आबकारी में ED का डर : आबकारी सचिव और विशेष सचिव के साथ सीएम से मिले विभाग के अधिकारी, प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
रायपुर. छत्तीसगढ़ के आबकारी अधिकारियों ने सोमवार को सीएम हाउस में सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दास और विशेष सचिव एपी त्रिपाठी के नेतृत्व में आबकारी उपायुक्त और जिला आबकारी अधिकारियों के साथ दूसरे क्रम के अधिकारी भी पहुंचे थे. उन्होंने सीएम को 33 पेज का ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कोरे कागज पर जबर्दस्ती दस्तखत कराने, अपने बयान में कुछ लोगों का नाम लेने के लिए दबाव डालने का आरोप शामिल है. आबकारी सचिव दास और विशेष सचिव त्रिपाठी ने अपने साथ घटी घटना का उल्लेख किया है. जानकारी के मुताबिक सीएम से मिलने वालों में 50 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी थे. सीएम ने उन्हें आश्वस्त किया कि यह राजनीतिक कार्यवाही है, इसलिए डरने की जरूरत नहीं है.
अधिकारी-कर्मचारियों ने बताया कि 29 मार्च को ईडी की टीमों ने आबकारी विभाग के अधिकारियों व शराब कारोबारियों के यहां सुबह छापा मारा. 29 मार्च से 30 मार्च के सुबह तक अधिकारी और कारोबारियों के परिवार के सदस्यों को डराया धमकाया गया. इसके दौरान कुछ कागजात, मोबाइल व लैपटॉप जब्त किए गए. अगले दिन सुबह अधिकारियों और कारोबारियों को रायपुर ले जाया गया और पूछताछ के नाम पर मारपीट की गई. यह प्रक्रिया 31 मार्च को सुबह 7 बजे तक चली. डर के कारण अधिकारी और कारोबारियों ने ईडी के अधिकारियों ने जैसा चाहा, वैसा बयान दर्ज कराया. ईडी अधिकारियों ने पहले से ही टाइप किए गए दस्तावेज दिए थे, उस पर हस्ताक्षर करा लिए.
अधिकारियों ने बताया कि ईडी दफ्तर में अधिकारी-कर्मचारियों से बुरी तरह मारपीट की जा रही थी. इसकी चीखें वहां उपस्थित सभी लोगों को सुनाई दे रही थी. छत्तीसगढ़ डिस्टलरी के संचालक ने बताया कि उनके साथ कई कारोबारियों से मारपीट कर जबर्दस्ती एपी त्रिपाठी और अनवर ढेबर का नाम लिखवाया गया है. आबकारी सचिव दास और विशेष सचिव त्रिपाठी को भी पूछताछ के लिए बुलाकर डराया-धमकाया गया है.
ईडी की कार्यवाही राजनीतिक
बता दें कि सीएम भूपेश बघेल पहले ही यह कह रहे हैं कि ईडी की कार्यवाही राजनीतिक है. जान-बूझकर अधिकारी-कर्मचारी और कारोबारियों को परेशान किया जा रहा है. जहां-जहां भाजपा की सरकार नहीं है, वहां ईडी और आईटी के जरिए परेशान किया जा रहा है. भाजपा राजनीतिक रूप से मुकाबला नहीं कर पा रही है तो ईडी, आईटी और सीबीआई के जरिये लड़ रही है.
मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में ईडी-आईटी की मदद से सरकार बनाने में कामयाब हो गए लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार मजबूत है, इसलिए ईडी के जरिये परेशान किया जा रहा है. छापे मारे जा रहे हैं, लेकिन क्या मिल रहा है, यह ईडी नहीं बता रही है. इसलिए भी यह साबित होता है कि ईडी सिर्फ परेशान करने के लिए छापेमारी कर रही है.