Begin typing your search above and press return to search.

चुनाव आयोग के पाले में गेंद: ब्रह्मानंद नेताम की उम्मीदवारी निरस्त होना आसान नहीं, गिरफ्तारी संभव

चुनाव आयोग के पाले में गेंद: ब्रह्मानंद नेताम की उम्मीदवारी निरस्त होना आसान नहीं, गिरफ्तारी संभव
X
By NPG News

रायपुर। भानुप्रतापपुर उपचुनाव के भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम के खिलाफ दुष्कर्म, पॉक्सो और देह व्यापार में धकेलने जैसे आरोपों में एफआईआर के खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है। भाजपा के लिए यह सबसे बड़ा झटका है, क्योंकि भाजपा ने पहले दिन से एनएसयूआई महासचिव पर लगे आरोपों को मुद्दा बनाने की कोशिश की है, जबकि उनके प्रत्याशी के खिलाफ ही गंभीर मामलों में अपराध दर्ज है।

इधर, पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने निर्वाचन अधिकारी को उम्मीदवारी निरस्त करने के लिए ज्ञापन भी दिया है। लोगों के मन में अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ब्रह्मानंद नेताम की उम्मीदवारी निरस्त हो सकती है? NPG.News ने जब कुछ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से चर्चा की तो इसमें यह बात सामने आई कि स्क्रूटनी के बाद ब्रह्मानंद की उम्मीदवारी निरस्त नहीं होगी, लेकिन गिरफ्तारी हो सकती है। इसके बाद भी वे चाहें तो चुनाव लड़ सकते हैं।

भानुप्रतापपुर सीट से ब्रह्मानंद नेताम पहले विधायक रह चुके हैं। उन्होंने मनोज मंडावी को ही हराया था। अब स्व. मंडावी के खिलाफ नेताम को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस का आरोप है कि नेताम ने अपने शपथ पत्र में झारखंड में दर्ज दुष्कर्म और पॉक्सो के केस की जानकारी नहीं दी है। कांग्रेस ने जो आरोप लगाए हैं, उसके मुताबिक जांच के दौरान नेताम का नाम शामिल किया गया। जानकारों का कहना है कि यह संभव है कि नेताम को केस की जानकारी न हो। यदि नेताम ने कानूनी प्रक्रिया जैसे अग्रिम जमानत या जमानत में हिस्सा लिया या नोटिस की तामीली हुई हो, उसके बाद शपथ पत्र में जानकारी नहीं देने पर जानकारी छिपाने का अपराध बनता है।

आयोग को भेजा जाएगा प्रतिवेदन

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने निर्वाचन अधिकारी को जो आवेदन दिया है, उसे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भेजा जाएगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से निर्वाचन आयोग को प्रतिवेदन भेजा जाएगा। आयोग की ओर से जो भी निर्देश दिए जाएंगे, उसके आधार पर कार्यवाही होगी। हालांकि जानकारों का कहना है कि स्क्रूटनी के बाद ऐसे मामलों में आयोग की ओर से उम्मीदवारी रद्द करने के संबंध में त्वरित फैसला नहीं होता। इसी तरह शपथ पत्र में जानकारी छिपाने के मामले में भी चुनाव आयोग के निर्देश के बिना पुलिस सीधे एफआईआर नहीं कर सकती। इस मामले में झारखंड पुलिस गिरफ्तारी कर सकती है। हालांकि जो प्रावधान है, उसके मुताबिक नेताम चुनाव लड़ सकते हैं।


पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने निर्वाचन अधिकारी को यह ज्ञापन देकर उम्मीदवारी निरस्त करने की मांग की है।


झूठे शपथ पत्र के मामले में कांकेर थाना प्रभारी को यह ज्ञापन दिया है और अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

Next Story