राज्यपाल की आरक्षण पर चुप्पी : आरक्षण के सवाल पर राज्यपाल ने कहा – Ask to CM, भूपेश बोले – भाजपा आरक्षण के खिलाफ
रायपुर. छत्तीसगढ़ में लंबित आरक्षण संशोधन विधेयक पर एक बार फिर राजनीति छिड़ गई है. कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के लिए जब राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन से मीडिया ने आरक्षण के मुद्दे पर सवाल किया तो उन्होंने कह दिया – ask to CM. सीएम भूपेश बघेल से जब यही सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भाजपा आरक्षण के खिलाफ है.
राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण के मुद्दे पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्व सम्मति से संशोधन विधेयक पारित किया गया था. इसमें अनुसूचित जनजाति को 32, ओबीसी को 27, अनुसूचित जाति को 13 और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था. इससे पहले तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके का एक बयान आया था कि उन्होंने राज्य सरकार से कहा है कि वे आदिवासियों के आरक्षण के संबंध में विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित करें. वे तुरंत उस पर दस्तखत करेंगी. हालांकि दो दिन के विशेष सत्र में चर्चा में जब विधेयक पारित हुआ, तब राज्य सरकार के पांच मंत्री राज्यपाल के पास पहुंचे थे. राज्यपाल ने अध्ययन के बाद दस्तखत करने की बात कही थी. इसके बाद इस पर दस्तखत नहीं हुआ और राजनीतिक बयानबाजी जारी रही. राज्यपाल उइके का यहां से तबादला हो गया.
इसी मुद्दे पर जब वर्तमान राज्यपाल हरिचंदन से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'I am governor, ask political matter to the Chief Minister. Governor has some limitations.' (मैं राज्यपाल हूं. राजनीतिक मामलों पर मुख्यमंत्री से पूछें. राज्यपाल की अपनी सीमाएं होती हैं.) इससे पहले राज्यपाल हरिचंदन का एक संक्षिप्त बयान आया था कि वह मामला क्लोज हो चुका है.
इधर, मुख्यमंत्री बघेल ने कहा, 'मैंने तो प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. उधर से जवाब नहीं आ रहा है. कुल मिलाकर भाजपा आरक्षण के खिलाफ में है. विधानसभा से जो पारित है, वो विधेयक राजभवन में अटका है. हमें कृषि महाविद्यालय शुरू करने हैं और भी महाविद्यालय खोले जा रहे हैं. अब हमें भर्ती करनी है, स्टाफ की, असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती करनी पड़ेगी, लेकिन जब तक कि आरक्षण बिल अटका हुआ है, तब तक हम भर्ती नहीं कर पा रहे हैं. बहुत सारे विभाग हैं, जिनमें हमें भर्ती करनी है, मगर भर्ती अटकी है. चाहे एजुकेशन हो, पुलिस हो, हेल्थ डिपार्टमेंट हो, एग्रीकल्चर की बात हो, इरीगेशन की बात हो, सब में भर्ती करनी है. एग्जाम भी होना है. उसमें भी आरक्षण का मामला है, इसलिए फैसला करना चाहिए.