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सोहन को श्रद्धांजलि : पूर्व सांसद सोहन पोटाई को विधानसभा में दी गई श्रद्धांजलि, कार्यवाही स्थगित

सोहन को श्रद्धांजलि : पूर्व सांसद सोहन पोटाई को विधानसभा में दी गई श्रद्धांजलि, कार्यवाही स्थगित
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By NPG News

रायपुर. कांकेर लोकसभा से चार बार सांसद रहे आदिवासी नेता सोहन पोटाई को सोमवार को विधानसभा में श्रद्धांजलि दी गई. विधानसभा स्पीकर डॉ. चरणदास महंत, संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल आदि ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

मोहन मरकाम ने कहा, सोहन पोटाई का जाना बस्तर आदिवासी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. जब तक जिए शेर की तरह जिए. पोस्टमैन की नौकरी से कॅरियर की शुरुआत की थी. उनके मन में हमेशा यह रहता था कि मैं इस क्षेत्र के लिए लड़ना चाहता हूं. सांसद बनकर बस्तर की आवाज दिल्ली में उठाना चाहता हूं. आज उनकी कमी महसूस होती है. वे सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष रहे. हमेशा आदिवासी समाज के हक की आवाज रखते रहे.

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, सोहन पोटाई बस्तर की बुलंद आवाज थे. बस्तर के नेताओं का नाम लें तो बलीराम कश्यप के बाद बस्तर के मुद्दों को उठाने वाले सोहन पोटाई थी. उन्होंने एक बार विधायक का चुनाव भी लड़ा लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्होंने बस्तर की आवाज को दिल्ली में उठाया और अपना मुकाम बनाया. आदिवासियों की कठिनाइयों और मुद्दों को उन्होंने सर्व आदिवासी समाज की ओर से बुलंद किया.

शिशुपाल सोरी ने कहा, बस्तर और पूरा आदिवासी समाज स्तब्ध है. वे आदिवासी समाज के प्रखर आवाज बनकर उभरे थे. उनका व्यक्तित्व निष्पक्ष और बिना किसी बात की परवाह किए सच्चाई बोलने का जो माद्दा होता है, वह उनमें था. उनका गांव मेरे विधानसभा क्षेत्र में आता है. उनका और हमारा पारिवारिक संबंध था. सामाजिक मुद्दों पर साथ आकर हम काम करते थे.

पुन्नूलाल मोहले ने कहा, मेरे साथ चार बार सांसद थे. मेरे सहयोगी थे. नॉर्थ एवेन्यू में साथ रहते थे. साहसी थे. समाज के लिए उन्होंने अच्छा काम किया. आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने के लिए काम किया.

पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक ने कहा, सोहन पोटाई एक दबंग नेता थे. एक बार चुनाव जीतने के लिए वे लगातार चार बार चुनाव जीते. यह उनकी लोकप्रियता थी. संसद में जल जंगल जमीन की आवाज बुलंद की. उनकी सहजता और सरलता को हमने देखा है. कभी उन्होंने यह अहसास नहीं कराया कि वे एक सांसद हैं. समाज के लिए उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर जाकर राजनीति की. जब सांसद थे, तब भी काम किया और जब सांसद नहीं थे, तब भी काम करते रहे. सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरे प्रदेश में काम किया.

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा, सोहन पोटाई बस्तर की आवाज, आदिवासी की आवाज चाहे सांसद के रूप में हों या सांसद के बाद भी उन्होंने उठाया. परिसीमन में बस्तर सीट सामान्य होने जा रहा था, तब उन्होंने अपने ही पार्टी के खिलाफ जाकर आंदोलन किया और आदिवासी सीट को बचाकर रखा. उनकी लड़ाई के कारण ही टिकट नहीं मिला. चार बार जीता. टिकट नहीं मिला तो सर्व आदिवासी समाज के जरिए काम करने लगे. आदिवासी समाज को बहुत दुख है.

डिप्टी स्पीकर संतराम नेताम ने कहा, सोहन पोटाई मेरे ब्लॉक से पोस्ट ऑफिस बिश्रामपुरी से अपनी शुरुआत की. जब मैं राजनीति में आया, तब एक बार उनसे राजनीतिक झड़प हुई. दिल्ली में कई संसद जाते हैं, लेकिन अपनी बात नहीं रख पाते. सोहन पोटाई ने अपनी बात रखी. बस्तर की बात उठाई. उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज के लिए काम किया.

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