महिला प्रेमी नेता, ताकतवर आईपीएस...किसी का कद बढ़ा और किसी का...
छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित वरिष्ठ पत्रकार संजय दीक्षित का लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश...
संजय के. दीक्षित
तरकश, 31 जुलाई 2022
छत्तीसगढ़ के कुछ भाजपा नेताओं का महिला प्रेम छुपा नहीं है... सत्ता गंवाने के बाद भी इस माया-मोह से उनका पीछा छूटा नहीं है। आलम तो यह हो गया कि भाजपा का प्रशिक्षण शिविर भी इस चर्चा से अछूता नहीं रहा। संघ के प्रांत प्रचारक प्रेम सिंह सिदार ने अपने उद्बोधन में ऐसे नेताओं को तल्खी के साथ निशाने पर लिया। स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट के सामने जैनम भवन में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में सिदार ने ऐसा कुछ कहा कि महिला प्रेमी बीजेपी नेता बगलें झांकने लगे। बोले...दूसरी पार्टियों का मैं नहीं जानता...भाजपा दीनदयाल उपाध्याय जैसे तपस्वियों की पार्टी है...उनकी पार्टी में ये ठीक नहीं...महिलाओं के कार्यक्रम में पुरुष नेता पहुंच जाएं...उनके साथ फोटो खिंचवाएं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैं संघ के बारे में कुछ बताने आया था...मगर कड़वी बात कह दी...लेकिन, मुझे इसकी भी कोई परवाह नहीं। सिदार की खरी-खरी से लंगोट के ढीले नेताओं के चेहरे लटक गए...क्योंकि, सिदार का इशारा किधर था, इसे लोग समझ गए। बता दें, शिविर में पूर्व सीएम रमन सिंह को छोड़ बीजेपी के सारे नेता मौजूद थे। प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी भी। रमन सिंह को कोविड हुआ है, इसलिए वे क्वारेंटाइन हैं।
ताकतवर आईपीएस!
सरकार ने आज आईपीएस अधिकारियों की पोस्टिंग की एक छोटी लिस्ट निकाली। इसमें सर्वाधिक चौंकाने वाला नाम दुर्ग आईजी बद्री नारायण मीणा का रहा। बद्री पहले से वीवीआईपी रेंज के आईजी हैं। अब उन्हें राजधानी जैसे रायपुर रेंज आईजी का प्रभार मिल गया है। यानी अब नांदघाट से लेकर महाराष्ट्र बॉर्डर तक बद्री का इलाका रहेगा। हालांकि, इससे पहले रतन लाल डांगी को बिलासपुर रेंज के साथ ही सरगुजा रेंज का प्रभार था। मगर बिलासपुर, सरगुजा और रायपुर, दुर्ग में बड़ा फर्क है। रायपुर, दुर्ग का राजनीतिक महत्व ज्यादा है। फिर, चुनावी साल में बद्री को रायपुर का दायित्व सौंपा गया है तो इसके निहितार्थ समझे जा सकते हैं। ये अलग बात है कि यह पॉवर गेम कई अफसरों को खटका होगा।
दो महीने 10 दिन
2003 बैच के आईपीएस ओपी पाल को मई में रायपुर रेंज का आईजी बनाया गया था। याने करीब तीन महीने पहिले। इन तीन महीने में से 20 दिन छुट्टी में रहे। कुल मिलाकर दो महीने 20 दिन वे आईजी रहे। ठीक तीसरे महीने याने जुलाई खत्म होने से एक दिन पहले ही सरकार ने उन्हें पीएचक्यू भेज दिया। रायपुर आईजी के रूप में उनका सबसे कम समय तक रहने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया।
सारांश का कद बढ़ा
बिलासपुर की कलेक्टरी करके रायपुर लौटे सारांश मित्तर को पहले रोड विकास निगम का एमडी बनाया गया और आज आईएएस की फेरबदल में उन्हें सीएसआईडीसी की भी कमान सौंप दी गई। अभी के समय में पीडब्ल्यूडी में कुछ धरा नहीं है। रोड का जो काम दिख रहा, वो विकास निगम से हो रहा। 2000 करोड़ का लोन भी निगम को मिला है। ऊपर से अब सीएसआईडीसी भी। याने उद्योग का जिम्मा भी सारांश के मजबूत कंधे पर आ गया है।
किसी का कद बढ़ा, किसी का...
सुब्रत साहू शायद सीएम सचिवालय के पहले ऐसे अफसर होंगे, जिनका विभाग लगभग हर फेरबदल में बदल जाता है। दो महीने पहले मनोज पिंगुआ का फॉरेस्ट सुब्रत को मिला था और सुब्रत का गृह पिंगुआ को। अब फिर वन पिंगुआ के पास आ गया है। सुब्रत को पंचायत की जिम्मेदारी दी गई है। चुनावी साल में पंचायत विभाग की अपनी अहमियत होती है। सो, सरकार ने उन पर भरोसा किया। हिमशिखर गुप्ता के लिए भी लिस्ट ठीक रही। उन्हें उद्योग का स्वतंत्र प्रभार मिला। धनंजय देवांगन को आवास पर्यावरण, भारतीदासन को पीएचई और अय्याज तंबोली को कृषि का दायित्व सौंपा गया। सालों बाद आवास पर्यावरण विभाग डायरेक्ट आईएएस के बजाय प्रमोटी को मिला है। धनंजय साफ सुथरी छवि के अफसर हैं।
अंत में दो सवाल आपसे
1. ओपी पाल को रायपुर रेंज आईजी से तीन महीने के भीतर क्यों हटा दिया गया?
2. आईएएस, आईपीएस के बाद क्या अब मंत्रिमंडल सर्जरी की बारी है?