सीएम भूपेश बघेल का ED से सवाल - 25 करोड़ की एफडी पर गिरफ्तारी, फिर 26 करोड़ के जेवर जब्त करने पर डिस्टलर गवाह कैसे?
रायपुर. छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की कार्रवाई पर सीएम भूपेश बघेल ने सवाल किया है. उन्होंने पूछा कि त्रिलोक सिंह ढिल्लन के पास 25 करोड़ की एफडी मिली. अनसेक्योर्ड लोन लिया था. यह ऑन पेपर है. उसे ईडी ने गिरफ्तार किया, लेकिन दूसरी तरफ एक डिस्टलर के यहां छापे में 26 करोड़ के जेवर जब्त हुए तो उसे गवाह बना लिया. क्या यही ईडी के काम करने का तरीका है?
सीएम बघेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि पहले कोई लाभ की स्थिति में हैं तो डिस्टलर हैं. वहीं से बोतल बदलता है, होलोग्राम चेंज होता है. वहीं पर बिना टैक्स के बोतलें निकलेंगी तो पहले किसे फायदा हुआ? डिस्टलर को. डिस्टलर सब गवाह बने हुए हैं. ये ईडी के काम करने का तरीका है. यही सवाल है. ईडी की जितनी भी कार्रवाई है, वह प्रश्नवाचक चिह्न छोड़ते जा रही हैं. सीधी सी बात है कि आप (ईडी) दुर्भावनापूर्ण काम कर रही है.
एफआईआर नहीं तो जांच कैसे?
सीएम ने सवाल किया कि जब तक ईसीआईआर नंबर नहीं होगा, तब तक ईडी कार्रवाई नहीं कर सकती. शराब वाले मामले में कोई एफआईआर नहीं है. इन्कम टैक्स ने 2020 में डिस्टलर, अधिकारी और भी जो लोग हैं, उनके खिलाफ आईटी ने रेड किया था. आईटी में सारे डिस्टलर ने शपथ पत्र दिया था. उनका शपथ पत्र है कि किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं है. शपथ पत्र में सारी बातें हैं. उन्हीं डिस्टलर से ईडी पूछताछ कर रही है और कह रहे हैं कि गड़बड़ियां हैं. या तो शपथ पत्र सही है तो ये गलत हैं. ये सही हैं तो शपथ पत्र गलत है.
एसईसीएल से पूछताछ क्यों नहीं
सीएम ने कहा, छत्तीसगढ़ में दो ही प्राइवेट कोल माइंस है. इनमें एक जिंदल और दूसरा सारडा का है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ व राजस्थान सरकार की माइंस है. बाकी सारे माइंस एसईसीएल के हैं. यदि कोयले में घोटाला हुआ है तो बिना एसईसीएल के कैसे हो सकता है? आप उन्हें नहीं पूछ रहे हैं. खदान और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एसईसीएल की है. एसईसीएल की निगरानी में ही गाड़ियां निकलती हैं. साफ है कि ईडी का उद्देश्य केवल राज्य सरकार को बदनाम करना है. लोगों को बदनाम करना, अधिकारियों को बदनाम करना और लोगों को प्रताड़ित करना है.