारणों का हवाला देकर यह शिकायत की थी कि उन्हें बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है. पूछताछ का दौर लगातार जारी था कि त्रिपाठी के रायपुर से बाहर होने की जानकारी आई. इसके बाद ईडी ने शुक्रवार को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया. जो खबरें हैं, उसके मुताबिक त्रिपाठी को मुंबई एयरपोर्ट पर पकड़ा गया. उस दौरान उनकी पत्नी मंजुला भी साथ थीं. इसके बाद सुबह की ही फ्लाइट से रायपुर लाया गया. यहां स्पेशल कोर्ट ने त्रिपाठी को तीन दिन की ईडी रिमांड पर भेज दिया.
ईडी ने त्रिपाठी पर लगाए गंभीर आरोप
ईडी ने त्रिपाठी की गिरफ्तारी के बाद स्पेशल कोर्ट में रिमांड के लिए जो आवेदन दिया है, उसमें कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इसमें शराब में अवैध कमाई के सिंडीकेट के लिए काम करने के साथ-साथ 15 जिलों के आबकारी महकमे को अपने इशारे पर अवैध धंधे में शामिल करने का आरोप लगाया है. साथ ही, फर्जी होलोग्राम, शराब की कीमत, ब्रांड की उपलब्धता घटाने-बढ़ाने, सिंडीकेट से जुड़े लोगों को ही सभी तरह के ठेके दिलाने, इन सब कामों में अपनी कमीशन लेने जैसी बातें शामिल हैं. ईडी ने झारखंड की कंसल्टेंसी पर भी सवाल उठाया है, क्योंकि इसके लिए त्रिपाठी ने जो कि इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी हैं, अपने मूल विभाग या छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति नहीं ली थी. अपनी विदेश यात्राओं की जानकारी भी छिपाई.